Vol 2, June 2024 | ऊर्जा बदलाव की बड़ी चोट होगी समाज के वंचित वर्ग पर

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मॉनसून की दस्तक के साथ ही राजधानी के कई हिस्से पानी में डूबे

मौसम विभाग के पूर्वानुमान से एक दिन पहले ही 28 जून को दिल्ली में मॉनसून ने दस्तक दी लेकिन शहर के कई हिस्से भारी बरसात से पानी में डूब गये। शहर में आईएमडी के बेस स्टेशन सफदरजंग में 24 घंटे में 228.1 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 1996 के बाद से अब तक एक रिकॉर्ड है। जून के महीने में 1936 के बाद से अब तक कभी 24 घंटे में इतनी बारिश नहीं हुई। सुबह ढाई बजे से साढ़े पांच बजे के बीच तीन घंटों में  148.5 मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया। 

लंबे इंतज़ार के बाद अचानक मूसलाधार बारिश से राजधानी समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में अव्यवस्था फैली । पानी भरने से सड़कों पर ट्रैफिक जाम हुआ, रेल और फ्लाइट्स विलंबित और रद्द हुईं हालांकि एयर क्वॉलिटी में बारिश के कारण सुधार हुआ।  उत्तर और उत्तर पूर्व के कई हिस्सों में आने वाले दिनों में बरसात जारी रहेगी।

हीटवेव: भारत में करीब डेढ़ सौ लोगों की जान गई

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस साल 1 मार्च से 18 जून के बीच पूरे भारत में अत्यधिक गर्मी के लंबे दौर ने कम से कम 143 लोगों की जान ले ली और 41,789 से अधिक लोग हीटस्ट्रोक से जूझ रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के नेशनल गर्मी से जुड़ी बीमारियों और मौतों की निगरानी से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 36 मौतें हुईं, इसके बाद बिहार, राजस्थान और ओडिशा में लोगों की जान गई। 

मारे गये और बीमार लोगों की असली संख्या कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि राज्यों से सारे आंकड़े अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह एक मार्च के बाद से हीटस्ट्रोक के कारण मारे गए और बीमार हुए लोगों का आंकड़ा प्रतिदिन भेजे।   

गर्मी से हज यात्रा में गई 1300 तीर्थयात्री मरे, करीब सौ भारतीयों की भी जान गई

सऊदी अरब में अत्यधिक गर्मी के बीच हज के दौरान 1,300 से अधिक तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई, जहां तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। सऊदी अधिकारियों ने रविवार को मृतकों की संख्या की घोषणा की, जिससे पता चला कि अधिकांश मृतक अनधिकृत तीर्थयात्री थे जिनके पास आधिकारिक परमिट नहीं था और पर्याप्त आश्रय के बिना अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मारे गये लोगों में 98 भारतीय हैं। 

उधर पाकिस्तान में हीटवेव से सैकड़ों लोगों की जान चली गई। यहां की ईधी एम्बुलेंस सेवा ने कहा कि वह पिछले छह दिनों में लगभग 568 लोगों के शवों को कराची शहर के मुर्दाघर में ले गई – जो प्रति दिन 30-40 शवों की सामान्य दर से काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खबर तब आई है जब शहर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है, “उच्च आर्द्रता के कारण 49 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी महसूस हो रही है”। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कराची के मुर्दाघरों में जगह की कमी हो रही है। लेख में कहा गया है कि गर्मी की लहर के बीच, कई निवासियों को “लंबे समय तक” “लोड शेडिंग” और बिजली कटौती सहन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

जलवायु संकट के कारण अत्यधिक गर्मी का चोट 60 करोड़ भारतीयों पर 

स्वतंत्र वैज्ञानिकों और संचारकों के समूह क्लाइमेट सेंट्रल का एक ताज़ा विश्लेषण बताता है कि इस साल अत्यधिक गर्मी की चोट दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी पर पड़ी जो कि जून मध्य में मानव जनित जलवायु संकट के कारण तीन गुना अधिक हो गई। अनुमान है कि 16 जून से 24 जून के बीच भारत में लगभग 61.9 करोड़ लोग हीटवेव से प्रभावित हुए और 40,000 से अधिक लोगों को लू का सामना करना पड़ा। इसमें कहा गया है कि चीन में लगभग 57.9 करोड़ मिलियन लोग प्रभावित हुए, जबकि इंडोनेशिया में यह संख्या 23.1 करोड़ थी। 

