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विमानों का उत्सर्जन कम करने के लिए सस्टेनेबल फ्यूल नीति बनाएगा भारत

अंतरराष्ट्रीय विमानन से होनेवाले उत्सर्जन पर कड़े नियम लागू होने के पहले भारत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल विकसित करने और वर्ष 2050 तक के लिए दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करने जा रहा है। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से होनेवाले उत्सर्जन को कम करने और 2070 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए मिश्रण लक्ष्य तय किए हैं — 2027 तक 1 प्रतिशत, 2028 तक 2 प्रतिशत और 2030 तक 5 प्रतिशत।

यह पहल अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) की कार्बन ऑफ़सेटिंग और रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (CORSIA) के अनुरूप होगी, जो 2027 के बाद अनिवार्य हो जाएगी। भारत का लक्ष्य है कि वह हरित एविएशन फ्यूल के आपूर्तिकर्ता और उपभोक्ता दोनों के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ़ करे।

भारत से यूरोप को डीज़ल निर्यात 11 महीने के उच्चतम स्तर पर

भारत द्वारा यूरोप को डीज़ल निर्यात 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जबकि यूरोपीय संघ (ईयू) अन्य देशों से रूसी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। दी इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले महीने प्रतिदिन 2.6 लाख बैरल डीज़ल निर्यात किया, जो जुलाई की तुलना में 63 प्रतिशत अधिक है। आगामी प्रतिबंध के मद्देनज़र यूरोपीय खरीदार अभी भंडारण कर रहे हैं।

निर्यात किए गए लगभग सभी कार्गो भारत की सबसे बड़ी निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज से थे। यूरोपीय संघ ने फरवरी 2023 से रूसी तेल के प्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और जनवरी 2026 से तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले आयात पर भी प्रतिबंध लागू होगा।

अमेरिका में जीवाश्म ईंधन सब्सिडी 8 सालों में दोगुनी

संयुक्त राज्य अमेरिका हर साल जीवाश्म ईंधन उद्योग को 31 अरब डॉलर की सब्सिडी देता है। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़ा 2017 के बाद से दोगुने से भी अधिक हो गया है और संभवतः यह भी वास्तविक आंकड़े से कम है, क्योंकि सरकारी सहयोग से मिलने वाले वित्तीय लाभों का आकलन करना कठिन है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की सब्सिडी डीकार्बनाइजेशन के प्रयासों में बड़ी बाधा बन सकती है, जबकि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए यह बेहद जरूरी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स-एंड-स्पेंड बिल से यह समस्या और गहरा सकती है, क्योंकि इसके तहत अगले दशक में हर साल अतिरिक्त 4 अरब डॉलर की सब्सिडी दिए जाने की संभावना है।

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