फोटो: @collectorkheda/X

शुष्क हिस्सों में रिकॉर्ड बारिश, गुजरात में ‘भारी बारिश’ से 28 लोगों की मौत

गुजरात में अत्यधिक बारिश और बाढ़ ने 28 लोगों की जान ले ली है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, गुजरात में “96 जलाशयों में पानी खतरे के स्तर से ऊपर है”, राज्य में ” अब तक की औसत वार्षिक वर्षा का लगभग 100%” हो चुका है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने राज्य के कई हिस्सों के लिए ‘रेड’ अलर्ट जारी किया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में भारी बारिश पूर्वी राजस्थान और उससे सटे पश्चिमी मध्य प्रदेश पर बने गहरे दबाव के कारण उत्पन्न स्थितियों से हुई है, जो गुजरात की ओर बढ़ गई है। इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि जिन क्षेत्रों में “असाधारण भारी वर्षा” हुई, वे गुजरात और राजस्थान के दो राज्यों के शुष्क, रेगिस्तानी जिलों में थे। 

द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है, “72,000 लोग अभी भी 492 राहत शिविरों में हैं क्योंकि उनके घर बह गए हैं”। इससे पहले इस साल बारिश और भूस्खलन ने वयनाड में 200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। मौसम विभाग ने सितंबर में भी सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान किया है।  

चीन में भीषण बाढ़ की रिकॉर्ड संख्या हुई दर्ज 

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल चीन की प्रमुख नदियों में 25 बड़ी बाढ़ की घटनाएं देखी गईं, जो 1998 में डाटा संग्रह शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या है। जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में चीन के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों का विवरण देते हुए कहा कि बाढ़ के मौसम में लगातार चरम मौसम की घटनाएं होती हैं, जिसमें उत्तरी और दक्षिणी दोनों क्षेत्रों में भारी वर्षा और गंभीर बाढ़ होती है।

जल संसाधन उप मंत्री वांग बाओएन ने चेतावनी दी कि चीन में अभी भी बाढ़ का यह शुरुआती नज़ारा ही है और उसके सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। इस वर्ष सामान्य से अधिक संचयी (क्युमलेटिव) वर्षा टाइफून गेमी से प्रभावित थी। देश में संचयी औसत वर्षा 183 मिलीमीटर देखी गई, जो वार्षिक औसत से 10% अधिक है। टाइफून गैमी ने देश के दक्षिणी क्षेत्रों में कुल 216.7 बिलियन क्यूबिक मीटर वर्षा की, जो कि पिछले साल टाइफून डोक्सुरी द्वारा लाई गई 151.8 बिलियन क्यूबिक मीटर से 43% अधिक है। बड़े पैमाने पर बाढ़ वार्षिक औसत से अधिक बार आई, देश भर में लगभग 30 नदियाँ बाढ़ के रिकॉर्ड स्तर  पर हैं। 

भारी बारिश और बाढ़ से पाकिस्तान में 200 तो बांग्लादेश 23 लोगों की जान गई 

मानसून की बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ से दक्षिण एशिया में भी भारी तबाही हो रही है। पाकिस्तान में 200 से अधिक और बांग्लादेश में 23 लोगों की जान जा चुकी है। दक्षिणी पाकिस्तान में भारी बारिश के कारण  सड़कें बह गईं और उत्तर में एक प्रमुख राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक 1 जुलाई से अब तक बारिश से जुड़ी  घटनाओं में मरने वालों की संख्या कम से कम 209 हो गई है और 2200 से अधिक घर तबाह हो गये हैं। 

पाकिस्तान के प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक अधिकारी इरफान अली ने एजेंसी को बताया कि पंजाब प्रांत में एक दिन में चौदह लोगों की मौत हो गई। अन्य अधिकतर मौतें खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांतों में हुई हैं। पाकिस्तान का वार्षिक मानसून सीज़न जुलाई से सितंबर तक चलता है। वैज्ञानिकों और मौसम पूर्वानुमानकर्ताओं ने हाल के वर्षों में भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है। 2022 में, जलवायु-प्रेरित बारिश ने देश के एक तिहाई हिस्से को जलमग्न कर दिया, जिससे 1,739 लोगों की मौत हो गई और 30 अरब डॉलर की क्षति हुई।

उधर बांग्लादेश में, मानसून की लंबी बारिश और नदियों के उफान के कारण आई बाढ़ ने 23 लोगों की जान ले ली है और 11 जिलों में लगभग 12 लाख से अधिक परिवार फंसे हुए हैं।

