आवासीय सौर प्रणालियां स्थापित करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले राष्ट्रीय पोर्टल में गड़बड़ियां आ रही हैं, जिसके कारण रूफटॉप सोलर स्थापित करने का काम धीमा हो रहा है, मेरकॉम ने एक रिपोर्ट में कहा। पोर्टल का उपयोग रूफटॉप सोलर पंजीकरण, दस्तावेज अपलोड करने, परियोजना की पूर्णता रिपोर्ट और सब्सिडी आवेदनों के लिए किया जाता है।
मेरकॉम ने कहा कि पोर्टल की अस्थिरता के कारण हजारों एप्लीकेशन लंबित हैं, जिससे इंस्टॉलर और ग्राहक दोनों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
“ग्राहकों का हम पर से विश्वास उठ गया है क्योंकि पोर्टल पर कुछ भी करना असंभव है। हर कदम पर नए बग आते हैं,” रूफटॉप सोलर इंस्टॉलर फर्म सोलर प्लैनेट के सुरेंद्र चौधरी ने कहा।
2028 तक पवन ऊर्जा क्षमता को 25 गीगावॉट तक बढ़ाएगा भारत
भारत अपनी पवन ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए 1.8 से 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रहा है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025 से 2028 के बीच, भारत की पवन ऊर्जा क्षमता में लगभग 25 गीगावाट की वृद्धि संभावित है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि देश ने 2021 से 2024 के बीच लगभग 9 गीगावाट क्षमता जोड़ी।
सौर ऊर्जा के विपरीत, पवन ऊर्जा क्षमता ग्रिड संतुलन और निरंतर बिजली आपूर्ति प्रदान करती है।
देश की पवन ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की गति पिछले कुछ सालों में धीमी रही है। 2014 से 2018 तक सालाना लगभग 3.0 गीगावॉट की बढ़ोत्तरी हुई, जो 2018 से 2023 तक घटकर 1.7 गीगावॉट हो गई। इसके पीछे उच्च पवन क्षमता वाली जगहों में कनेक्शन की कमी और डेवलपर्स को मिलने वाले कम रिटर्न को बताया जा रहा था।
सोलर वेफर की कीमतों में गिरावट के साथ उत्पादकों की चिंता बढ़ी
इस हफ्ते एक बार फिर चीनी सोलर वेफर्स की कीमतों में भारी गिरावट आई है। पीवी मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार में अत्यधिक आपूर्ति और कमजोर मांग का संकेत है। मोनो पीईआरसी एम10 और एन-टाइप एम10 वेफर की कीमतों में पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमशः 2.58% और 8.81% की कमी हुई, जो क्रमशः $0.189 प्रति पीस और $0.176/पीस तक पहुंच गई।
इसी प्रकार, मोनो पीईआरसी जी12 और एन-टाइप जी12 वेफर की कीमतें पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमशः 0.76% और 2.18% गिरकर $0.261/पीस और $0.269/पीस पर आ गईं। ओपीआईएस के बाजार सर्वेक्षण के अनुसार, चीनी घरेलू बाजार में मोनो पीईआरसी एम10 और एन-टाइप एम10 वेफर्स की औसत लेनदेन कीमतें क्रमशः 1.52 युआन($0.21)/पीस और 1.41 युआन/पीस तक गिर गई हैं।
वैज्ञानिकों ने सोलर ग्लास के लिए बनाई नई हाइड्रोफोबिक, एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग
स्लोवाकिया के वैज्ञानिकों ने सौर ग्लास के लिए एक यूनिक हाइड्रोफोबिक, एंटीरिफ्लेक्टिव कोटिंग बनाई है जिसकी अकार्बनिक-कार्बनिक ऊपरी परत ट्राइथॉक्सी (ऑक्टाइल) सिलेन के साथ संशोधित सिलिका से बनी है और निचली परत सिलिका-टिटानिया की पतली फिल्म से। अनकोटेड ग्लास की तुलना में, यह नवीन कोटिंग ग्लास संप्रेषण को 7% तक बढ़ा देती है। शोधकर्ताओं ने सोल-जेल प्रक्रिया का उपयोग करके प्रभावी ढंग से एक डबल-लेयर हाइड्रोफोबिक एआर का निर्माण किया। इस तकनीक के कई लाभ हैं, जैसे कम लागत, प्रीकर्सर्स की एक बड़ा संग्रह, कम संश्लेषण तापमान और फिल्मों के संरचनात्मक और रूपात्मक गुणों पर शानदार नियंत्रण।
इस कोटिंग का एप्लीकेशन कई उद्योगों में संभव है, लेकिन यह सोलर सेल उद्योग में विशेष रूप से उपयोगी है जहां यह सोलर सेल की स्थिरता और दक्षता को बढ़ा सकता है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
भारत ने पांच साल पहले हासिल किया गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन का लक्ष्य
-
बंद पड़ी कोयला खदानों में हो सकती है 300 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापना: जीईएम
-
2030 का लक्ष्य पाने के लिए भारत को हर साल जोड़नी होगी दोगुनी अक्षय ऊर्जा: रिपोर्ट
-
क्षमता से कम है भारत का अक्षय ऊर्जा उत्पादन: रिपोर्ट
-
वैश्विक पवन ऊर्जा क्षमता में वृद्धि लक्ष्यों से बहुत पीछे: रिपोर्ट