ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (जीईएम) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, बंद पड़ी कोयला खदानों में लगभग 300 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की जा सकती है।
कार्बनकॉपी ने जीईएम की रिपोर्ट पर बताया कि 5,280 वर्ग किलोमीटर में फैली 446 बंद की जा चुकी खदानें सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उपयुक्त हैं।
इन परियोजनाओं से 300 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की जा सकती है, जो वैश्विक स्थापित सौर क्षमता का 15 प्रतिशत है।
चीन ने अब तक 90 बंद खदानों को सौर संयंत्रों में बदला है, जिससे 14 गीगावाट बिजली उत्पन्न हो रही है। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ग्रीस सहित 14 अन्य देश भी इस दिशा में शुरुआती प्रयास कर रहे हैं।
जून 2028 के बाद शुरू होने वाली सौर, पवन परियोजनाओं को नहीं मिलेगी ट्रांसमिशन शुल्क में छूट
केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) ने इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क माफी की समय-सीमा जारी की है।
मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून 2025 तक चालू होने वाली सौर, पवन या हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को 25 वर्षों तक पूर्ण आईएसटीएस शुल्क माफी मिलेगी। 2025 से 2028 के बीच चालू होने वाली परियोजनाओं को 75% की अपेक्षा 25% तक की छूट दी जाएगी।
30 जून 2028 के बाद चालू होने वाली परियोजनाओं को कोई छूट नहीं दी जाएगी। वहीं बैटरी और पंप स्टोरेज सिस्टम को कुछ शर्तों के साथ 12 से 25 वर्षों तक की छूट मिलेगी।
तमिलनाडु अतिरिक्त ग्रीन एनर्जी स्टोरेज के लक्ष्य के करीब, तीन कंपनियों को 1,000 मेगावाट-ऑवर प्रणाली के लिए मिली निविदा
निवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (एनएलसी इंडिया) लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड सहित तीन कंपनियों को तमिलनाडु में 1000 मेगावाट-ऑवर बैटरी भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए टीएन ग्रीन एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा जारी निविदा प्रदान की गई।
एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड को 500 मेगावाट-ऑवर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली प्रदान की गई, बॉन्डाडा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 400 मेगावाट-ऑवर बैटरी भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए बोली जीती, और ओरियाना पावर लिमिटेड 100 मेगावाट-ऑवर भंडारण सुविधा स्थापित करेगी।
इस कदम से तमिलनाडु अतिरिक्त ग्रीन एनर्जी के भंडारण को हासिल करने के करीब पहुंच गया है। ये कंपनियां अधिकतम बिजली मांग के समय दो चक्रों में 1 लाख मिलियन यूनिट बिजली जारी करेंगी।
आईआईटी बॉम्बे ने हिमालयी घरों को गर्म रखने के लिए बनाया सौर ऊर्जा संचालित उपकरण
आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक सौर-ऊर्जा आधारित उपकरण विकसित किया है, जो हिमालयी क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान घरों को गर्म रखने में मदद करेगा। यह प्रणाली स्ट्रोंशियम ब्रोमाइड नमक का उपयोग करती है, जो गर्मियों में सौर ताप संग्रहित कर सर्दियों में छोड़ती है।
यह डीजल हीटर और लकड़ी जलाने के पारंपरिक स्रोतों का स्वच्छ और टिकाऊ विकल्प है। प्रत्येक मॉड्यूल दो गैस सिलेंडरों के बराबर आकार का है और पुनःचार्ज होकर सर्दियों से पहले हिमालयी क्षेत्रों में पहुंचाया जा सकता है।
यह प्रणाली वर्षों तक चल सकती है और लंबे समय में लागत प्रभावी साबित होती है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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