भारत ने साल 2020 में अपनी सौर और पवन ऊर्जा क्षमता में केवल 4,908 मेगावॉट की बढ़ोतरी की। यह बात ब्रिज टु इंडिया की रिपोर्ट में कही गई है। बड़े स्तर पर सोलर और विन्ड पावर जेनरेशन में वृद्धि 2,620 मेगावॉट और 1.309 मेगावॉट रही जो पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 60% और 40% की कमी है। छतों पर 979 मेगावॉट के सोलर पैनल ही लगाये जा सके जो पिछले साल लगायी गई रूफ टॉप के मुकाबले 36% की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी ने जो वित्तीय और ऑपरेशन चुनौतियां खड़ी कीं वह इस समस्या के पीछे है।
IEA: सोलर करेगा कोल पावर की बराबरी
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अपने इंडिया एनर्जी आउटलुक – 2021 में कहा है कि साल 2040 तक भारत का सौर ऊर्जा उत्पादन कोयले से मिलने वाली बिजली उत्पादन क्षमता की बराबरी कर सकता है। इसकी वजह है कि रिन्यूएबल एनर्जी की दरें घट रही हैं और सरकार ने 2030 तक 450 गीगावाट साफ ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में बैटरी स्टोरेज के मामले में दुनिया का सबसे अग्रणी देश बनने की क्षमता है और भारत 2040 तक 140-200 गीगावॉट बैटरी क्षमता बढ़ा सकता है।
भारत के CO2 इमीशन 2040 तक 50% बढ़ सकते हैं और भारत चीन के हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाद दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश होगा।
चीन: कंपनियों के लिये न्यूनतम 40% साफ ऊर्जा खरीद की शर्त
चीन की प्रस्तावित नीति में ग्रिड कंपनियों के लिये यह शर्त रखी गई है कि वह साल 2030 के बाद अपनी कुल खरीद का 40% उन स्रोतों से लेंगे जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं कर रहे। रायटर के मुताबिक क्षेत्रीय फर्म धीरे-धीरे अपनी साफ ऊर्जा खरीद – साल 2020 में 28.2% – बढ़ाकर 2030 में इसे 40% तक ले जायेंगी। चीन ने कहा है वह 2060 तक कार्बन न्यूट्रल देश हो जायेगा।
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