चीन सरकार अपनी नई पंचवर्षीय योजना (2026–2030) में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को रणनीतिक उद्योगों की सूची से बाहर रखने की तैयारी में है, जिससे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में ईवी पर दी जाने वाली सब्सिडी घटाई या समाप्त की जा सकती है।
यह संकेत है कि सरकार अब इस क्षेत्र को बाजार के भरोसे छोड़ना चाहती है, ताकि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और उत्पादन में संतुलन लाया जा सके। फिलहाल चीन में 150 से अधिक ईवी निर्माता हैं, जिनमें पुनर्गठन की संभावना है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर सब्सिडी में कटौती होती है, तो घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों घट सकते हैं। इससे उन वैश्विक बाजारों को राहत मिल सकती है जहां सस्ते चीनी ईवी की भरमार है, और यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में अन्य कार निर्माताओं के लिए नए अवसर खुल सकते हैं।
ट्रंप की नीतियों के चलते ईवी रेस में चीन से पिछड़ रहा अमेरिका
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन की पेट्रोल इंजन को समर्थन देने वाली नीतियों के चलते अमेरिका वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्रतिस्पर्धा में चीन से काफी पीछे रह सकता है। निवेश में तेज गिरावट से ईवी परियोजनाओं की गति धीमी पड़ सकती है और उद्योग में इनोवेशन कम हो सकता है। आलोचक कहते हैं कि समर्थन घटने से चीन की बढ़त और मजबूत होगी और यूरोप में 2035 से अंतर्दहन इंजन (आईसीई) पर प्रतिबंध को लेकर संदेह उत्पन्न हो सकता है। वोल्वो के सीईओ हाकन सैमुएलसन ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के लिए विकास तेज होना जरूरी है; संकेत कमजोर पड़े तो सब कुछ धीमा हो जाएगा।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 108% बढ़ी
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री अब तेजी पकड़ रही है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 91,726 यूनिट रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 108% अधिक है। यह संख्या पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में बिकी लगभग 1.1 लाख इलेक्ट्रिक कारों का 86% है। इससे पता चलता है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहन अडॉप्शन तेजी से बढ़ रहा है।
अब इलेक्ट्रिक कारों का हिस्सा कुल यात्री वाहन बिक्री में लगभग 5% तक पहुंच गया है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में यह केवल 2.6% था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रुझान बताता है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार लगातार मजबूत हो रहा है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
