द बूम एड बस्ट रिपोर्ट 2020 के मुताबिक साल 2019 में 47.4 GW क्षमता के निर्माणाधीन कोल पावर प्लांट रद्द हो गये और केवल 2.9 GW क्षमता के नये बिजलीघरों का प्रस्ताव किया गया। हालांकि 8.8 GW क्षमता के नये प्लांट निर्माणाधीन है जो कि सरकारी बजट पर ही निर्भर हैं क्योंकि निजी कंपनियों ने कोल पावर से हाथ खींच लिया है।
भले ही भारत की कुल कोल पावर क्षमता घट रही है लेकिन कुल बिजली उत्पादन में कोल पावर का हिस्सा बढ़ा है। इस क्षेत्र पर नज़र रखनी वाली IEEFA मुताबिक जो भी नये पावर प्लांट कोयला खान के पास नहीं लगेंगे उन्हें चलाना वित्तीय रूप से घाटे का सौदा ही होगा।
कोयला दुनिया का सबसे महंगा ईंधन बना, चीन में बना रहेगा इसका अहम रोल
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद कोयला आज दुनिया का सबसे महंगा ईंधन हो गया है। कच्चा तेल $27 प्रति बैरल हो गया है जबकि कोयला $66.85 प्रति मीट्रिक टन है जो कि तेल के मुकाबले महंगा पड़ रहा है। हालांकि कोरोना वाइरस के जाल से निकलने के बाद चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिये करीब $7 लाख करोड़ निवेश करने की तैयारी की है और इस राह में कोयला ही उसका प्रमुख ईंधन रहेगा।
लोगों के विरोध के बाद भी कोल-बेड-मीथेन पर सरकार की नज़र
कोयला मंत्रालय आने वाले दिनों में कोल-बेड-मीथेन यानी सीबीएम का उत्पादन बढ़ाना चाहता है। इसके ज़रिये वह घरेलू ईंधन की खपत को पूरा करेगी। अनुमान है कि देश में 92 लाख करोड़ घन फिट (TCF) सीबीएम है जो कि दुनिया में इस ईंधन का पांचवां सबसे बड़ा भंडार है। सरकार का इरादा साल 2023-24 तक 10 लाख यूनिट (MMSCMD) सीबीएम प्रति दिन निकालने का है।
हालांकि तमिलनाडु ने हाल ही में सीबीएम के लिये ओएनजीसी को दिये गये लाइसेंस को रद्द किया जिसमें तेल निकालने की अनुमति भी थी। इससे कावेरी डेल्टा बेसिन में ड्रिलिंग होती जिसका किसान विरोध कर रहे थे। भारत का सीबीएम भंडार झारखंड और बंगाल समेत 12 राज्यों में बिखरा है और अंदेशा है कि इसके दोहन को बड़ी संख्या में तीखे विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ेगा।
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