Vol 1, February 2025 | जलवायु आपदाओं से 30 साल में हुई 80,000 लोगों की मौत

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चरम मौसम से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत छठे स्थान पर

पिछले एक दशक में चरम मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित 10 देशों में भारत छठे स्थान पर है। जर्मनवॉच द्वारा जारी क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 के अनुसार, 1993 से 2022 के बीच भारत ने 400 से अधिक चरम मौसम की घटनाओं का सामना किया, जिसके परिणामस्वरूप 80,000 लोगों की मौत हुई और 180 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। यह दुनियाभर में इस तरह की घटनाओं से होने वाली मौतों का 10% और कुल आर्थिक क्षति का 4.3% हिस्सा है।

जर्मनवॉच द्वारा जारी यह इंडेक्स अंतर्राष्ट्रीय आपदा डेटाबेस में रिकॉर्ड चरम मौसमी घटनाओं और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जारी आर्थिक आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पिछले 30 वर्षों में दुनिया ने 9,400 से भी ज्यादा चरम मौसमी आपदाओं का सामना किया है। रिपोर्ट यह भी कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए उपलब्ध क्लाइमेट फाइनेंस पर्याप्त नहीं है। 

ला निना के बावजूद इतिहास की सबसे गर्म जनवरी 

वर्ष 2025 की जनवरी इतिहास की अब तक सबसे गर्म जनवरी दर्ज की गई है। यूरोपियन क्लाइमेट एजेंसी इस बात की पुष्टि की है कि जनवरी का औसत तापमान 13.23 डिग्री दर्ज किया गया जो पिछले साल दर्ज किये गए इस महीने के तापमान से 0.09 डिग्री अधिक दर्ज किया गया। वर्ष 1991-2020 के बीच दर्ज औसत तापमान से यह 0.79 डिग्री अधिक है। जनवरी का यह सर्वाधिक तापमान इस वक्त सक्रिय हो रहे ला निना के बावजूद दर्ज किया गया है। ला निना एक मौसमी कारक है जो अल निनो के विपरीत वातावरण को ठंडा करता है।  

बीते वर्ष 2024 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने धरती पर सबसे गर्म वर्ष घोषित किया था। महासागरों के गर्म होने की रफ्तार भी काफी तेज़ हो गई है और जलवायु परिवर्तन संकेतक एक गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। 

तापमान वृद्धि 2 डिग्री पर रोकना अब एक ‘मृत लक्ष्य’ 

वैश्विक तापमान वृद्धि की दर अब इतना तेज़ हो गई है कि अगले 20 सालों में धरती 2 डिग्री तापमान वृद्धि के उस बैरियर को पार कर जायेगी जिस पर धरती को सदी के इस अंत तक रोकने की बातें पिछले कई दशकों से की जा रही हैं। प्रसिद्ध जलवायु वैज्ञानिक प्रोफेसर जेम्स हैनसन के अनुसार, ग्लोबल वॉर्मिंग की गति को काफी कम आंका गया है। उनका कहना है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  2 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान वृद्धि का लक्ष्य अब “मृत” है।

हैनसेन और उनके सहकर्मियों द्वारा किए गए एक नए विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला है कि दो मोर्चों पर ग्लोबल वॉर्मिंग प्रभाव की अनदेखी की गई है। पहला पानी के जहाजों से होने वाला प्रदूषण जिससे सूरज की गर्मी ट्रैप होती है और दूसरा जीवाश्म ईंधन के प्रति क्लाइमेट की संवेदनशीलता। जेम्स हैनसन वह वैज्ञानिक हैं जिन्होंने 1988 में ही क्लाइमेट चेंज के ख़तरे को लेकर चेतावनी दी थी। 

