बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए भारत कोयला आधारित बिजली उत्पादन की आयु बढ़ाने और क्षमता विस्तार पर विचार कर रहा है।
वर्तमान में, भारत का लक्ष्य 2026 तक नई कोयला क्षमता के विस्तार को समाप्त करना है । हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा मंत्रालय अब इस विस्तार को 2038 तक जारी रखने के लिए विचार कर रहा है । महत्वपूर्ण है कि भारत चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक है और ग्रीन एनर्जी को लेकर उसके महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं।
माना जा रहा है कि यह बदलाव मुख्य रूप से देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता को सुरक्षित रूप से पूरा करने की चिंता से प्रेरित है।
हालांकि यह कदम भारत की उस रणनीति से मेल नहीं खाता जिसके तहत वह 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है ।
यह प्रस्तावित विस्तार यह संकेत देता है कि भारत को लगता है कि नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरी भंडारण में अपेक्षित वृद्धि के बावजूद, वह अगले दशक से अधिक समय तक भी अपने ऊर्जा ग्रिड को स्थिर रखने के लिए कोयले पर निर्भर रहेगा । यदि यह योजना लागू होती है, तो यह वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि भारत दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
भारतीय तेल रिफायनरों ने फिर शुरू की रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद; रिलायंस अब भी अलग
भारत के चार प्रमुख सरकारी तेल शोधक (रिफाइनर्स) कंपनियों ने रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद फिर से शुरू कर दी है । इन कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल के लिए लगाए गए मूल्य कैप (Price Cap) की समय सीमा के संबंध में कुछ अनिश्चितता के कारण पहले खरीद रोक दी थी । अब, ये शोधक कंपनियाँ तेल के सौदों को अमेरिकी डॉलर के बजाय यूएई दिरहम (UAE Dirhams) में निपटा रही हैं । यह कदम प्रमुख खरीदारों को संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने में मदद करता है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) ने फिर से खरीद शुरू कर दी है । हालांकि, देश की सबसे बड़ी निजी रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) फिलहाल रूसी कच्चे तेल की खरीद से दूर है । भारत रूस से तेल का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक बना हुआ है, और रियायती आपूर्ति ने देश को अपनी ऊर्जा जरूरतों को कम लागत पर पूरा करने में मदद की है ।
ट्रंप की नई योजना: रूस में बड़ा अमेरिकी निवेश और यूरोप को फिर से तेल आपूर्ति बहाल करने की परिकल्पना
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम ऐसी योजनाएं बना रही है जिनमें रूस को पश्चिमी अर्थव्यवस्था के साथ फिर से जोड़ने की बात कही गई है। इन योजनाओं में रूस में एक बड़ा अमेरिकी निवेश और यूरोप को रूसी तेल आपूर्ति बहाल करने की परिकल्पना की गई है।
ट्रंप के सलाहकारों ने रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की संभावनाओं पर विचार किया है, जो यूक्रेन पर आक्रमण के बाद लगाए गए थे । हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ये योजनाएँ अभी प्रारंभिक चरण में हैं और इन्हें अंतिम रूप नहीं दिया गया है । इन योजनाओं को लागू करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस और सहयोगी देशों से समर्थन की आवश्यकता होगी।
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