क्लाइमेट सेंट्रल और क्लाइमेट ट्रेंड के नये विश्लेषण में यह भी पता चला है कि भारत में 25 डिग्री न्यूनतम तापमान वाली रातों की संख्या में 50 से 80 तक बढ़त हुई है। यह विश्लेषण बताता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में रात्रि तापमान में चिंताजनर वृद्धि हुई है क्योंकि यह दुनिया के उन देशों में जहां जलवायु संकट का सर्वाधिक प्रभाव पड़ेगा। विश्लेषण में कहा गया है कि केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और आंध्र प्रदेश में 2018 से 2023 के बीच हर साल 50 से 80 दिन बढ़ गए जिनमें न्यूनतम रात्रि तापमान की इस 25 डिग्री की दहलीज़ को पार किया। 

मुंबई में रात्रि तापमान में सर्वाधिक बदलाव देखा गया जहां अधिक गर्म रातों की संख्या में 65 की वृद्धि हुई। वैज्ञानिक बताते हैं कि हमारे शहर हीट-आइलैंड बन रहे हैं जो दिन में सूरज की गर्मी को सोखते हैं और रेडिएशन को बाहर निकलने नहीं देते। गर्म होती रातों के साथ मानव स्वास्थ्य को भारी नुकसान होगा जो कि उनके दैनिक व्यवहार में नज़र आ सकता है।    

मैक्सिको, दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के कारण लू हुई और भी अधिक जानलेवा

हाल ही में दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका, मैक्सिको और मध्य अमेरिका में जो प्रचंड गर्मी पड़ी। इसके हानिकार प्रभावों की संभावना 35 गुना अधिक थी और कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के दहन से यहां तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। 

न्यूज़वायर ने बताया कि वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में हाल में पड़ी गर्मी में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का पता लगाया गया, जिसने अब तक “कम से कम” 125 लोगों की जान ले ली है। जलवायु परिवर्तन के कारण रात का तापमान भी असामान्य रूप से उच्च हो गया, जो सामान्य की तुलना में 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था – और यहां किसी ‘शाम को  असामान्य गर्मी’ 200 गुना अधिक होने की संभावना थी।

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साफ ऊर्जा बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव हाशिए पर खड़े समुदायों पर: रिपोर्ट

नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एनएफआई) के एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि   कोयले से साफ ऊर्जा की ओर बदलाव का सबसे अधिक असर वंचित समुदाय के लोगों पर पड़ना तय है इसलिए इस कदम को उठाते समय सरकार को इन समुदायों का विशेष ध्यान रखना होगा। भारत में बिजली उत्पादन का करीब 75 प्रतिशत अब भी कोयले से ही होता है और कोयला खदानों को बंद करने से पहले इस कारोबार में लगे अकुशल मज़दूरों बसाने की बड़ी चुनौती है। 

एनएफआई की ताजा रिपोर्ट “एट द क्रॉसरोड: मार्जिनिलाइज्ड कम्युनिटिज़ एंड जस्ट ट्रांजिशन डायलिमा” में देश के तीन कोयला प्रचुर राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में सर्वे किया गया। इन राज्यों के दो ज़िलों जहां कोयला प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, वहां 1,209 परिवारों में से 41.5 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आते हैं, जबकि 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी) और 23 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में आते हैं।

अध्ययन में पाया गया है कि इस आबादी का एक बड़ा हिस्सा कम शिक्षित या अशिक्षित है और उनके पास आजीविका के वैकल्पिक स्रोत शुरू करने के लिए खेती योग्य भूमि नहीं है। यह निष्कर्ष दर्शाते हैं कि कोल ट्रांज़िशन (कोयले का प्रयोग धीरे-धीरे समाप्त करने) की प्रक्रिया के दौरान उन्हें कोई नया कौशल सिखाना या पुनः प्रशिक्षित करना कितना चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारत ने 2015 में हुए एतिहासिक पेरिस समझौते में जस्ट ट्रांजिशन नीति को अपनाया था और 2021 में यह वादा किया है कि 2070 तक देश नेट ज़ीरो इमीशन स्तर को हासिल कर लेगा। 