फ़रवरी की गर्मी करेगी रबी की फसल को बर्बाद, हिमाचल में सेब कारोबारी परेशान 

भारत में फरवरी में औसत से अधिक तापमान देखने को मिल सकता है। इसका असर गेहूं और रेपसीड यानी सरसों आदि की फसल पर पड़ सकता है क्योंकि फरवरी के महीने में कुछ दिन ऐसे हो सकते हैं जब अधिकतम तापमान औसत से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो। ऐसे में इन राज्यों में जहां गेहूं उगाया जाता है वहां फसलों को खतरा हो सकता है।

भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। लेकिन 2022 से लगातार फसल खराब हो रही है और लगातार तीन वर्षों तक खराब फसल की पैदावार के बाद महंगे आयात से बचने के लिए 2025 में बंपर फसल की उम्मीद कर रहा है। आपको याद होगा कि 2023 में धरती पर सबसे गर्म मार्च का महीना था और फिर पिछले साल 2024 में वॉर्मेस्ट फरवरी रिकॉर्ड की गई। 

उधर लंबे समय तक सूखे मौसम ने शिमला में सेब किसान चिंतित हैं। इसकी फ़सल पर असर पड़ना तय लग रहा है। सेब की पारंपरिक किस्मों के लिए ठंडा मौसम (7 डिग्री सेल्सियस से नीचे ) कम से कम 1,200 से 1,600 घंटे का होना चाहिए और जल्द फसल देने वाली वैरायटी के लिए 600 घंटे तक होना चाहिए लेकिन इस मौसम में यह नहीं हुआ है। राज्य में लगभग 90 प्रतिशत सेब बागवान अभी भी पारंपरिक किस्मों पर निर्भर हैं, जबकि बाकी ने घने वृक्षारोपण को अपनाया है। किसानों का कहना है कि सर्दियों की बर्फ सेब की क्वालिटी को सुधारने के साथ कीड़ों को भी मारती है लेकिन विपरीत मौसम ने किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दी है। 

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास जंगल में आग लगने से चार बारूदी सुरंग विस्फोट 

रविवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जंगल में आग लगने से कम से कम चार बारूदी सुरंगें फट गईं, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। अधिकारियों ने बताया कि मेंढर उपमंडल के बालाकोट सेक्टर में दोपहर के वक्त लगी आग से  बारूदी सुरंगें फट गईं। सीमापार से घुसपैठ करने से रोकने के लिए सेना बाधा प्रणाली के रूप में एलओसी के साथ लगे इलाकों में यह बारूदी सुरंगे लगाती है। अधिकारियों ने कहा कि आग लगने का कारण तुरंत पता नहीं चल पाया है, सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवियों ने कई घंटों के संयुक्त प्रयासों के बाद आग पर काबू पा लिया।

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बेज़ोस की संस्था ने जलवायु समूह की फंडिंग समाप्त की, विशेषज्ञ चिंतित

अमेज़ॉन के सीईओ जेफ बेजोस की चैरिटी संस्था ‘बेजोस अर्थ फंड’ ने साइंस बेस्ड टारगेट्स इनिशिएटिव (एसबीटीआई) की फंडिंग रोक दी है। एसबीटीआई एक संगठन है जो यह आकलन करता है कि कंपनियां पेरिस समझौते के अनुरूप कार्बन उत्सर्जन को कम कर रही हैं या नहीं। बेजोस के 10 बिलियन डॉलर के ‘अर्थ फंड’ ने एसबीटीआई को तीन साल के लिए 18 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था, जो 2024 में समाप्त हो गया।

जबकि दोनों संगठनों के प्रवक्ताओं ने कहा कि अनुदान की अवधि पहले से तय थी, कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि बेज़ोस की संस्था का यह कदम दर्शाता है कि अमीर व्यक्ति और संगठन जलवायु प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने वाले हैं, संभवतः वर्तमान अमेरिकी प्रशासन से राजनीतिक दबाव के कारण।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई बार जलवायु परिवर्तन को हौव्वा बता चुके हैं। वह पहले ही ऐसे निर्णय ले चुके हैं जिनसे अमेरिका द्वारा क्लाइमेट फाइनेंस में योगदान पूरी तरह बंद हो चुका है। साथ ही जीवाश्म ईंधन उत्पादन और प्लास्टिक प्रयोग में कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरी वाहन की प्रगति पर किए गए कई फैसले उन्होंने पलट दिए हैं। विशेषज्ञों को डर है कि इस तरह के फैसलों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार कंपनियों की जवाबदेही तय करना कठिन हो सकता है।

