एस&पी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत को 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए 2025 से 2030 के बीच हर साल 50 गीगावाट की वृद्धि करनी होगी। यह पिछले वर्ष की 29 गीगावाट की वृद्धि से लगभग दोगुनी है।
इसके लिए 175 अरब डॉलर की निवेश आवश्यकता होगी, जबकि ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के विस्तार के लिए अतिरिक्त 150 अरब डॉलर लग सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकांश कंपनियां विस्तार के लिए कर्ज का सहारा लेंगी। भारत में सौर ऊर्जा सबसे सस्ती और लोकप्रिय नवीकरणीय स्रोत बनी हुई है।
बिजली उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी हुई 19%
भारत में इस साल मई में बिजली की मांग में गिरावट और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि के चलते कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़कर 17 प्रतिशत हो गई, जबकि जून के पहले 10 दिनों में यह 19 प्रतिशत पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। मई में बिजली की मांग में 4 प्रतिशत और पीक डिमांड में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जिसके मुख्य कारण थे सामान्य से अधिक वर्षा और पिछले महीने मांग की अधिकता।
इस बीच, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मई में 17.13 प्रतिशत बढ़कर 226.74 गीगावाट पहुंच गई। इसमें सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 31.49 प्रतिशत बढ़कर 110.83 गीगावाट और पवन ऊर्जा 10.49 प्रतिशत बढ़कर 51.29 गीगावाट रही।
सरकार ने इस बीच 30 गीगावाट-ऑवर बैटरी भंडारण के लिए 54 अरब रुपए की नई सहायता और आईएसटीएस शुल्क माफी जैसी नीतियों के ज़रिए भंडारण क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया है।
भारत सरकार ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज निर्माण के लिए नई फंडिंग स्कीम की घोषणा की
भारत ने 30 गीगावाट-ऑवर (जीडब्ल्यूएच) की नई बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईईएस) विकसित करने के लिए 5,400 करोड़ रुपए (करीब 631 मिलियन डॉलर) की नई योजना की घोषणा की है। इसका उद्देश्य 24×7 नवीकरणीय ऊर्जा सुनिश्चित करना है।
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना पहले से लागू 3,700 करोड़ रुपए की योजना के अलग होगी, जिसके तहत 13.2 जीडब्ल्यूएच बीईईएस पर काम चल रहा है।
नई योजना के तहत 15 राज्यों को 25 जीडब्ल्यूएच और सरकारी कंपनी एनटीपीसी को 5 जीडब्ल्यूएच आवंटित किए जाएंगे।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 30 जून 2028 तक चालू होने वाली बीईईएस परियोजनाओं को इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन चार्ज से 100% छूट देने का भी फैसला किया है। लेकिन इसके लिए उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ स्थापित करना होगा।
एएलएमएम सूची में 2.98 गीगावाट विनिर्माण क्षमता का इजाफा
केंद्र सरकार ने अप्रूव्ड लिस्ट ऑफ मॉड्यूल्स एंड मैनुफैक्चरर्स (एएलएमएम ) को संशोधित करते हुए 2,988 मेगावाट की नई सोलर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता शामिल की है। मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद देश की कुल अनुमोदित सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता बढ़कर 90,959 मेगावाट हो गई है।
इस बार रिलायंस इंडस्ट्रीज को पहली बार एएलएमएम सूची में शामिल किया गया है, जिसकी विनिर्माण क्षमता 1,716 मेगावाट है। अवाडा इलेक्ट्रो ने अपनी क्षमता में 1,272 मेगावाट की वृद्धि की है। वहीं, सासा एनर्जी की क्षमता 100 मेगावाट से घटाकर 98 मेगावाट कर दी गई है, जिससे सूची में 2 मेगावाट की कमी दर्ज हुई है।
अब सूची में कुल 105 सोलर मॉड्यूल निर्माता शामिल हो चुके हैं। गौरतलब है कि इसी वर्ष मई में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एएलएमएम को 8,653 मेगावाट की नई सौर मॉड्यूल क्षमता के साथ संशोधित किया था।
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