एक और तबाही: उत्तर भारत और केरल में हुई तबाही से मौसमी संकट के बढ़ने की आशंका लगातार सच हो रही है| Photo: Twitter

अतिवृष्टि से उत्तराखंड में तबाही, करीब 80 लोग मरे

उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में कम से कम 76 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम पांच लोग लापता हैं। कई दिनों की भारी बारिश ने राज्य में सड़कों पर पानी भर दिया और पुलों को नष्ट कर दिया था। भारी बारिश के कारण नैनीताल, राज्य के बाकी हिस्सों से कटा हुआ था। नैनीताल में 24 घंटे के भीतर बारिश 401 मिमी तक पहुंच गई, जिससे पर्यटक छतों पर फंस गए।  भूस्खलन से नैनीताल की ओर जाने वाली सड़कें अवरुद्ध हो गईं  थी । सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में नैनीताल झील बाढ़ के पानी से भरी हुई दिखाई दे रही थी । चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, और उधम सिंह नगर में भी अत्यधिक बारिश हुई। उत्तराखंड के रानीखेत और अल्मोड़ा जिले को जोड़ने वाली सड़कों पर भी भूस्खलन के कारण संपर्क टूट गया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्य मंत्री धन सिंह रावत के साथ नैनीताल जिले में बादल फटने से प्रभावित रामगढ़ का दौरा किया। सीएम धामी ने घोषणा की कि सभी डीएम को राहत कोष के रूप में 10-10 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, ताकि वे तुरंत सभी व्यवस्थाएं कर सकें। उन्होंने ये भी बताया कि मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। जिन लोगों ने अपना घर खो दिया है उन्हें 1.9 लाख रुपये दिए जाएंगे और  जिन लोगों ने अपना पशुधन खो दिया है, उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह स्थिति का जायजा लेने के लिए देहरादून पहुंचे । उन्होंने एक समीक्षा बैठक भी की, और एक हवाई सर्वेक्षण किया।

एक्स्ट्रीम हीट के मामले में 1990 के मुकाबले भारत अब 15% अधिक संकटग्रस्त: लांसेट  

स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन के अनुसार 1990 की तुलना में 2019 में भारत  पर हीट एक्सट्रीम्स का खतरा 15% अधिक था। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि भारत उन पांच देशों में से एक है जहां पिछले पांच वर्षों में हीटवेव की चपेट में आने वाली आबादी सबसे अधिक है, और यह खतरा लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 में दुनिया भर में गर्मी के संपर्क में आने के कारण 29500 करोड़ घंटे के संभावित काम का नुक़सान हुआ, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत ने सर्वाधिक घाटा (विश्व औसत का 2.5–3 गुना) रिपोर्ट किया था।

वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून अभी भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले एक हफ्ते में भारत और नेपाल में भारी बारिश के कारण अचानक आयी बाढ़ और भूस्खलन में क़रीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है। 48 मौतों के साथ उत्तराखंड सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पूरे केरल राज्य में ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। हालांकि आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 26 अक्टूबर तक देश से चला जाएगा। 

प्लास्टिक उत्पादन 10 वर्षों के भीतर कोयला संयंत्रों की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसें  उत्सर्जित कर सकता है: रिपोर्ट

एक नए अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक के उत्पादन, जो एक अत्यधिक कार्बन-गहन प्रक्रिया है, द्वारा इस दशक के भीतर कोयले से चलने वाले संयंत्रों की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होने की संभावना है। बेनिंगटन कॉलेज और बियॉन्ड प्लास्टिक की रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक उद्योग हर साल 232 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है, जो 116 कोयला संयंत्रों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है। लेकिन एक दर्जन से अधिक प्लास्टिक प्लांट निर्माणाधीन हैं और कुछ और की योजना बनायी जा रही है, जिसके कारण रिपोर्ट यह संभावना जताती है कि इनका उत्सर्जन कोयले से चलने वाले संयंत्रों के उपयोग को कम करने या समाप्त करने से होने वाले किसी भी लाभ को निष्फल कर देगा।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर की झीलों में बर्फ की मोटाई कम हो रही है: अध्ययन

हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर की झीलों का पारितंत्र खतरे में पड़ गया है। विशेष रूप से बर्फ कब जमेगी और और पानी का तापमान क्या रहेगा इस पर जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव पूरे लेक( झीलों के ) इकोसिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। मुख्य रूप से बर्फ की मोटाई कम होने के रूप में इसे देखा जा सकता है। इस अध्ययन में पांच झील मॉडलों से हिम-कास्ट और अनुमानों का प्रयोग किया गया है। अध्ययन के अनुसार बर्फ की मोटाई और झील के तापमान पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव झीलों के परितंत्र के कामकाज और उनके उपयोग को ‘गंभीर रूप से बदल देगा’। 

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