क्लाइमेट लक्ष्य बताने के लिए सितंबर तक का समय 

क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए निर्धारित अपडेटेड लक्ष्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र की इकाई ने अब समय सीमा सितंबर तक बढ़ा दी है। लगभग एक दशक पहले हुई पेरिस संधि के तहत, सभी सदस्य देशों को 10 फ़रवरी की प्रतीकात्मक समय सीमा तक अपने लक्ष्य घोषित करने थे। यह लक्ष्य बतायेंगे कि कोई देश 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कितनी कटौती करेगा और इसके लिए उसका रोड मैप क्या है। 

लेकिन कुछ देशों को छोड़कर बाकी देशों ने संयुक्त राष्ट्र को इस बारे में जानकारी नहीं दी है। जिन देशों ने अपने लक्ष्य और योजना घोषित की है उनमें यूएई, ब्राज़ील, स्विटरज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम, न्यूज़ीलैंड और अमेरिका शामिल हैं। हालांति डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने पेरिस डील से बाहर निकलने का फैसला किया है। बड़े उत्सर्जकों में चीन, यूरोपीय संघ और भारत ने अपने लक्ष्य नहीं बताये हैं। अब सभी देशों से अपील की गई है कि वह सितंबर तक अपने लक्ष्य जमा करें। 

भारत ने विकसित देशों कहा, फाइनेंस पर किया गया वादा पूरा करें

भारत ने क्लाइमेट फाइनेंस प्रदान करने में विकसित देशों की विफलता पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि पर्याप्त फंडिंग के बिना कई संवेदनशील देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट करने में असमर्थ होंगे। दुबई में वर्ल्ड गवर्मेंट समिट 2025 में बोलते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि कई विकाशसील देश पर्याप्त फाइनेंस के बिना जलवायु परिवर्तन से नहीं निपट सकते हैं।

उन्होंने विकसित देशों से अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का आग्रह किया। यादव ने नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और सस्टेनेबल परिवहन में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला। और जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को होने वाली हानि पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

अमेरिका: 20 बिलियन डॉलर की क्लाइमेट फंडिंग  रोकना चाहता है ईपीए

अमेरिकी पर्यावरण एजेंसी के प्रमुख ली ज़ेल्डिन गरीब क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा और परिवहन परियोजनाओं के लिए दिया गया 20 बिलियन डॉलर का सरकारी अनुदान रद्द करना चाहते हैं। इस फंडिंग को राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी। ज़ेल्डिन का दावा है कि यह पैसा बहुत जल्दी और उचित जांच-पड़ताल के बिना जारी कर दिया गया था।

ज़ेल्डिन अमेरिकी सांसदों और अधिकारियों के साथ मिलकर फंडिंग रोक देना चाहते हैं। हालांकि, कुछ राजनेताओं का कहना है कि अनुदान को रद्द करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस से अनुमोदन की आवश्यकता हो सकती है और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम पूरे अमेरिका में, विशेष रूप से अविकसित समुदायों के बीच, जलवायु संबंधी परियोजनाओं को प्रभावित कर सकता है।

कभी धूम्रपान न करने वालों को हो रहा कैंसर, प्रदूषण है कारण: शोध

एक नए अध्ययन के अनुसार, जो लोग कभी धूम्रपान नहीं करते हैं उनमें भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। विश्व कैंसर दिवस पर लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि कैंसर के ‘एडेनोकार्सिनोमा’ नामक उप-प्रकार के मामले बढ़ रहे हैं जो धूम्रपान से संबंधित नहीं होता है। इन मामलों का संबंध वायु प्रदूषण से अधिक है और 2022 में लगभग दो लाख ऐसे मामले सामने आए थे।

