भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को बताया कि देश की नवीकरणीय क्षमता 2014 के 81 गीगावाट से बढ़कर अब 257 गीगावाट हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत की सौर क्षमता 2.8 गीगावाट से बढ़कर 128 गीगावाट, सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता 2 गीगावाट से बढ़कर 110 गीगावाट और सौर सेल निर्माण ‘शून्य’ से 27 गीगावाट तक पहुंची है।
जोशी ने बताया कि वर्ष 2025-26 के अंत तक 6 गीगावाट नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी जाएगी, जो अब तक की सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि होगी। वर्तमान में भारत के पास 54 गीगावाट पवन क्षमता है और 30 गीगावाट निर्माणाधीन है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक पवन ऊर्जा से 100 गीगावाट उत्पादन का है। तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश मिलकर देश की कुल पवन क्षमता का लगभग आधा हिस्सा योगदान करते हैं।
भारत ने आईएसए आमसभा में पेश की नई वैश्विक सौर पहलें, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा – ऊर्जा संक्रमण हो समावेशी
भारत ने दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की आठवीं आम सभा में कई नए वैश्विक सौर कार्यक्रमों की घोषणा की जिनका उद्देश्य सौर ऊर्जा को अधिक टिकाऊ, सुलभ और समावेशी बनाना है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभा का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘ऊर्जा संक्रमण तभी सार्थक होगा जब इसमें कोई महिला, किसान, गांव या द्वीप पीछे न छूटे’।
इस मौके पर भारत ने सनराइज (सोलर अपसाइक्लिंग नेटवर्क फॉर रीसाइक्लिंग, इनोवेशन एंड स्टेकहोल्डर इंगेजमेंट) पहल की घोषणा की, जो पुराने सौर पैनलों और उपकरणों को रिसाइकिल कर सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।
इसके साथ ही ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (OSOWOG) परियोजना को भी आगे बढ़ाने की रूपरेखा पेश की गई, जिसका लक्ष्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच सौर ग्रिड नेटवर्क को जोड़ना है।
आईएसए ने भारत में एक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) स्थापित करने की योजना भी साझा की, जो “सोलर सिलिकॉन वैली” के रूप में शोध, प्रशिक्षण और डिजिटल नवाचार का केंद्र बनेगा।
वहीं, SIDS प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म नामक एक नई योजना 16 छोटे द्वीप देशों के लिए शुरू की गई है, ताकि वे सौर तकनीक की सामूहिक खरीद और क्षमता निर्माण कर सकें।
आईएसए के अनुसार, अब तक सदस्य देशों ने 1,000 गीगावाट से अधिक सौर क्षमता जोड़ी है। नई घोषणाएं इस मिशन को ‘प्रयोग’ से ‘विस्तार’ की दिशा में ले जाने का संकेत देती हैं, जिससे भारत ने एक बार फिर वैश्विक सौर नेतृत्व में अपनी भूमिका को मजबूत किया है।
भारत की बिजली उत्पादन क्षमता 500 गीगावाट के पार, नवीकरणीय की हिस्सेदारी 50% से अधिक
भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 500 गीगावाट के पार पहुंच गई है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है। ऊर्जा मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि यह उपलब्धि ऊर्जा क्षेत्र में वर्षों से जारी नीतिगत सहयोग, निवेश और टीमवर्क का परिणाम है।
मंत्रालय के अनुसार, 30 सितंबर 2025 तक देश की कुल स्थापित क्षमता 500.89 गीगावाट हो गई है, जो 2014 में 249 गीगावाट थी। इसमें 256.09 गीगावाट गैर-जीवाश्म स्रोतों — जैसे नवीकरणीय, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा — से है, जो कुल क्षमता का लगभग 51 प्रतिशत है। जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन 244.80 गीगावाट यानी 49 प्रतिशत है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 28 गीगावाट गैर-जीवाश्म और 5.1 गीगावाट जीवाश्म क्षमता जोड़ी गई।
जलवायु परिवर्तन के कारण पवन ऊर्जा उत्पादन हो सकता है प्रभावित
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में हवा की गति धीमी हो रही है, जिससे तापमान बढ़ने, प्रदूषण बढ़ने और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बाधित होने का खतरा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ‘ग्लोबल स्टिलिंग’ नामक यह घटना तब होती है जब लंबे समय तक हवा स्थिर रहती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 1960 से 2010 तक हवा की गति घटी, 2010 के बाद थोड़ी बढ़ी, लेकिन भविष्य में इसके फिर से घटने की संभावना है।
इससे पवन ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां 20% वैश्विक टर्बाइन स्थित हैं। यूरोप में 2100 तक उत्पादन में 10% कमी आने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर हवाएं न केवल ऊर्जा आपूर्ति घटाती हैं, बल्कि गर्मी की लहरों और प्रदूषण को भी बढ़ा सकती हैं।
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