रिपोर्ट में पाया गया है कि जातिगत असमानताओं के कारण विभिन्न समुदायों के बीच संसाधनों और अवसरों की उपलब्धता में बड़ा अंतर है, जिस कारण एनर्जी ट्रांज़िशन की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कोयला क्षेत्रों में कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हाशिए पर रहने वाले समुदायों से आता है। इन समुदायों में ज्यादातर परिवार ऐसे हैं जिनकी शिक्षा केवल प्राथमिक स्तर तक हुई है या जो बिल्कुल भी शिक्षित नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनर्जी ट्रांज़िशन से यह समुदाय अधिक प्रभवित होंगे इसलिए इन्हें आजीविका के वैकल्पिक अवसर प्रदान करना बहुत जरूरी है। कोल फेजडाउन के कारण यह समुदाय अपनी आजीविका का एकमात्र स्रोत खो सकते हैं, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच और सीमित हो जाएगी। अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि कोयला और कोयला-संबद्ध जिलों में पिछड़ी जातियों के कामगार सामान्य जाति के कामगारों की तुलना में कम कमाते हैं।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इस असमानता को दूर करने के लिए कोयला खनन क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में सुधार किया जाना चाहिए ताकि वहां आर्थिक विकास हो सके। इन क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं और शैक्षणिक संस्थानों को भी बढ़ावा देना चाहिए। आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए वैकल्पिक उद्योगों में निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए फाइनेंस और क्रेडिट तक पहुंच में सुधार किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नीति निर्माताओं को विभिन्न समुदायों के हितों को ध्यान में रखते हुए, उनके लिए विशेष नीतियां बनानी चाहिए।

कर्नाटक: संदुर के जंगलों में खनन को मंज़ूरी न मिलने से 1 लाख पेड़ बचेंगे

साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक सरकार द्वारा कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को खनन की मंजूरी से इनकार करने के बाद संदुर में देवदारी पहाड़ियों के पास स्वामीमलाई में लगभग 402 हेक्टेयर अछूता जंगल कटने से बच गया। 

सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा 18 जून को केआईओसीएल को वनभूमि को उसकी प्राकृतिक अवस्था में पट्टे पर देने के लिए केंद्र की मंजूरी के बाद स्पष्टीकरण जारी किया।

पर्यावरणविदों, कार्यकर्ताओं और राज्य वन विभाग के हंगामे के बाद, केंद्र ने कहा कि यह 2017 में लिए गए निर्णय के तहत हो रहा था और बताया कि राज्य सरकार ने परियोजना को मंजूरी दे दी थी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि केआईओसीएल कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान में अतीत में खनन चूक/वन अधिनियम के उल्लंघन के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के निर्देशों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी तरह से लागू करने में विफल रहा है।

जैव विविधता फाइनेंस: अमीर देशों को 2025 से विकासशील देशों को प्रति वर्ष 20 अरब डॉलर प्रदान करने का लक्ष्य पूरा करना होगा

एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि अमीर देश, मुख्य रूप से जापान, यूनाइटेड किंगडम, इटली, कनाडा, कोरिया और स्पेन, विकासशील देशों को 2025 तक जैव विविधता वित्त में प्रति वर्ष 20 बिलियन डॉलर प्रदान करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहे। यह लक्ष्य कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे या जैव विविधता योजना का हिस्सा है जिसे 2022 में जैविक विविधता सम्मेलन (सीओपी16) के पक्षकारों के 16वें सम्मेलन में अपनाया गया था।

एक अमेरिकी गैर लाभकारी संगठन कैंपेन फॉर नेचर द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों को अधिक भुगतान करने की आवश्यकता है क्योंकि 28 विकसित देशों में से केवल दो ही 20 बिलियन डॉलर का अपना उचित हिस्सा दे रहे हैं, उनमें से अधिकांश को धरती पर जैव विविधता को हो रही हानि रोकने और उलटने में मदद करने के लिए कम से कम अपने वित्त पोषण को दोगुना करने की आवश्यकता है।. 

