फोटो: Nattanan Kanchanaprat/Pixabay

कॉप30: 1.3 ट्रिलियन डॉलर क्लाइमेट फाइनेंस का रोडमैप जारी

कॉप30 प्रेसीडेंसी ने बुधवार को ‘बाकू टू बेलेम रोडमैप टू 1.3 ट्रिलियन’ नामक वैश्विक प्लान जारी किया जिसका लक्ष्य 2035 तक हर साल 1.3 ट्रिलियन डॉलर जुटाना है ताकि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उचित क्लाइमेट फाइनेंस मिल सके।

गौरतलब है कि इस रोडमैप में कोई नया नियम या कोष नहीं बनाया गया है, बल्कि यह मौजूदा वित्तीय संस्थाओं, विकास बैंकों, जलवायु कोषों और निजी निवेशकों का एक समन्वित दिशा की ओर मार्गदर्शन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.3 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट फाइनेंस अब ‘वैकल्पिक नहीं बल्कि आवश्यक है’। योजना का उद्देश्य जलवायु वित्त संबंधी वादों को वास्तविकता में बदलना है ताकि गरीब और जलवायु-संवेदनशील देशों को नवीकरणीय ऊर्जा, अनुकूलन और आपदा पुनर्निर्माण के लिए धन सुलभ हो सके।

यह रोडमैप कॉप29 (बाकू) में हुए समझौते पर आधारित है, जहां सभी देशों, बैंकों और व्यवसायों से इस लक्ष्य के लिए सहयोग की अपील की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में विकासशील देशों को सिर्फ 196 अरब डॉलर की बाहरी जलवायु सहायता मिल रही है, जबकि वास्तविक जरूरत इससे कई गुना अधिक है।

फाइनेंस के स्रोत

रोडमैप के अनुसार सरकारी रियायती (कंसेशनल) फंड, निजी निवेश, ग्लोबल साउथ देशों के आपसी सहयोग, कार्बन मार्केट, और नए स्रोतों जैसे स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स और विशेष करों के ज़रिए अधिक फाइनेंस जुटाया जा सकता है। 

इसके अनुसार अनुमानित रूप से द्विपक्षीय रियायती फाइनेंस से 80 अरब डॉलर, बहुपक्षीय बैंकों और जलवायु कोषों से 300 अरब डॉलर, ग्लोबल साउथ देशों के बीच आपसी सहयोग से 40 अरब डॉलर, निजी क्रॉस-बॉर्डर निवेश से 650 अरब डॉलर और नए सस्ते स्रोतों से 230 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं।

विकासशील देशों पर बढ़ रहा कर्ज 

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में विकासशील देशों ने 921 अरब डॉलर ब्याज में चुकाए। 61 देशों ने अपनी सरकारी आय का 10% से अधिक सिर्फ ब्याज पर खर्च किया। ‘डेट स्वैप’ और जलवायु-संवेदनशील कर्ज के प्रावधानों को उपयोगी उपकरण बताते हुए रिपोर्ट में आईएमएफ व बैंकों से सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु कोषों को 2030 तक (2022 की तुलना में) अपनी वार्षिक सहायता तीन गुना करनी चाहिए। विकास बैंक को कम ब्याज दरों और लंबी अवधि के लिए अधिक कर्ज देने की सिफारिश की गई है। साथ ही स्थानीय मुद्राओं में भी कर्ज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।

रोडमैप में कर्ज की लागत घटाने के उपाय भी सुझाए गए हैं, जैसे — कर्जदाता के साथ जोखिम साझा करने की गारंटी, मुद्रा विनिमय हानि से सुरक्षा और ऐसी व्यवस्थाएं जिनसे बैंक के पास लोन देने के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध हो।

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