हीटवेव से मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा दे सरकार: राजस्थान उच्च न्यायालय

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को हीटवेव से मरने वाले लोगों के आश्रितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है और कहा है कि हीटवेव और शीत लहर को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने की जरूरत है।

उच्च न्यायालय ने पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए राजस्थान के मुख्य सचिव को राजस्थान क्लाइमेट चेंज प्रोजेक्ट के तहत तैयार ‘हीट एक्शन प्लान’ के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तत्काल और उचित कदम उठाने के लिए विभिन्न विभागों की समितियों का गठन करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को अधिक आवाजाही वाली सड़कों पर पानी छिड़कने, जहां आवश्यक हो वहां ट्रैफिक सिग्नलों पर ठंडा स्थान, शेड उपलब्ध कराने, हीटवेव के रोगियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी संभव सुविधाएं प्रदान करने और कुलियों, गाड़ी और रिक्शा चालकों सहित खुले में काम करने वाले सभी श्रमिकों के लिए एडवाइजरी जारी करने का भी निर्देश दिया, ताकि अत्यधिक गर्मी की स्थिति के दौरान दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच वह आराम कर सकें।

अदालत ने कहा कि इस तरह के एक्शन प्लान का मसौदा तैयार करने के बावजूद, सरकार द्वारा व्यापक रूप से जनता को ऐसी भीषण गर्मी की स्थिति से बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।

53% भारतीय मानते हैं खुद को ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित, 34% कर चुके हैं पलायन

एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, 91 प्रतिशत भारतीयों का मानना ​​है कि दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है। सर्वेक्षण में शामिल 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह इस बारे में “बहुत चिंतित” हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को लेकर बेचैनी बढ़ रही है।

क्लाइमेट चेंज इन द इंडियन माइंड, 2023‘ नामक यह सर्वेक्षण येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और भारतीय एजेंसी सीवोटर द्वारा किया गया है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य था लोगों में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता, विश्वास, दृष्टिकोण, नीति समर्थन, व्यवहार और चरम मौसम की घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता के बारे में जानना।

लगभग 53 प्रतिशत भारतीयों का मानना ​​है कि वे पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित हो रहे हैं। लगभग एक-तिहाई भारतीय (34 प्रतिशत) मौसम संबंधी आपदाओं जैसे अत्यधिक गर्मी, सूखा, समुद्र-स्तर में वृद्धि, बाढ़ या अन्य के कारण पहले ही स्थानांतरित हो चुके हैं या ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं।  

78 प्रतिशत भारतीयों के अनुसार, भारत सरकार को ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। केवल 10 प्रतिशत का मानना ​​है कि सरकार ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है।

जलवायु परिवर्तन के कारण थाइलैंड बदलेगा अपनी राजधानी? 

थाइलैंड में जलवायु परिवर्तन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण थाईलैंड अपनी राजधानी बैंकॉक को स्थानांतरित कर सकता है। अनुमानों से लगातार पता चलता है कि सदी के अंत से पहले निचले बैंकॉक के समुद्र में डूब जाने का खतरा है। न्यूज़वायर की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकाक पहले ही बरसात के मौसम में बाढ़ से जूझता रहा है।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण विभाग के पाविच केसवावोंग ने चेतावनी दी कि बैंकाक गर्म होती धरती के साथ अनुकूलन करने में सक्षम नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे उपायों पर विचार कर रही है जिनमें नीदरलैंड की तर्ज पर बांधों का निर्माण शामिल है। 

“बैंकॉक अभी भी राजधानी होगी, लेकिन कामकाज को यहां से हटाकर कहीं और ले जाया जायेगा।” हालाँकि यह कदम अभी भी नीति के रूप में अपनाए जाने से काफी दूर है, लेकिन ऐसा हुआ तो भी यह इस क्षेत्र में पहली बार नहीं होगा। एएफपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया इस साल अपनी नई राजधानी नुसंतारा का उद्घाटन करेगा, जो देश के राजनीतिक केंद्र के रूप में डूबते और प्रदूषित जकार्ता की जगह लेगी।

अरावली पर अवैध खनन: एनजीटी ने दिए नोटिस जारी करने के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने कहा है कि राजस्थान के सीकर जिले में अरावली पहाड़ियों पर चल रहे अवैध खनन की शिकायत गंभीर है। इस मामले में अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीकर के खनन अधिकारी के साथ-साथ अवैध खनन और परिवहन में शामिल लोगों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

ट्रिब्यूनल ने इन सभी से छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। 

अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि की संयुक्त समिति से रिपोर्ट भी तलब की है। इस समिति को मौके का दौरा कर छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक एवं कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

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