आंध्र प्रदेश सरकार के बिजली मंत्री ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उनके राज्य को सबसे अधिक साफ ऊर्जा उत्पादन की सज़ा मिल रही है। इस वक़्त कई पावर वितरण कंपनियों का नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में भुगतान को लेकर विवाद चल रहा है। आंध्र प्रदेश के बिजली मंत्री बी श्रीनिवास ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा है कि राज्य के कुल बिजली उत्पादन में साफ ऊर्जा (25%) सबसे अधिक है। श्रीनिवास का तर्क है कि जिन राज्यों ने साफ ऊर्जा में देरी से पहल की वह आज कम रेट से भुगतान कर रहे हैं और आंध्र प्रदेश को अग्रणी होने की सज़ा मिल रही है। राज्य ने केंद्र से वित्तीय मदद की मांग की है।
“आंध्र प्रदेश 4.84 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली कंपनियों को भुगतान कर रहा है जबकि देर से शुरुआत करने वाले राज्य केवल 2.4 रु प्रति यूनिट दे रहे हैं।” बी श्रीनिवास ने अपनी चिट्ठी में लिखा है।
क्या भारत पायेगा साफ ऊर्जा का तय लक्ष्य?
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने कहा है कि भारत ने 2022 तक जो 175 GW साफ ऊर्जा का दावा किया है उसे पाना मुमकिन नहीं होगा। एजेंसी के मुताबिक भारत तय लक्ष्य से 42% पीछे छूट सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में न्यूयॉर्क सम्मेलन के दौरान तय लक्ष्य को 450 GW तक बढ़ाने का ऐलान किया। क्रिसिल ने ढुलमुल नीति और रिकॉर्ड कम दरों के साथ रेग्युलेशन से जुड़ी चुनौतियों का हवाला दिया जबकि सरकार ने इस अनुमान को खारिज़ करते हुये कहा है कि क्रिसिल ने साफ ऊर्जा के लिये सरकार के उठाये कदमों की सही गणना नहीं की है। सरकार के मुताबिक सितम्बर 2019 तक 82 GW साफ ऊर्जा के संयंत्र लगाये जा चुके हैं और 2021 की शुरुआत तक साफ ऊर्जा की यह क्षमता 121 GW तक पहुंच जायेगी।
UK: साफ ऊर्जा क्षमता पहली बार जीवाश्म ईंधन से आगे
पिछली तिमाही में यूनाइटेड किंगडम या इंग्लैंड में सौर, पवन और बायोमास स्रोतों से बिजली उत्पादन तेल, कोयले और गैस (जीवाश्म ईंधन) से मिलने वाली बिजली से अधिक रहा। सितंबर के महीने में साफ ऊर्जा उत्पादन 40% अधिक हुआ। यूके ने इस साल जो ऑफशोर विंडफार्म बनाये हैं उसी का असर है कि यहां साफ ऊर्जा (कुल बिजली का 39%) जीवाश्म ईंधन उत्पादन से आगे निकल गई। कार्बन ब्रीफ के ताज़ा विश्लेषण से पता चलता है कि यूके में कोयला पावर प्लांट्स से मिलने वाली 1% से भी कम रही।
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