G20 देशों में वायु प्रदूषण के कारण मरने वालों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। यहां हर साल 10 लाख से अधिक लोगों की मौत के पीछे वायु प्रदूषण एक कारण है। ब्राउन टु ग्रीन नाम की यह रिपोर्ट क्लाइमेट ट्रांसपरेंसी पार्टनरशिप ने प्रकाशित की है और यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों पर आधारित है। यह रिपोर्ट कहती है कि G20 देशों को 2030 के लिये तय उत्सर्जन रोकने के लक्ष्य अधिक ऊंचे करने होंगे। धरती के तापमान को 1.5 डिग्री तक रोकने के लिये पेरिस समझौते का पालन करने के लिये क्लाइमेट एडाप्टेशन के लक्ष्य ऊंचे करने और वित्तीय मदद के वादों को पूरा करने की ज़रूरत है।
रिपोर्ट के मुताबिक 1.5ºC के लक्ष्य को हासिल करने के लिये भारत को 2030 तक अपने CO2 उत्सर्जन को 4.5 गीगाटन से कम करने और 2050 तक 3.2 गीगाटन तक कम करना होगा लेकिन भारत अभी 73% बिजली कोयले से बनाता है इसलिये वह 2030 तक CO2 उत्सर्जन को 6-6.3 गीगाटन तक ही सीमित कर पायेगा।
वायु प्रदूषण से निबटने के लिये पर्यावरण मंत्रालय ने ₹ 1.69 लाख करोड़ मांगे
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वायु प्रदूषण से निबटने के लिये 15वें वित्त आयोग से ₹1.69 लाख करोड़ की मांग की है। इस धनराशि का 60% हिस्सा उत्तर भारत के अति प्रदूषित राज्यों में खर्च किया जायेगा। मंत्रालय की योजना पराली निस्तारण के लिये टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने और ई-बस खरीद के साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बैटरी वाहन का प्रयोग बढ़ाने की है। पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि उसके पास उतनी धनराशि नहीं है जितनी चाहिये। मंत्रालय ने जलागम क्षेत्र को दुरस्त करने के लिये ₹ 62,438 करोड़ की मांग की है। इसके साथ ही जल स्तर सुधारने और बंजर ज़मीन के लिये कुल ₹ 1.35 लाख करोड़ मांगा है।
NGT का आदेश: देश भर में एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगें, CPCB को दी जाये रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सभी राज्यों के प्रदूषण बोर्डों को आदेश दिया है कि एक साल के भीतर आवश्यक संख्या में एयर क्वॉलिटी मानिटरिंग स्टेशन पूरे देश में लगाये जायें और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को हर तीन महीने में रिपोर्ट दी जाये। पूरे देश अभी मौजूद स्टेशनों के अलावा कुल 2050 अतिरिक्त एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाये जाने हैं जिनमें से 800 निरंतर लाइव निगरानी वाले स्टेशन होंगे। बाकी 1250 मैन्युअल मॉनिटरिंग स्टेशन होंगे।
NGT ने राज्यों को इस बात के लिये फटकार लगाई कि वह पिछले पांच साल में प्रदूषण फैला रही सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों कोई जुर्माना नहीं वसूल पाये। कोर्ट ने CPCB को अब इन इकाइयों से जुर्माना वसूलने के लिये 15 फरवरी 2020 तक का वक़्त दिया है।
दिल्ली-एनसीआर ईंट के भट्ठे 15 दिसंबर तक बंद, आतिशबाज़ी पर जुर्माना बढ़ेगा
NGT का कहना है कि दिल्ली में पटाखे छोड़ने पर मात्र 1000 रुपये का जुर्माना लगाना काफी नहीं है और इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ग्रीन कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह जुर्माना यह देखकर लगाये कि नियम तोड़ने वाले की आर्थिक स्थिति क्या है और उसने कितनी बार नियम तोड़ा है। इसके अलावा NGT ने दिल्ली-NCR के 7000 से अधिक ईंट भट्ठों को 15 दिसंबर तक बंद रखने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस कदम का एयर क्वॉलिटी पर क्या असर पड़ा इसकी रिपोर्ट अदालत में जमा की जाये।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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