रिपोर्ट में देशों की जैव विविधता पर ऐतिहासिक प्रभाव, उनकी भुगतान करने की क्षमता और जनसंख्या के आकार को ध्यान में रखते हुए गणना की गई कि उन्हें कितना भुगतान करना चाहिए। नॉर्वे और स्वीडन अपने उचित हिस्से से अधिक प्रदान करने वाले एकमात्र देश थे, जर्मनी और फ्रांस क्रमशः 99% और 92% प्रदान कर रहे हैं, और ऑस्ट्रेलिया अपने उचित हिस्से का 74% प्रदान कर रहा था। सबसे बड़ा अंतर जापान, यूनाइटेड किंगडम, इटली, कनाडा, कोरिया और स्पेन में था। कुल मिलाकर, वे कुल कमी का 71% हिस्सा हैं।

77% भारतीय चाहते हैं मजबूत क्लाइमेट एक्शन 

एक नए सर्वे में पता चला है कि 77 प्रतिशत भारतीय मजबूत क्लाइमेट एक्शन के पक्ष में हैं, और 33 प्रतिशत ने हाल ही में चरम मौसम की घटनाओं का अनुभव किया है।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और जियोपोल के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा किए गए पीपल्स क्लाइमेट वोट 2024 सर्वेक्षण में 77 देशों के 75,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं ली गईं, जो वैश्विक आबादी के 87 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।

सर्वे में पाया गया कि अमेरिका और रूस में 66 प्रतिशत, जर्मनी में 67 प्रतिशत, चीन में 73 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका और भारत में 77 प्रतिशत, ब्राजील में 85 प्रतिशत, ईरान में 88 प्रतिशत और इटली में 93 प्रतिशत लोग मजबूत क्लाइमेट एक्शन चाहते हैं। दुनिया भर में 72 प्रतिशत लोग जीवाश्म ईंधन का प्रयोग तेजी से कम करने का समर्थन करते हैं। 

सर्वेक्षण से पता चलता है कि जलवायु संबंधी चिंता व्यापक है, 56 प्रतिशत लोग नियमित रूप से जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचते हैं, और पिछले वर्ष की तुलना में 53 प्रतिशत लोग इसके बारे में अधिक चिंतित हैं। यह चिंता अल्प-विकसित देशों (एलडीसी) और लघु द्वीपीय विकासशील देशों (एसआईडीएस) में विशेष रूप से अधिक है।

कोल इंडिया ने 23 बंद पड़ी खदानें निजी कंपनियों को आवंटित कीं

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपनी बंद और ठप पड़ीं भूमिगत खदानों से कोयला निकालने के लिए ऐसी 23 खानों को राजस्व-भागीदारी के आधार पर निजी कंपनियों को आवंटित करने की घोषणा की है। कंपनी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन खदानों की अधिकतम क्षमता सालाना 3.41 करोड़ टन की है। इसमें से कुल निकालने योग्य कोयला भंडार 63.5 करोड़ टन है।

कोल इंडिया ने न्यूनतम राजस्व भागीदारी चार प्रतिशत पर तय की है। अनुबंध की अवधि 25 साल की होगी। जिन निजी कंपनियों को यह खदानें आवंटित की गई हैं उनके नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

कोल इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि 11 अन्य खदानों के लिए भी बोली प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले, सीआईएल ने कुल 34 बंद पड़ी खदानों की पहचान की थी, जहां अच्छी गुणवत्ता वाले कोयले के भंडार हैं, लेकिन सीआईएल के लिए वहां खनन करना वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हो सकता है।

तीस्ता नदी के संरक्षण पर भारत और बांग्लादेश के बीच समझौता

भारत और बांग्लादेश ने तीस्ता नदी के जल के संरक्षण और प्रबंधन के लिए मेगा परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच वार्ता के दौरान इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
इस समझौते के तहत भारत बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण पर बातचीत करने के लिए एक तकनीकी टीम भेजेगा। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि नई दिल्ली की आपत्तियों के बावजूद, चीन इस एक अरब डॉलर की परियोजना पर नज़रें गड़ाए था। इस समझौते पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि साझा जल संसाधनों का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामला है।

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वायु प्रदूषण से दुनियाभर में हुईं 81 लाख मौतें, भारत में 21 लाख

एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वायु प्रदूषण से दुनिया भर में 81 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। भारत में वायु प्रदूषण से 21 लाख मौतें दर्ज हुईं जबकि चीन में 23 लाख मौतें दर्ज की गईं। यह रिपोर्ट अमेरिका स्थित एक स्वतंत्र अनुसंधान संगठन, हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) द्वारा यूनिसेफ के साथ साझेदारी में प्रकाशित की गई है। इसमें कहा गया है कि 2021 में भारत में पांच साल से कम उम्र के 1,69,400 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया में होने वाली मौतों की एक प्रमुख वजह है। अन्य देश जहां वायु प्रदूषण का अधिक प्रभाव पड़ा उनमें शामिल हैं: पाकिस्तान (2,56,000 मौतें), बांग्लादेश (2,36,300), म्यांमार (1,01,600 मौतें), इंडोनेशिया (2,21,600 मौतें), वियतनाम (99,700 मौतें), फिलीपींस (98,209), नाइजीरिया (2,06,700 मौतें) और मिस्र (1,16,500 मौतें)।

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले कैंसर रोगियों में अधिक होता है हृदय रोग का खतरा

एक नए शोध के अनुसार, वायु प्रदूषण से कैंसर रोगियों में हृदय रोग और मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम2.5 के संपर्क में आने से शरीर का डीटॉक्स और रोधक क्षमता कमजोर होती है, जो कैंसर और हृदय रोग दोनों का कारण बन सकता है।

जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (जेएसीसी): कार्डियोऑन्कोलॉजी में प्रकाशित हुए इस शोध के अनुसार, थोड़ी देर भी वायु प्रदूषण के हानिकारक स्तरों के संपर्क में आने से भी कैंसर रोगियों के हृदय पर तेजी से असर पड़ सकता है। 

शोधकर्ताओं ने कहा कि वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को बढ़ाता है, और इसका सबसे अधिक खतरा हाशिए पर रहने वाले समुदायों को होता है।

वायु गुणवत्ता आयोग ने दिल्ली एनसीआर में वृक्षारोपण का लक्ष्य 20% बढ़ाया

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वृक्षारोपण के लक्ष्य को 20% बढ़ा दिया है। नए लक्ष्य के अनुरूप अब 4.5 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। सीएक्यूएम ने वित्त वर्ष 2024 में एनसीआर में सड़कों, सड़कों के किनारों, रास्तों आदि के केंद्रीय किनारों पर 3.6 करोड़ पेड़ लगाए थे। वित्त वर्ष 2022 में, सीएक्यूएम ने 28 लाख पेड़ लगाए थे। पिछले तीन वर्षों में वृक्षारोपण में लगभग 16 गुना वृद्धि हुई है।

एनसीआर के घने शहरी समूहों में आयोग मियावाकी तकनीक पर आधारित शहरी वानिकी पहल का समर्थन कर रहा है। इस तकनीक में घने, जैव विविधता वाले जंगल बनाने के लिए एक छोटे से क्षेत्र में पेड़ों की देशी प्रजातियों को पास-पास लगाया जाता है।

दिल्ली-फरीदाबाद में फिर बदली हवा, बढ़ने लगा प्रदूषण

मौसम में बदलाव के साथ दिल्ली-फरीदाबाद की वायु गुणवत्ता में जो सुधार आया था, वो ज्यादा समय तक टिक न सका। इन दोनों शहरों में एक बार फिर प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है। एक तरफ दिल्ली में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक में 54 अंकों का उछाल आया है, वहीं फरीदाबाद के एक्यूआई में भी 103 अंकों की वृद्धि हुई है। 

इसी तरह देश के 16 अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम बना हुआ है। इन शहरों में अमृतसर, बद्दी, बागपत, भरतपुर, बक्सर, चरखी दादरी, धनबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र, मंडी गोविंदगढ़, पाथरडीह, रायचुर, तुमकुरु, विशाखापत्तनम शामिल रहे। जून 29 को देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है।

केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि जून 28 की तुलना में जून 29 को देश में खराब हवा वाले शहरों की संख्या में इजाफा हुआ। देश के 104 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर बना हुआ है। हालांकि इन शहरों की संख्या में मामूली गिरावट आई है।

