राजधानी दिल्ली में दिवाली के दो दिन बाद तक वायु प्रदूषण “हानिकारक” (severe) श्रेणी में रहा। दिवाली की अगली सुबह 28 अक्टूबर को तड़के प्रदूषण 3 बजे सर्वोच्च स्तर पर था। सरकारी नियमों के हिसाब से 48 घंटे तक प्रदूषण लगातार “हानिकारक” श्रेणी बने रहने पर “आपातकाल” की घोषणा की जाती है। दिल्ली स्थित साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (CSE) ने केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों का विश्लेषण कर यह बताया कि इस साल भी प्रदूषण का सर्वोच्च स्तर (peak level) लगभग 2018 जितना ही था।
NASA: पंजाब, हरियाणा में खुंटी-दहन में 5% की बढ़ोतरी
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उपग्रह की मदद से जो तस्वीरें जारी की हैं उनसे पता चलता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल पंजाब और हरियाणा में खुंटी (फसल की ठूंठ जिसे पराली भी कहा जाता है) जलाये जाने की घटनाओं में 5% की बढ़त हुई है। हालांकि अधिकारी बताते हैं कि पंजाब में प्रति यूनिट क्षेत्रफल में खुंटी जलाये की घटनायें घटी हैं। इस साल 22 अक्टूबर तक राज्य में 18% अधिक ज़मीन पर धान की फसल कटने का पता चला। 2018 में जहां यह क्षेत्रफल 8.6 लाख हेक्टेयर था वहीं इस साल 10.2 हेक्टेयर में फसल काटी गई है।
कचरा जलाने के मामले में EPCA पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) ने सुप्रीम कोर्ट को एक स्पेशल रिपोर्ट दी है जिसमें दिल्ली के पड़ोसी राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उन क्षेत्रों के बारे में जानकारी है जहां बार-बार और बड़ी मात्रा में कचरा जलाया जाता है। EPCA ने पाया कि हज़ारों टन प्लास्टिक और औद्योगिक कूड़ा खुले में जमा किया जाता है और जलाया जाता है। अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इन राज्यों के प्रदूषण बोर्डों को निर्देश दे की वह इन स्थानों पर सख़्त निगरानी रखें और कचरा जलाने पर रोक लगाये।
प्रदूषण रोकने में एनसीआर के बिजलीघर फेल: RTI
दिल्ली के आसपास के इलाके में 33 कोयला बिजलीघर एक बार फिर प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल टेक्नोलॉजी उपकरण लगाने की डेडलाइन में फेल होंगे। पहले इन बिजलीघरों को दिसंबर 2017 तक यह टेक्नोलॉजी लगाने थी लेकिन फिर कोर्ट ने यह समय सीमा 2 साल बढ़ाकर दिसंबर 2019 कर दी लेकिन अब सूचना अधिकार कानून से पता चला है कि ज्यादातर कंपनियों ने अपने प्लांट में प्रदूषण नियंत्रक उपकरण लगाने के लिये कोई टेंडर ही जारी नहीं किया है।
सिंगरौली: खनन और बिजली कंपनियों पर NGT का जुर्माना कितना असरदार
पर्यावरण मामलों की अदालत NGT ने सिंगरौली इलाके में काम कर रही खनन और बिजली कंपनियों पर कुल 79 करोड़ का जुर्माना लगाया है। एक याचिका की सुनवाई पर कोर्ट ने इन कंपनियों पर यह जुर्माना इस क्षेत्र में पानी और ज़मीन को प्रदूषित करने के लिये लगाया लेकिन क्या पर्यावरण को हुये नुकसान और कंपनियों को हो रहे मुनाफे के हिसाब से यह जुर्माना पर्याप्त है? पत्रिका डाउन टु अर्थ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जिन कंपनियों पर जुर्माना लगा उनमें से 6 कंपनियों ने साल 2018 में ही करीब 21,000 करोड़ का मुनाफा कमाया। मिसाल के तौर पर NTPC पर कुल 4.9 करोड़ का जुर्माना लगा पर पिछले साल उसका कुल मुनाफा 11,750 करोड़ रुपये था। इसी तरह रिलायंस पर 3.7 करोड़ का जुर्माना लगा जबकि कंपनी ने 2018 में 1034.8 करोड़ का मुनाफा कमाया।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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