फोटो: Zoltan Matuska/Pixabay

सिर्फ 20 से 28 डिग्री तक चलेगा एसी: नया नियम लाने की तैयारी में सरकार

भारत सरकार एक नया नियम लाने की तैयारी कर रही है जिसके तहत घरों, दफ्तरों, गाड़ियों और यहां तक कि होटलों में भी एयर कंडीशनर (एसी) केवल 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के दायरे में ही चलाए जा सकेंगे। ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसे एक “अपनी तरह का पहला प्रयोग” बताया है। 

इस पहल का उद्देश्य है ऊर्जा ग्रिड पर बढ़ते दबाव को कम करना, अत्यधिक बिजली की खपत पर लगाम लगाना और उपभोक्ताओं के बिल को घटाना। 

मुंबई के ग्लेनीगल्स और दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पतालों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बाहर तेज गर्मी के दौरान कमरे के भीतर बहुत अधिक ठंडे वातावरण से बचना श्वसन संबंधी समस्याएं, डिहाइड्रेशन और टेम्परेचर शॉक को कम करने में मदद करता है। 

अध्ययनों से पता चलता है कि कमरे के तापमान में सिर्फ 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से एसी की बिजली खपत लगभग 6 प्रतिशत तक घट सकती है, जिससे हर साल करोड़ों रुपए की बचत हो सकती है।

यह नीति भारत को जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों द्वारा अपनाए गए वैश्विक ऊर्जा बचत मानकों के करीब लाएगी।

पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी की नीति को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी पूर्वव्यापी मंजूरी देने वाली केंद्र सरकार की दो नीतियों को अवैध और पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया है। मोंगाबे इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उन परियोजनाओं को राहत दी थी जो पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) अधिसूचना का उल्लंघन कर बिना पर्यावरण मंजूरी के शुरू की गई थीं या उन्होंने स्वीकृत दायरे का उल्लंघन किया था।

कोर्ट ने 2017 की अधिसूचना और 2021 के कार्यालय ज्ञापन (ओएम) की सख्त आलोचना करते हुए इन्हें गैरकानूनी करार दिया, क्योंकि इनके जरिए अधिकारियों को पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी देने का अधिकार मिल गया था — जिसे न्यायालय ने कानून के खिलाफ और पर्यावरण के लिए घातक बताया।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के अन्य फैसलों से अलग है और इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

सूत्रों के मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने या पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 में संशोधन कर ईआईए उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं से निपटने के लिए नई व्यवस्था बनाने पर विचार कर रहा है।

बॉन जलवायु वार्ता से पहले भारत ने जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए अधिक योगदान का आह्वान किया

बॉन में इस महीने हो रही जलवायु वार्ता से पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन को दिए गए एक “संक्षिप्त और कड़े शब्दों वाले” निवेदन में भारत ने कहा कि “पर्याप्त जलवायु वित्त के बिना, प्रस्तावित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) भी साकार नहीं होंगे, भविष्य की कोई महत्वाकांक्षी [प्रतिज्ञा] तो दूर की बात है।” हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक भारत ने बाकू में हुए क्लाइमेट सम्मेलन में जलवायु वित्त के परिणाम पर अपनी आपत्ति दोहराई।

भारत के सुझावों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि “बाकू से बेलेम रोडमैप…पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 के अनुसार वित्तीय चर्चा को सही दिशा में लाने का एक अवसर है”। भारत ने कहा कि रोडमैप में “जलवायु कार्रवाई की देश द्वारा नेतृत्व वाली प्रकृति को मान्यता दी जानी चाहिए” और चेतावनी दी कि “अत्यधिक उधार के माध्यम से जलवायु पहलों के लिए अत्यधिक ऋण लेने से देश की राजकोषीय स्थिरता को खतरा है”।

भारत के दो और वेटलैंड रामसर सूची में शामिल, कुल संख्या हुई 91

भारत के दो और वेटलैंड स्थलों को रामसर सूची में शामिल किया गया है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की कुल संख्या अब 91 हो गई है। नए जोड़े गए स्थल राजस्थान के फलोदी स्थित खीचन और उदयपुर का मेनार हैं। मेनार झील, जिसे ‘बर्ड विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है, पक्षी प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए विशेष महत्व रखती है। यहां स्थानीय समुदाय की ओर से पक्षियों के संरक्षण में निभाई जा रही भूमिका को अब वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है।

रामसर सूची का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) का एक ऐसा नेटवर्क विकसित और संरक्षित करना है, जो वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण और मानव जीवन के सतत अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह उद्देश्य इन वेटलैंड्स के इकोलॉजिकल फैक्टर्स, प्रक्रियाओं और उनसे मिलने वाले लाभों को बनाए रखने के माध्यम से पूरा किया जाता है।

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