अध्ययन के अनुसार कभी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के 53 से 70 प्रतिशत मामले एडेनोकार्सिनोमा के थे। इस तरह के मामलों को अब दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। 

दिल्ली लगातार चौथे महीने देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर 

जनवरी 2025 में दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। इसके साथ राष्ट्रीय राजधानी लगातार चौथे महीने देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रही। वायु प्रदूषण पर काम करने वाली सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के विश्लेषण में यह पाया गया है कि देश की राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर 165 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया जो तय सुरक्षित मानकों (60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर) से काफी ऊपर है। 

मेघालय का बर्निहाट  देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा जहां यह आंकड़ा 214 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। विश्लेषण में पाया गया कि 105 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर सुरक्षित मानकों से खराब था। जनवरी में 23 दिन बहुत ख़राब रही और 3 दिन हवा की क्ववालिटी ख़तरनाक (सीवियर) दर्ज की गई। 

गायों से होनेवाले मीथेन उत्सर्जन को 30% तक कम करेगी वैक्सीन

गायों से निकलनेवाली मीथेन गैस जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैज्ञानिक इस उत्सर्जन को कम करने के तरीके खोज रहे हैं। हाल ही में किए गए दो अध्ययनों में इस समस्या से निपटने के दो तरीके बताए गए हैं। पहला है एक वैक्सीन, जिसके ज़रिए गायों के पेट में मीथेन बनाने वाले बैक्टीरिया की एंटीबॉडी बना कर उन्हें समाप्त किया जाएगा। 

इस विधि का उपयोग करके गायों के पाचन तंत्र को बदले बिना मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए यूके के पिरब्राइट इंस्टीट्यूट में शोध चल रहा है, जिसमें रॉयल वेटरनरी कॉलेज और न्यूजीलैंड के एग्रीसर्च द्वारा सहयोग किया जा रहा है। रिसर्च का उद्देश्य तीन साल में वैक्सीन का विकास करना है जिससे गायों से मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30% की कटौती की जा सके। अमेज़ॉन के मालिक जेफ़ बेज़ोस इस रिसर्च को 9.4 मिलियन डॉलर की फंडिंग कर रहे हैं।     

मीथेन उत्सर्जन कम करने की दूसरी रणनीति में मवेशियों के चारे में बोवायर नामक एक पदार्थ को जोड़ना शामिल है। एक शोध में दर्शाया गया है कि दूध की गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना बोवायर के द्वारा मीथेन उत्सर्जन को लगभग 30% तक कम किया जा सकता है। हालांकि, बोवायर को लेकर कई अफवाहें भी फैली हैं जिनके कारण इसके बहिष्कार की बात भी उठ रही है।

प्रदूषित हो रहा भूजल, नाइट्रेट, यूरेनियम की भारी मात्रा पाई गई

प्राकृतिक प्रक्रियाओं और मानवीय गतिविधियों के कारण भारत में भूजल तेजी से प्रदूषित हो रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की ओर से जारी सालाना भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट में कहा गया है कि लिए गए नमूनों के लगभग पांचवे हिस्से में नाइट्रेट जैसे प्रदूषकों की मात्रा स्वीकार्य सीमा से ज्यादा थी। साथ ही, रेडियोधर्मी यूरेनियम भी बड़ी मात्रा मौजूद था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘बढ़ती आबादी, औद्योगिक गतिविधियों और खेती के तौर-तरीकों से जमीन के नीचे पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना और सुधारना ज्यादा मुश्किल हो गया है’। शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन को प्रदूषण बढ़ाने वाले कारकों के रूप में बताया गया है। पूरी दुनिया में भारत  भूजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है। यहां सिंचाई के लिए 87 प्रतिशत और घरेलू इस्तेमाल के लिए 11 प्रतिशत भूजल का उपयोग होता है।

