ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि विकासशील देश नियोजित यूटिलिटी-स्केल पर पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रणी हैं। दुनिया की जीडीपी में 45% हिस्सेदारी रखने के बावजूद, जी 7 देशों का इन आगामी परियोजनाओं में केवल 10% योगदान है।
पिछले साल संभावित क्षमता में 1.3 टेरावाट से अधिक जोड़कर चीन इस दौड़ में सबसे आगे है। यह वैश्विक नियोजित क्षमता का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है। ब्राजील 417 गीगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है। भारत में 130 गीगावाट की परियोजनाएं प्रक्रिया में हैं। भारत का लक्ष्य मार्च 2025 तक 35 गीगावाट को ग्रिड से जोड़ने का है। हालांकि, चीन के बाहर नियोजित क्षमता का केवल 7% हिस्सा वर्तमान में निर्माणाधीन है। यह एक संकेत है कि परियोजनाओं के पूरा होने में चुनौतियों का सामना करना होगा।
अदाणी समूह ने श्रीलंका की 484 मेगावाट की पवन परियोजना को छोड़ा
अदाणी समूह ने उत्तरी श्रीलंका में 484 मेगावाट (मेगावाट) की एक महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा परियोजना से हटने का फैसला किया है। अडानी ग्रीन एनर्जी ने प्रोजेक्ट की शर्तों पर फिर से बातचीत करने के सरकार के फैसले का हवाला देते हुए बुधवार को श्रीलंका के निवेश बोर्ड को सूचित किया कि वह सम्मानपूर्वक परियोजना से हट रही है। अदाणी ग्रुप को श्रीलंकाई अधिकारियों ने संकेत दिया कि प्रस्ताव के पुनर्मूल्यांकन के लिए नई समितियां बनाई जाएंगी।
शुरुआत में इस परियोजना को 20 साल के बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के साथ मंजूरी दी गई थी और इसमें 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की बात कही गई थी। पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसनायके के चुनाव के बाद से इसे कड़ी जांच का सामना करना पड़ रहा है। डिसनायके ने पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करने के वादे पर ही अभियान चलाया था, जिससे स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों और पास के पक्षी गलियारे पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ गई थीं।
भारत में 100 गीगावाट से अधिक हुई स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता
पीवी मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता को पार कर लिया है। 31 जनवरी, 2025 तक भारत की कुल स्थापित सौर क्षमता 100.33 गीगावाट थी। जिसमें से 84.10 गीगावाट कार्यान्वयन के अधीन हैं जबकि अतिरिक्त 47.49 गीगावाट की टेंडरिंग चल रही है।
देश की हाइब्रिड और राउंड-द-क्लॉक (आरटीसी) अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इनमें 64.67 गीगावाट की परियोजनाएं कार्यान्वयन और टेंडरिंग के अधीन हैं, जिससे सौर और हाइब्रिड परियोजनाओं का कुल आंकड़ा 296.59 गीगावाट पर पहुंच गया है।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अनुदान में 100% की वृद्धि
केंद्रीय बजट 2025-26 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 600 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो पिछले 300 करोड़ रुपए के आवंटन की तुलना में 100 प्रतिशत की वृद्धि है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि का उद्देश्य भारत को ‘ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना है।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के आरंभिक परिव्यय के साथ शुरू किया गया था, जिसमें साइट योजना के तहत इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 17,490 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल था। एम्बर के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक 412,000 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता और 1.5 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता के लिए निविदाएं प्रदान की गई हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।