उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को खीरगंगा में आई अचानक बाढ़ की वजह से धराली कस्बे का नक्शा तो बदल ही गया है, बल्कि हर्षिल पर भी खतरा मंडरा रहा है। 5 अगस्त को सिर्फ खीर गंगा में ही उफान नहीं आया था, हर्षिल में तेलू गाड़ भी उफन गया था और इससे आर्मी कैंप को नुकसान पहुंचा था।
इस वजह से हुए भूस्खलन के कारण भागीरथी नदी में एक झील भी बन गई थी, जो अब चिंता का सबब बनी हुई है। हालांकि उत्तराखंड के सिंचाई विभाग का कहना है कि इस झील से खतरा नहीं है, क्योंकि पानी का रिसाव लगातार हो रहा है। हर्षिल तक सड़क मार्ग से पहुंच न होने के चलते अभी इस झील के मुहाने को हाथ से खोलने की कोशिश की जा रही है।
एक का शव मिला, 42 लापता
धराली त्रासदी के छह दिन बाद प्रशासन ने पहली बार इस आपदा में लापता हुए लोगों के बारे में जानकारी दी। गढ़वाल आयुक्त गढवाल विनय शंकर पांडे ने उत्तरकाशी के आपदा नियंत्रण कक्ष में पत्रकार वार्ता में बताया कि अभी तक इस आपदा में 43 लोगों के लापता होने की सूचना थी, जिनमें से धराली गांव के एक युवक आकाश पंवार का शव बरामद हुआ है।
शेष लापता 42 लोगों में 9 सेना के कर्मचारियों के साथ ही धराली गांव के 8 तथा निकटवर्ती क्षेत्रों के 5 लोग शामिल हैं। टिहरी जिले का एक, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह व्यक्ति भी लापता बताए गए हैं।
गढ़वाल आयुक्त ने बताया कि इनके अतिरिक्त 29 नेपाली मजदूरों के लापता होने की भी सूचना मिली थी, हालांकि मोबाइल नेटवर्क बहाल होने के बाद इनमें से पांच व्यक्तियों से संपर्क हो गया।
बाकी 24 मजदूरों के संबंध में उनके ठेकेदारों से ज़्यादा जानकारी नहीं मिली। माना जा रहा है कि अभी तक सकुशल मिले पांच मजदूरों की तरह शेष अन्य मजदूर भी कहीं और जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ आपदा के दौरान भी लापता बताए गए कई लोग प्रभावित क्षेत्र से वापस अपने घर पहुंच चुके थे। अन्य राज्यों के लापता लोगों के घरों का पता जुटाकर भी उनकी खोज-खबर का प्रयास किया जा रहा है। इन लोगों के बारे में अंतिम वस्तुस्थिति एक-दो दिन में साफ होने की उम्मीद है।
विनय शंकर पांडे ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र ले 1,278 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। मलबे के भीतर दबे लोगों की खोज करने के लिए एनडीआरएफ की टीम सहित अलग से एक विशेष अधिकारी मौके पर तैनात किए गए हैं। एसडीआरएफ के आईजी भी मौके पर मौजूद हैं। देहरादून से 10 विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भी भेजी गई है।
मंडलायुक्त के अनुसार धराली गांव के आपदा प्रभावितों को तत्कालिक तौर पर पांच लाख रुपए की अनुग्रह राशि का वितरण शुरू किया जा चुका है। प्रभावित लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न, कपड़े व दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराई गई है। प्रभावितों के राहत और पुनर्वास पर सलाह देने के लिए राजस्व सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है।
खतरा नहीं है हर्षिल में बनी झील
मंडलायुक्त ने बताया कि हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी झील से पानी निकासी के लिए सिंचाई विभाग और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड ने रविवार से ही काम शुरू कर दिया था।
देहरादून में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता सुभाष चंद्र ने बताया कि भागीरथी नदी में मलबा आने से यह झील 5 तारीख को ही बन गई थी। उन्होंने 7 तारीख को इस झील का मुआयना भी किया था। तब उम्मीद की जा रही थी कि सड़क मार्ग दुरुस्त हो जाने पर मशीनों से इस झील को खोला जा सकेगा लेकिन फिर इसे हाथ से (मैनुअली) खोलने की कोशिश करने का फैसला किया गया।
हेलिकॉप्टर से 20 मजदूरों, दो सहायक अभियंताओं और पांच कनिष्ठ अभियंताओं को वहां भेजा गया है।
वह उम्मीद जताते हैं कि लिंचागाड़ में बेली ब्रिज तैयार होने के बाद अब उससे आगे सड़क निर्माण भी दो-एक दिन में हो जाएगा और फिर चार पोकलैंड मशीनों इस झील तक पहुंच जाएंगी। तब उनसे मलबा हटा दिया जाएगा और इस झील को पंक्चर कर इसका पानी सुरक्षित तरीके से निकाल दिया जाएगा।
मीडिया में इस झील से हर्षिल को खतरा होने की अटकलों को सुभाष चंद्र खारिज करते हैं। वह कहते हैं कि यह ठीक है कि नदी की चौड़ाई का 90 फ़ीसदी पानी मलबा आने से अवरुद्ध हो गया है लेकिन झील के दाईं ओर से दस फ़ीसदी पानी का रिसाव (ओवरफ़्लो) लगातार हो रहा है। झील का स्तर लगभग वही है जो पांच तारीख की शाम को था। इसके लगातार बड़े होने की बात सही नहीं है।
यह झील 1.3 किलोमीटर लंबी और करीब 75-80 मीटर चौड़ी है।
वह कहते हैं कि मौके पर मौजूद उनकी टीम दाईं ओर से मैनुअली झील के मुहाने को चौड़ा करने की कोशिश कर रही है। अगर झील का पानी एक मीटर भी कम कर पाए तो बाईं ओर मौजूद सड़क से पानी निकल जाएगा। इसके बाद सड़क पर आए मलबे को हटाकर उसे इस्तेमाल लायक बनाया जा सकेगा।
सुभाष चंद्र कहते हैं कि यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि झील को खोलने की कोशिश कर रहे मज़दूर सुरक्षित रहें। सभी सुरक्षा इंतज़ाम करने के बाद ही काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि धराली में आपदा आने वाले हफ़्ते में उत्तरकाशी में मौसम सामान्य ही दर्ज किया गया है। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 30 जुलाई से 6 अगस्त के हफ़्ते में उत्तरकाशी में होने वाली सामान्य बारिश 104.4 मिलीमीटर होती है और इस दौरान वास्तविक बारिश 104.1 मिलीमीटर ही दर्ज की गई।
(यह स्टोरी डाउन टू अर्थ से साभार ली गई है।)
Rajesh Dobriyal
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