सौर, पवन ऊर्जा की दौड़ में विकासशील देश अमीर देशों से आगे: रिपोर्ट

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि विकासशील देश नियोजित यूटिलिटी-स्केल पर पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रणी हैं। दुनिया की जीडीपी में 45% हिस्सेदारी रखने के बावजूद, जी 7 देशों का इन आगामी परियोजनाओं में केवल 10% योगदान है।

पिछले साल संभावित क्षमता में 1.3 टेरावाट से अधिक जोड़कर चीन इस दौड़ में सबसे आगे है। यह वैश्विक नियोजित क्षमता का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है। ब्राजील 417 गीगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है। भारत में 130 गीगावाट की परियोजनाएं प्रक्रिया में हैं। भारत का लक्ष्य मार्च 2025 तक 35 गीगावाट को ग्रिड से जोड़ने का है। हालांकि, चीन के बाहर नियोजित क्षमता का केवल 7% हिस्सा वर्तमान में निर्माणाधीन है। यह एक संकेत है कि परियोजनाओं के पूरा होने में चुनौतियों का सामना करना होगा।

अदाणी समूह ने श्रीलंका की 484 मेगावाट की पवन परियोजना को छोड़ा 

अदाणी समूह ने  उत्तरी श्रीलंका में 484 मेगावाट (मेगावाट) की एक महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा परियोजना से हटने का फैसला किया है। अडानी ग्रीन एनर्जी ने प्रोजेक्ट की शर्तों पर फिर से बातचीत करने के सरकार के फैसले का हवाला देते हुए बुधवार को श्रीलंका के निवेश बोर्ड को सूचित किया कि वह सम्मानपूर्वक परियोजना से हट रही है। अदाणी ग्रुप को श्रीलंकाई अधिकारियों ने संकेत दिया कि  प्रस्ताव के पुनर्मूल्यांकन के लिए नई समितियां बनाई जाएंगी।

शुरुआत में इस परियोजना को 20 साल के बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के साथ मंजूरी दी गई थी और इसमें 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की बात कही गई थी। पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसनायके के चुनाव के बाद से इसे कड़ी जांच का सामना करना पड़ रहा है। डिसनायके ने पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करने के वादे पर ही अभियान चलाया था, जिससे स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों और पास के पक्षी गलियारे पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ गई थीं।

भारत में 100 गीगावाट से अधिक हुई स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 

पीवी मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता को पार कर लिया है।  31 जनवरी, 2025 तक भारत की कुल स्थापित सौर क्षमता  100.33 गीगावाट थी। जिसमें से 84.10 गीगावाट कार्यान्वयन के अधीन हैं जबकि अतिरिक्त 47.49 गीगावाट की टेंडरिंग चल रही है।

देश की हाइब्रिड और राउंड-द-क्लॉक (आरटीसी) अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इनमें 64.67 गीगावाट की परियोजनाएं कार्यान्वयन और टेंडरिंग के अधीन हैं, जिससे सौर और हाइब्रिड परियोजनाओं का कुल आंकड़ा 296.59 गीगावाट पर पहुंच गया है।

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अनुदान में 100% की वृद्धि

केंद्रीय बजट 2025-26 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 600 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो पिछले 300 करोड़ रुपए के आवंटन की तुलना में 100 प्रतिशत की वृद्धि हैईटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि का उद्देश्य भारत को ‘ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना है।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के आरंभिक परिव्यय के साथ शुरू किया गया था, जिसमें साइट योजना के तहत इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 17,490 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल था। एम्बर के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक 412,000 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता और 1.5 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता के लिए निविदाएं प्रदान की गई हैं।

जनवरी 2025 में वैश्विक ईवी बिक्री 18% बढ़ी

जनवरी 2025 में पिछले साल के मुकाबले वैश्विक इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड वाहन की बिक्री 18 प्रतिशत बढ़ी। अनुसंधान फर्म आरएचओ मोशन के अनुसार, पिछले फरवरी के बाद पहली बार यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में यह वृद्धि चीन से अधिक रही। 