ऊर्जा बदलाव में भारत 120 देशों में 63वें स्थान पर: डब्ल्यूईएफ

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) द्वारा जारी ग्लोबल एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स में भारत 120 देशों में 63वां स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने ऊर्जा समता, सुरक्षा और स्थिरता में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है। सूचकांक में शीर्ष पर यूरोपीय देशों का दबदबा है, स्वीडन पहले स्थान पर है, इसके बाद डेनमार्क, फिनलैंड, स्विट्जरलैंड और फ्रांस शीर्ष पांच में हैं। चीन 20वें स्थान पर है।

हालांकि 120 में से 107 देशों ने पिछले दशक के दौरान एनर्जी ट्रांज़िशन में प्रगति प्रदर्शित की है, समग्र रूप से ऊर्जा बदलाव की गति धीमी हो गई है और इसके विभिन्न पहलुओं को संतुलित करना एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।

डब्ल्यूईएफ ने स्वच्छ ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत द्वारा की गई प्रगति की भी सराहना की। देश की बिजली उत्पादन क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा और बायोमास का योगदान 42 प्रतिशत है।

ट्रांसफार्मर की कमी से भारत के सौर विस्तार को ख़तरा

बड़ी सौर परियोजनाओं के एक प्रमुख घटक पावर ट्रांसफार्मर की मैनुफैक्चरिंग मांग के अनुरूप न होने के कारण सोलर डेवलपर्स को इसके आपूर्ति के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है और भारत में सौर ऊर्जा की स्थापना धीमी हो गई है

मेरकॉम इंडिया रिसर्च के अनुसार, लगभग 143 गीगावॉट की बड़ी सौर परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं और 96 गीगावॉट की अन्य सौर परियोजनाओं की टेंडर जारी हो गया है और नीलामी प्रतीक्षित है, इसके कारण ट्रांसफार्मर की मांग बढ़ रही है।

नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर ब्लूपाइन एनर्जी के सौर और भंडारण प्रमुख आशीष अग्रवाल के अनुसार, 220 केवी ट्रांसफार्मर की खरीद के लिए लीड टाइम 8-9 महीने से बढ़कर लगभग 14 महीने हो गया है।

भारत ने वित्तीय वर्ष 2024 में लगभग 14.7 गीगावॉट सौर क्षमता स्थापित की

रिसर्च फर्म जेएमके रिसर्च एंड एनालिटिक्स के एक विश्लेषण के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2024 में लगभग 14.7 गीगावॉट सौर क्षमता (11.7 गीगावॉट यूटिलिटी-स्केल सोलर इंस्टॉलेशन और 3 गीगावॉट रूफटॉप सोलर) स्थापित की। गुजरात (4.8 गीगावॉट), राजस्थान (3.4 गीगावॉट) और मध्य प्रदेश (0.8 गीगावॉट) नई क्षमता की स्थापना में अग्रणी रहे।

31 मार्च, 2024 तक, भारत में लगभग 68.2 गीगावॉट यूटिलिटी-स्केल सौर क्षमता कमीशन की गई थी, जबकि अतिरिक्त 65.6 गीगावॉट स्थापना की प्रक्रिया चालू है (जिनकी नीलामी पूरी हो चुकी है)। पीवी मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में 19.9 गीगावॉट स्थापित सौर क्षमता है, इसके बाद गुजरात (10.6 गीगावॉट) और कर्नाटक (9.2 गीगावॉट) का स्थान है। 

जेएमके ने कहा कि भारत 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष में लगभग 16.9 गीगावॉट नई यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाएं और 4 गीगावॉट रूफटॉप या ऑनसाइट सौर परियोजनाएं शुरू करेगा।

सेंट्रल ज़ोन ने भारतीय रेलवे का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट स्थापित किया          

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक मध्य रेलवे ने पश्चिमी घाट में स्थित इगतपुरी झील में 10 मेगावाट क्षमता का एक फ्लोटिंग सोलर प्लांट स्थापित किया है, जो भारतीय रेलवे द्वारा अपनी तरह की पहली पहल है।

इसके अलावा, सेंट्रल रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, मध्य रेलवे ने रेलवे स्टेशनों और इमारतों की छत का उपयोग करके 12.05-मेगावाट सौर संयंत्र चालू किए हैं, जिनमें से 4-मेगावाट सौर संयंत्र पिछले वर्ष आवंटित किए गए थे। 

मध्य रेलवे के अनुसार, 325 मेगावाट सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो ‘राउंड द क्लॉक बेसिस’ (चौबीसों घंटे) के आधार पर होगा।

