ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में दुनिया के नए कोयला प्रस्तावों में एक तिहाई भारत के रहे जिनकी कुछ क्षमता 38.4 गीगावॉट है। यह 2015 के बाद से यह सबसे अधिक है। माइनिंग, प्रोसेसिंग, यूटिलाइजेशन और कोयले से जुड़े रिसर्च, डेवलपमेंट और नीति में बदलाव जैसी रेग्युलेटरी योजनाओं को कोयला प्रस्ताव कहा जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की कुल कोयला बिजली उत्पादन क्षमता का 96 प्रतिशत 10 देशों के कारण है जिसमें 87 प्रतिशत भारत और चीन का हिस्सा है। भारत की 38.4 गीगावॉट की प्रस्तावित क्षमता का 60 प्रतिशत पब्लिक फंड से सरकारी कंपनियां खड़ी करेंगी।
नए कोयला प्रस्तावों से भारत की निर्माण पूर्व कोयला प्लांट क्षमता 81.4 गीगावॉट हो गई है जो कि 2023 के मुकाबले 75 प्रतिशत अधिक है। भारत में चल रहे कोयला बिजलीघरों की क्षमता में भी मामूली वृद्धि हुई है। कुल 5.8 गीगावॉट के नई कोयला बिजलीघर बने और 0.2 गीगावॉट क्षमता के प्लांट बन्द हुए जिससे 5.6 गीगावॉट का इज़ाफा हुआ जो 2019 के बाद से अब तक का सर्वाधिक है।
भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है और इसकी लगभग 75 प्रतिशत बिजली कोयला बिजलीघरों से आती है। भारत ने इस वर्ष पहली बार कोयला उत्पादन में 1 बिलियन के लक्ष्य को पार किया है। वर्ष 2024 में कोयला बिजली उत्पादन के जो नए प्लांट प्रस्तावित हैं उनकी कुल क्षमता का 92 प्रतिशत चीन और भारत के बिजलीघरों से होगा।
ट्रम्प के टैरिफ बढ़ाने से तेल की कीमतों में गिरावट, अमेरिका की शेल गैस उत्पादों को खतरा, ड्रिलर परेशान
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी शेल ऑयल उत्पाद “कई सालों में अपने सबसे गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति के कारण अचानक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने इस क्षेत्र के कुछ सेक्टरों को चौपट कर दिया है”। अधिकारियों ने ऐसी चेतावनी दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को चीन के साथ व्यापार युद्ध को बढ़ाने के बाद तेल की कीमतों में गिरावट आई, हालांकि उन्होंने अन्य देशों पर टैरिफ लगाने पर फिलहाल 90 दिनों की रोक की घोषणा की।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, ट्रम्प द्वारा “मुक्ति दिवस” पर पारस्परिक टैरिफ की घोषणा के बाद पिछले सप्ताह में तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद – जो $72 प्रति बैरल से $55 प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर पर जा पहुंची थी – अब तेल की कीमतें बढ़कर $62 हो गई। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, तेल की गिरती कीमतें आर्थिक गतिविधि में निराशा का संकेत देती हैं और “यह मंदी का संकेत हो सकता है क्योंकि निर्माता उत्पादन में कटौती कर रहे हैं, व्यवसाय यात्रा लागत में कटौती कर रहे हैं और परिवार छुट्टियों की योजनाओं को टाल रहे हैं”। ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट की कि ट्रम्प का “व्यापार युद्ध तेजी से बढ़ती अमेरिकी एनर्जी स्टोरेज इंडस्ट्री पर लागत बढ़ाएगा – और इसमें मंदी आयेगी।”
ओडिशा में इंडियन ऑइल करेगा 61,000 करोड़ का निवेश
इंडियन ऑइल ने ओडिशा के पारादीप में एक पेट्रोकैमिकल कॉम्प्लेक्स के लिए 61,000 करोड़ के निवेश का फैसला किया है। पिछले हफ्ते नई दिल्ली में हुई ओडिशा इंवेस्टर मीट में कंपनी ने राज्य सरकार के साथ प्राथमिक समझौते पर दस्तखत किये। कंपनी के कहा कि यह “किसी एक लोकेशन में इंडियन ऑइल द्वारा अब का सबसे बड़ा निवेश” होगा। इंडियन ऑइल पारादीप में 15 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता का रिफायनरी प्रोजेक्ट पहले ही चला रही है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
भारत ने पार किया 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
-
अमेरिका प्रमुख उत्सर्जकों को कोयले से हटने में सहयोग की योजना से पीछे हट रहा है: रॉयटर्स
-
अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार करने वाली 4 भारत-स्थित कंपनियों पर लगाई रोक
-
भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर बनेगा अमेरिका
-
ट्रम्प ने फिर शुरु की तेल और गैस कारोबार में तेज़ी की मुहिम