चीन में जनवरी 2024 के मुकाबले बिक्री 11.8 प्रतिशत अधिक रही, जबकि यूरोप में यह वृद्धि 21% थी। माना जा रहा है कि चीन में नए साल की छुट्टियों के कारण दिसंबर 2024 के मुकाबले बिक्री में 43% की गिरावट देखी गई, जबकि यूरोप में उत्सर्जन टारगेट लागू होने के कारण ब्रिक्री बढ़ी है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में, ईवी की बिक्री जनवरी में 22.1 प्रतिशत बढ़कर 1,30,000 यूनिट हो गई।

सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों में कर्नाटक अग्रणी, महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर

भारत में कुल 26,367 सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशन हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक इस सूची में सबसे आगे है, जहां कुल 5,879 सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,842 स्टेशन हैं। उत्तर प्रदेश 2,113 चार्जिंग पॉइंट्स के साथ तीसरे स्थान पर है।

यह तीनों राज्य ऐसे हैं, जहां 2,000 से अधिक सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन मौजूद हैं। केवल आठ राज्यों में 1,000 से अधिक सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं। वहीं लद्दाख और लक्षद्वीप में सिर्फ 1-1 सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं। 

भारत में 4 लाख चार्जिंग पॉइंट स्थापित करेगी टाटा मोटर्स

भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माता टाटा मोटर्स ने घोषणा की है कि वह 2027 तक देश में 400,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगी। इस पहल का उद्देश्य ‘रेंज एनेक्सायटी’ (ईवी के चार्जिंग स्टेशन तक पहुंचने से पहले डिस्चार्ज होने का भय) को कम करके ईवी एडॉप्शन को बढ़ाना है।

टाटा पावर और स्टेटिक के सहयोग से टाटा मोटर्स अगले दो वर्षों के भीतर 500 स्थानों पर 30,000 नए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों और एक ‘मेगा चार्जर’ नेटवर्क की स्थापना करेगी। इन ‘मेगा चार्जर्स’ में 120 किलोवाट फास्ट-चार्जिंग यूनिट्स होंगीं जो सभी ईवी ब्रांड्स के लिए प्रयोग की जा सकेंगी। यह विस्तार 2030 तक ईवी बिक्री को 30% बढ़ाने के भारत सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है।

चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 50,000 रुपए की सब्सिडी प्रदान करेगी मध्य प्रदेश सरकार 

मध्य प्रदेश सरकार ने ड्राफ्ट इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति 2025 में हर चार-पहिया इलेक्ट्रिक वाहन पर राज्य के द्वारा 50,000 रुपए की सब्सिडी की पेशकश करने की योजना बनाई है। मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार यह नीति पांच साल के लिए मान्य होगी। सब्सिडी में बैटरी और ईंधन-सेल इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल किया गया है।

इस योजना के लिए नोडल विभाग राज्य सरकार का शहरी विकास और आवास विभाग होगा, और एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी इसकी नोडल एजेंसी होगी।

भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर बनेगा अमेरिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बावजूद दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी मजबूत करने के लिए सहमति बनी है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देश ऊर्जा व्यापार बढ़ाने और अमेरिका को भारत का कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) का प्रमुख सप्लायर बनाने के लिए कटिबद्ध हुए हैं।

भारत सरकार के अनुसार दोनों नेताओं ने हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संकट के दौरान आर्थिक स्थिरता को संरक्षित करने के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के मूल्य पर भी प्रकाश डाला और रणनीतिक तेल आरक्षित व्यवस्थाओं का विस्तार करने के लिए प्रमुख भागीदारों के साथ काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