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बीआईएस ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नए सुरक्षा मानक जारी किए

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एल, एम और एन श्रेणियों के इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा में सुधार के लिए दो नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। एल का तात्पर्य दोपहिया वाहनों से है, एम का तात्पर्य चार पहिया वाहनों से है और एन श्रेणी में माल ढोनेवाले ट्रक आते हैं।

नए मानकों का उद्देश्य एल, एम और एन श्रेणियों के इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा और गुणवत्ता को बढ़ाना है। भारत में कारों और ट्रकों के अलावा दूसरे इलेक्ट्रिक वाहन भी बड़े पैमाने पर खरीदे जा रहे हैं, विशेष रूप से ई-रिक्शा और ई-कार्ट। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए मानक विशेष रूप से इन वाहनों के लिए जारी किए गए हैं।

नए मानक, आईएस 18590:2024 और आईएस 18606:2024, इलेक्ट्रिक वाहनों के एक महत्वपूर्ण घटक, पावरट्रेन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये मानक बैटरियों की सुरक्षा और प्रदर्शन पर जोर देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि दोनों मजबूत और सुरक्षित रहें।

2025 में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 1.3-1.5 लाख तक पहुंच जाएगी: रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2024 में 90 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के बाद, मौजूदा वित्त वर्ष (FY25) में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 1.3-1.5 लाख तक पहुंचने की संभावना है। केयरएज रेटिंग रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में लगातार वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की खुदरा बिक्री में 90,432 इकाइयों के साथ 90% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यात्री वाहन (पीवी) उद्योग में वित्तीय वर्ष 2025 में मध्यम वृद्धि का अनुमान है, और बिक्री की मात्रा 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। यह पूर्वानुमान वित्त वर्ष 2024 में दर्ज 7.4 प्रतिशत की वृद्धि के मद्देनजर आया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय मंदी को दर्शाता है।

चीन की मांग, 4 जुलाई तक ईवी टैरिफ हटाए यूरोपीय यूनियन

चीन ने यूरोपीय संघ से मांग की है कि वह 4 जुलाई तक चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर प्रारंभिक टैरिफ लगाने की योजना रद्द कर दे, क्योंकि दोनों पक्ष संभावित समझौते पर बातचीत करने पर सहमत हो गए हैं। यूरोपीय संघ ने चीन से आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों पर 38.1% तक का शुल्क लगाने का फैसला किया है जो 4 जुलाई से लागू होगा। ईयू के अनुसार “अत्यधिक और अनुचित सब्सिडी” के कारण चीनी वाहनों के दाम कम होते हैं जिससे यूरोप के बाजार पर असर पड़ता है।

चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, बीजिंग चाहता है कि यूरोपीय संघ के साथ तकनीकी वार्ता के मद्देनज़र, इस शुल्क को फिलहाल रद्द कर दिया जाए।

दक्षिण कोरिया के लिथियम बैटरी संयंत्र में आग लगने से 22 कर्मचारियों की मौत

सोमवार को कई बैटरियों में विस्फोट के बाद दक्षिण कोरिया में एक लिथियम बैटरी फैक्ट्री में आग लग गई, जिसमें 22 श्रमिकों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश चीनी नागरिक थे।

राजधानी सियोल के दक्षिणपश्चिम औद्योगिक समूह ह्वासोंग में प्राइमरी बैटरी निर्माता एरिसेल द्वारा संचालित फैक्ट्री में आग लग गई और फिर एक के बाद एक विस्फोट होते गए।

अधिकारियों ने कहा कि आग के नियंत्रण से बाहर होने के कुछ ही सेकंड के भीतर पीड़ितों ने अत्यधिक जहरीली गैस के कारण दम तोड़ दिया। यह स्पष्ट नहीं था कि विस्फोटों का कारण क्या था और आग लगभग छह घंटे में काफी हद तक बुझ गई।

ह्वासोंग अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी किम जिन-यंग ने संवाददाताओं को बताया कि मृतकों में अठारह चीनी कर्मचारी, दो दक्षिण कोरियाई और एक लाओशियन शामिल थे। अन्य मृत कर्मचारी की राष्ट्रीयता की अभी पुष्टि नहीं की गई है। किम ने कहा कि आग लगने की सूचना सबसे पहले सुबह 10:31 बजे (01:31 GMT) मिली जब 35,000 बैटरियों के एक गोदाम के अंदर बैटरी कोशिकाओं की एक श्रृंखला में विस्फोट हुआ।

