फोटो: Harish Nair/Wikimedia Commons

सैंड, डस्ट स्टॉर्म से खतरे में 150 देशों की अर्थव्यवस्था, 33 करोड़ लोग: डब्ल्यूएमओ

संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय सैंड और डस्ट स्टॉर्म विरोधी दिवस घोषित किया है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की नई रिपोर्ट के अनुसार, रेत और धूल भरी आंधियों से दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य और देशों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस खतरे से दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में लगभग 33 करोड़ लोग प्रभावित हैं।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बेहतर मॉनिटरिंग और पूर्वानुमान और शुरुआती चेतावनी प्रणालियों में निवेश की आवश्यकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 2,000 मिलियन टन रेत और धूल वातावरण में प्रवेश करती है — जो 307 गीज़ा के पिरामिड्स के बराबर है। 80% से अधिक धूल उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के रेगिस्तानों से आती है और यह महाद्वीपों और महासागरों को पार कर सैकड़ों-हज़ारों किलोमीटर दूर तक पहुंचती है।

हालांकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन खराब जल और भूमि प्रबंधन, सूखा और पर्यावरणीय क्षरण इसे और गंभीर बना रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एक साल के दौरान सतही हवा में मौजूद धूल की औसत मात्रा सबसे अधिक (लगभग 800 से 1,100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) केंद्रीय अफ्रीकी देश चाड में दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां बोदेले डिप्रेशन स्थित है, जो दुनिया के प्रमुख धूल स्रोतों में से एक है।

डब्ल्यूएमओ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा विकसित सूचकांक के अनुसार, 2018–2022 के बीच, 3.8 अरब लोग — यानी विश्व की लगभग आधी जनसंख्या — सुरक्षित सीमा से अधिक धूल के संपर्क में रहे। यह आंकड़ा 2003-2007 की अवधि की तुलना में 31% अधिक है।

2024 में चीन, कैरेबियन, इराक और स्पेन के कैनरी द्वीपों समेत कई क्षेत्रों में तीव्र आंधियों ने परिवहन, कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रभावित किया। अमेरिका में 2017 में ही ऐसी घटनाओं से 154 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ था।

संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय सैंड और डस्ट स्टॉर्म विरोधी दिवस घोषित किया है।

Website |  + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.