कोल इंडिया: कोयला उत्पादन में जनवरी में मामूली गिरावट 

इस साल जनवरी में कोल इंडिया लिमिटेड के कोयला उत्पादन में पिछले साल इसी महीने की तुलना में 0.8 प्रतिशत की गिरावट हुई है। पिछले साल जनवरी माह में कोल इंडिया का उत्पादन 78.8 मिलियन टन था जो कि 2025 जनवरी में 77.8 मिलियन रहा। हालांकि दिसंबर 2024 में (दिसंबर 2023 की तुलना में) सीआईएल का कोयला उत्पादन सवा पांच प्रतिशत बढ़ा था। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच कंपनी ने (पिछले वित्त वर्ष में इस अवधि की तुलना में ) कोयला उत्पादन में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि की है और इस वित्तीय वर्ष में कुल उत्पादन 621 मिलियन टन हो गया है। 

अमेरिकी जीवाश्म ईंधन पाइपलाइन कंपनी के खिलाफ़ ग्रीनपीस ने यूरोपीय अदालत में मामला दायर किया 

ग्रीनपीस ने सोमवार को एक अमेरिकी ऊर्जा कंपनी के खिलाफ एंटी इंटिमिडेशन कोर्ट (धमकी-रोधी अदालत) में मामला दायर किया। इस कंपनी ने पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस पर करोड़ों का मुकदमा दायर किया। ग्रीनपीस का यह कदम यूरोपीय संघ के उस निर्देश के तहत है जो सिविल सोसायटी को परेशान करने के उद्देश्य किये जाने वाले मुकदमों का मुकाबला करने को कहता है। यूरोपीय आयोग ने पिछले साल जन भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमों पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा उपाय किये हैं जिसे SLAPPS के नाम से जाना जाता है। 

जीवाश्म ईंधन पाइपलाइन कंपनी एनर्जी ट्रांसफर ने नॉर्थ डकोटा 2016 में एक विरोध प्रदर्शन के आयोजन के लिए ग्रीनपीस पर 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुकदमा दायर किया है। पर्यावरण समूहों और अमेरिकी भारतीय जनजातियों ने उस प्रोजेक्ट से संभावित तेल रिसाव और उससे वहां के लोगों के लिए होने वाली पानी की सप्लाई के प्रदूषित होने की चिंता को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।

ग्रीनपीस का मुख्यालय एम्सटर्डम में है और इसने एक डच अदालत में यह अपील की है कि वह एनर्जी ट्रांसफर को मुआवजा देने के लिए बाध्य करे। पिछले साल लागू हुए नए नियमों को तहत यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों की अदालतों को यह शक्ति देते हैं कि वह संघ के बाहर SLAPP मुकदमों के प्रवर्तन को रोकने और कंपनियों को कानूनी शुल्क के लिए मुआवजा देने का आदेश दें। एनर्जी ट्रांसफ़र के पास जवाब को लिए जुलाई तक का वक़्त है। 

फ्रांस की कंपनी के साथ प्रतिवर्ष 4 लाख टन गैस की डील 

फ्रांस की बड़ी ऊर्जा कंपनी टोटलएनर्जीस ने 2026 से गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीपीएससी) को प्रति वर्ष 400,000 टन एलएनजी बेचने का समझौता किया है। अगले 10 वर्षों के लिए इस करार पर बीते बुधवार को हस्ताक्षर किए।

मुख्य रूप से जीएसपीसी के औद्योगिक ग्राहकों के लिए एलएनजी को भारत के वेस्ट कोस्ट पर टर्मिनलों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही घरेलू और व्यावसायिक उपयोगों और सीएनजी स्टेशनों पर भी इसकी आपूर्ति की जाएगी। गुजरात के मुंद्रा में जीएसपीसी की एक एलएनजी आयात फैसिलिटी है।

यह पिछले एक वर्ष में भारतीय कंपनियों के साथ टोटलएनर्जीस का दूसरा सौदा है। इससे पहले कंपनी ने जून 2024 में 10 साल के लिए इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) के साथ प्रति वर्ष 800,000 टन एलएनजी बेचने का सौदा किया था।

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