सिर्फ आग और धुंआ: जानकारों को शक है कि अमेज़न में धधकी आग के पीछे राष्ट्रपति बोल्सनारो की सोची समझी रणनीति है। फोटो – Greenpeace

अमेज़न: ब्राज़ील के दावे झूठे, जानकारों ने हालात बिगड़ने की चेतावनी दी

ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्री रिकार्डो सेल्स ने “शुष्क मौसम, हवा और गर्मी” को अमेज़न के जंगलों में लगी आग के लिये ज़िम्मेदार ठहराया है। हालांकि जानकार कहते हैं कि इस तरह  के हालात के लिये राष्ट्रपति जायर बोल्सानारो की नीतियों ज़िम्मेदार हैं जिसकी वजह से जंगलों का तेज़ी से कटान हुआ है।  जंगल जैसे जैसे कटते गये हैं आग की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।

बोल्सनारो ने दावा किया कि हालात सामान्य हो रहे हैं। ब्राज़ील के विदेश मंत्री ने भी कहा आग को सफलतापूर्वक बुझाया जा रहा है लेकिन एक फॉरेस्ट इंजीनियर तासो एज़ीविडो – जो कि जंगल कटान की निगरानी कर रहे ग्रुप मैपबायोमास से जुड़े हैं – ने कहा है कि हालात अभी और खराब होंगे। ब्राज़ील के भीतर अगस्त के महीने में 1100 वर्ग किलोमीटर से अधिक अमेज़न फॉरेस्ट नष्ट हो गया। 

चिन्ता की बात है कि अमेज़न ही नहीं दुनिया में अन्य जगह भी जंगलों में ऐसी आग फैल रही है जहां अब आग लगने की घटनायें नहीं हुआ करती थीं। इनमें साइबेरिया और अलास्का के जंगल शामिल हैं। साइबेरिया में जुलाई से अब तक 60 लाख एकड़ जंगल जल गये हैं जबकि अलास्का में 25 लाख एकड़ में आग फैल गई है।

समुद्र सतह में बढ़ोतरी, गर्म होते महासागर लायेंगे आपदा: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

अगर कार्बन इमीशन पर काबू नहीं किया गया तो हमारे समुद्र मानवता के शत्रु बन सकते हैं। समाचार एजेंसी AFP ने IPCC की ड्राफ्ट “स्पेशल रिपोर्ट” के हवाले से यह ख़बर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बदलाव शुरू हो चुका है जिससे मछलियों की संख्या में कमी और चक्रवाती तूफान में कई गुना बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इससे लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित होंगे।   

सबसे अधिक प्रभाव छोटे द्वीप-देशों पर पड़ेगा और तटीय इलाकों में रह रही आबादी इससे बहुत प्रभावित होगी। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर भी इस बदलाव की चोट पड़नी तय है। भारत में सुंदरवन जैसे इलाकों का वजूद संकट में पड़ जायेगा। इस ख़बर के लीक होने के बाद IPCC ने बयान जारी कर कहा है कि यह रिपोर्ट अभी लिखी जा रही है और इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

जलवायु परिवर्तन से बदल रहा है दुनिया में बाढ़ का पैटर्न

एक नये शोध से पता चला है कि यूरोप में बाढ़ की घटनाओं के बदलते पैटर्न के पीछे जलवायु परिवर्तन का असर है। साइंस जर्नल नेचर में छपे शोध के मुताबिक पिछले 50 साल में यूके समेत उत्तर-पश्चिमी यूरोप में बाढ़ में भयानक वृद्धि हुई है जबकि दक्षिणी और पूर्वी यूरोप में ऐसी घटनायें कम हुई हैं। मिसाल के तौर पर उत्तरी इंग्लैंड और दक्षिणी स्कॉटलैंड में बाढ़ की घटनाओं में हर दशक में 11% बढ़ोतरी हो रही है जबकि रूस में ऐसी घटनाओं की संख्या में 23% गिरावट दर्ज की गई है। इन नतीजों तक पहुंचने के लिये शोधकर्ताओं ने 3,738 बाढ़ गणना केंद्रों के रिकॉर्ड्स   का अध्ययन किया जिनमें 1960 से लेकर 2010 तक के आंकड़े थे।

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दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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