बांग्लादेश मौसम विभाग ने कहा कि अगर मानसून की बारिश जारी रही तो बाढ़ की स्थिति बनी रह सकती है, क्योंकि जल स्तर बहुत धीरे-धीरे कम हो रहा है, रॉयटर्स ने बताया कि लगभग 470,000 लोगों ने बाढ़ प्रभावित जिलों में 3,500 कैंपों में शरण ली है, जहां लगभग 650 चिकित्सा टीमें उपचार के लिए मौजूद हैं। विश्व बैंक संस्थान ने 2015 में अनुमान लगाया था कि दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देशों में से एक, बांग्लादेश में 3.5 मिलियन लोगों को वार्षिक नदी बाढ़ का खतरा था। वैज्ञानिक ऐसी विनाशकारी घटनाओं के बढ़ने का कारण जलवायु परिवर्तन को मानते हैं।

नेपाल में 2015 का भूकंप और हिमस्खलन जलवायु परिवर्तन और बर्फबारी की विसंगतियों के कारण बढ़ा: अध्ययन 

एक नए शोध से पता चलता है कि नेपाल में जो हिमस्खलन 2015 में एक भूकंप से शुरू हुआ, बाद में उसे अधिक घातक बनाने में जलवायु परिवर्तन से जनित कारणों की भूमिका भी रही। शोध के लेखक बताते हैं कि  25 अप्रैल 2015 को, गोरखा भूकंप “लैंगटांग घाटी में एक बड़े हिमशिला स्खलन और एक हवाई विस्फोट आपदा का कारण”, जिसमें 350 लोग मारे गए या लापता हो गए। फ़ील्ड जांच और मॉडल का उपयोग करके घटना का पुनर्निर्माण करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि गहरे बर्फ के आवरण और उच्च तापमान दोनों ने आपदा में योगदान दिया। विशेष रूप से, “ऊंची उठी हवा के तापमान से अधिक बर्फ पिघली और पानी बहना तेज हुआ और इससे बहते द्रव्यमान को फिसलने में आसानी हुई”। 

उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों का अध्ययन करने के लिए अभियान शुरू 

हिमालय में हिमनद (ग्लेशियल) झीलों के ख़तरे का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अधिकारियों, वैज्ञानिकों और सुरक्षा अधिकारियों की 16 टीमों का गठन किया गया है जो 4500 मीटर और उससे अधिक की ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियरों पर अभियान चला रही हैं, ताकि इन हिमनद झीलों के फ़टने की स्थिति में नीचे की ओर आबादी के लिए उत्पन्न होने वाले खतरे का पता लगाया जा सके। 

हिमालयी क्षेत्र में 75,00 से अधिक ग्लेशियल लेक हैं जिनमें से NDMA ने 189 हिमनद झीलों को बड़े संकट वाली माना है और ख़तरे से निपटने के लिए रणनीति (मिटिगेशन) बनाई जा रही है। हिमनद झीलों के फटने से पहाड़ी क्षेत्र में अचानक बाढ़ को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहा जाता है और सरकार ने इसके संकट प्रबंधन (रिस्क मैनेजमेंट) के लिए 150 करोड़ रुपये मंज़ूर किये हैं। 

हाइ रिस्क वाली इन 189 झीलों का पता लगाने में उपग्रह की तस्वीरों और पिछले कई सालों के आंकड़ों के अध्ययन से काफी मदद मिली लेकिन विशेषज्ञ ज़मीनी तौर पर इस जानकारी का सत्यापन कर रहे हैं। हिमनद झीलों के विस्फोट से होने वाली क्षति को रोकने के लिए स्वचालित मौसम और जलस्तर की निगरानी के साथ पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाना ज़रूरी है। इसके अलावा  झील के आयतन को कम रखने की कोशिश के उपाय शामिल हैं ताकि इससे होने वाले संकट को कम किया जा सके।  

तीस्ता जलविद्युत स्टेशन भूस्खलन में नष्ट, इस आपदा-ग्रस्त स्थल पहले पुनर्निर्माण हो रहा था

पिछली 20 अगस्त को एक बड़े भूस्खलन से राज्य के स्वामित्व वाली एनएचपीसी लिमिटेड का तीस्ता-V जलविद्युत स्टेशन नष्ट हो गया। पिछले साल अक्टूबर में हिमनद विस्फोट के बाद परियोजना का जीर्णोद्धार किया जा रहा था, जिससे काफी क्षति हुई थी। सिंगतम-डिक्चू सड़क पर भी दरारें पड़ गई हैं, जिससे वहां का मार्ग अवरुद्ध हो गया। अंग्रेज़ी अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, एनएचपीसी ने कहा कि मौजूदा मानसून के मौसम के दौरान तीस्ता बेसिन क्षेत्र समय-समय पर प्राकृतिक भूस्खलन और भूस्खलन का शिकार होता रहा है, जिसके कारण भूस्खलन हुआ।
सभी निवासियों को निकालकर बलुतर में एनएचपीसी गेस्ट हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसे अब राहत शिविर के रूप तब्दील कर दिया गया है। डाउन टु अर्थ के अनुसार खान और भूविज्ञान विभाग को भूस्खलन की जांच करने और अल्पकालिक और दीर्घकालिक बहाली प्रयासों के लिए सिफारिशें प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।

Website |  + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.