दक्षिण कोरिया स्थित कंपनी एरिसेल की स्थापना 2020 में हुई जो  सेंसर और रेडियो संचार उपकरणों के लिए लिथियम प्राथमिक बैटरी बनाती है। इसके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, इसमें 48 कर्मचारी हैं। जानकारों का कहना है कि आग इतना तेज़ी से फैली की कर्मचारियों को निकलने का बिल्कुल वक्त नहीं मिला। समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक कंपनी से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

भारत में गैस पावर प्लांट्स से बिजली के उपयोग ने मई में कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा

तीव्र गर्मी और नए नियम भारत में गैस से चलने वाली बिजली के उपयोग को बढ़ा रहे हैं, जहां अगले दो वर्षों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। ग्रिड इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल और मई में देश में गैस प्लांट्स से बिजली का उत्पादन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुना से अधिक होकर 8.9 बिलियन किलोवॉट-आवर (kWh) हो गया। कोविड-19 महामारी के बाद यह पहली बार है कि हिस्सेदारी के मामले में गैस से उत्पादित बिजली ने कोयले से मिलने वाली बिजली को पीछे छोड़ दिया है। 

मई में, कोयले की हिस्सेदारी गिरकर 74% हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 75.2% थी, जबकि गैस की हिस्सेदारी 1.6% से लगभग दोगुनी होकर 3.1% हो गई। अधिकारियों ने कहा कि पिछले सप्ताह समाप्त हुए 43-दिवसीय लोकसभा चुनावों के दौरान बिजली कटौती से बचने के लिए गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों के संचालन के लिए एक आपातकालीन धारा लागू की गई, जिससे गैस का उपयोग भी बढ़ गया, क्योंकि बिजली कटौती हमेशा ही एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है। मार्च 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में गैस से बिजली उत्पादन 10.5% बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष 35% की वृद्धि थी।

तेल और गैस उत्पादन बढ़ाना सर्वोच्च प्राथमिकताओं में एक है : तेल मंत्री  

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा है कि सरकार का शीर्ष उद्देश्य तेल और गैस उत्पादन, इथेनॉल का उपयोग बढ़ाना और हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देना होगा।  उन्होंने यह भी कहा कि बीपीसीएल जैसी लाभदायक सरकारी तेल कंपनियों को बेचा नहीं जाएगा। दूसरी बार तेल मंत्रालय का नेतृत्व संभालने के बाद, पुरी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि पिछले तीन वर्षों में हमने जो किया है, ये कदम उसकी एक आवश्यक निरंतरता है। जुलाई 2021, महामारी के बाद आर्थिक सुधार और संघर्षों के कारण आए वैश्विक ऊर्जा संकट के दौरान पुरी ने पहली बार तेल मंत्री के रूप में पदभार संभाला था।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जीवाश्म-ईंधन विज्ञापन पर वैश्विक प्रतिबंध औऱ विंडफॉल टैक्स की मांग की 

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर नई वैज्ञानिक चेतावनियाँ जारी कीं और घोषणा की कि जीवाश्म ईंधन की दिग्गज कंपनियां “जलवायु अराजकता के गॉडफादर” हैं। उन्होंने कहा कि तंबाकू पर प्रतिबंध के समान, हर देश में उनके विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। . न्यूयॉर्क में एक महत्वपूर्ण भाषण में, गुटेरेस ने चेतावनी दी कि दुनिया आपदा को रोकने के अपने असफल प्रयासों में “समय की कमी” का सामना कर रही है और समाचार और तकनीकी मीडिया से आग्रह किया कि जीवाश्म ईंधन से विज्ञापन की राशि स्वीकार न करके “ग्रह विनाश” का समर्थन करने से बचें। यह बताते हुए कि 1.5 डिग्री तापमान वृद्धि रोकने का लक्ष्य “अभी भी लगभग संभव है,” गुटेरेस ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तपोषण बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए जीवाश्म ईंधन कंपनियों के मुनाफे पर “विडफॉल टैक्स” लगाने का भी आह्वान किया।