कोरोना की वर्तमान लहर से लागू लॉकडाउन के कारण पूरे देश में सोलर प्रोजेक्ट को मंज़ूरी में देरी होगी। जानकार कहते हैं कि अगर सरकार सोलर कंपनियों को 3-4 महीने का एक्सटेंशन देती है तो अनुमान है कि करीब 4 गीगावॉट के सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट प्रभावित होंगे जिन्हें 2022 में मंज़ूरी मिल पायेगी।
केंद्र सरकार ने सोलर प्रोजेक्ट के लिये बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) पर दस्तखत करने की समय सीमा 31 मई 2021 तक बढ़ा दी है। कंपनियों ने प्रोजेक्ट्स को सीधा 4 महीने की छूट देने की मांग की है। जानकारों ने चेतावनी दी है कि कोरोना से व्यापार और औद्योगिक इकाइयों पर पड़े असर के कारण रूफ टॉप सोलर मार्केट में भुगतान संबंधी समस्या हो सकती है जिससे कंपनियों के पास पैसे की दिक्कत होगी।
सौर ऊर्जा: निर्माण को बढ़ाने के लिये 4,500 करोड़ का प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव
भारत सरकार ने उच्च दक्षता वाले सोलर फोटो वोल्टिक मॉड्यूल के निर्माण के लिये 4,500 करोड़ रुपये का प्रोडक्शन-लिंक-इंसेंटिव (पीएलआई) मंज़ूर किया है ताकि सोलर उपकरणों का आयात कम हो। इसे लागू करने वाली एजेंसी – इंडियन रिन्यूएबिल एनर्जी डेवलपमेंट एंजेंसी (आईआरईडीए) को सालाना फीस के तौर पर पीएलआई का 1% मिलेगा। आईआरईडीए गर तिमाही में रिपोर्ट जमा करेगी कि क्या तरक्की हुई। इसमें कंपनियों को बिडिंग द्वारा चुना जायेगा जिन्हे देश में सोलर सेल और मॉड्यूल के बीच न्यूनतम जुड़ाव (इंटीग्रेशन) सुनिश्चित करना होगा। अधिक क्षमता वाले प्लांट्स को तरजीह मिलेगी।
जर्मनी 2022 के साफ ऊर्जा लक्ष्य को व्यापक करेगा
जर्मनी ने अगले साल के लिए अपने क्लाइमेट लक्ष्य बढ़ाये हैं लेकिन लंबी अवधि के लिये – साल 2030 तक के – लक्ष्य तय करने में वह फिलहाल विफल रहा है। यूरोपियन यूनियन द्वारा 2030 के इमीशन कम करने के कुल लक्ष्य 55% कर दिये जाने के बावजूद जर्मन सांसद 2030 के लिये देश के नये लक्ष्य नहीं बना पाये लेकिन अगले साल (2022) सौर और पवन ऊर्जा के अधिक प्रोजेक्ट लगाने का इरादा जताया है। क्लीन एनर्ज़ी वायर के मुताबिक अब यह सितंबर में नई सरकार के चुने जाने के बाद तय होगा। सरकार ने उपभोक्ताओं के लिये साफ ऊर्जा सरचार्ज भुगतान पर भी – 2023 और 2024 के लिये – 5 प्रतिशत प्रति किलोवॉट की सीमा तय कर दी है।
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