देरी और गड़बड़ियां उत्तराखंड की सौर स्वरोजगार योजना को प्रभावित कर रही हैं | Photo: Flickr

उत्तराखंड: सौर स्व रोज़गार योजना में विलंब और अड़चनें

उत्तराखंड सरकार ने सितंबर 2020 में मुख्यमंत्री सौर स्व-रोज़गार योजना शुरू की थी जिसके तहत दस हज़ार लोगों को 25 किलोवॉट तक के प्लांट वितरित किये जाने थे लेकिन इस योजना में कुछ तकनीकी अड़चनें हैं और कुछ यह सुस्त चल रही है।  सरकार कहती है कि इस योजना के तहत राज्य कुल 250 मेगावॉट अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन कर पायेगा। लेकिन इस योजना के तहत अगस्त 2021 तक करीब 1250 आवेदन आये और लगभग साढ़े पांच सौ लोगों को अलॉटमेंट हुये। इस योजना के क्रियान्वयन में एक दिक्कत पहाड़ों में सही क्षमता के ट्रांसफॉर्मर न होना है। अब ट्रांसफॉर्मर के हिसाब से सौर प्रोजेक्ट क्षमता में बदलाव किया जा रहा है।  

सौर ऊर्जा उत्पादन वृद्धि में सितंबर में दर्ज हुई गिरावट 

एक ऐसे समय में जब देश के ताप बिजलीघरों में कोयला सप्लाई में  कमी की बात सामने आई है तो वक्त रायटर्स द्वारा सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन वृद्धि का ग्राफ गिरा है। साल दर साल (ईयर ऑन ईयर) के आधार पर किये विश्लेषण से पता चलता है कि अगस्त में 41% से सितंबर में 24.7% हो गई।  यानी पिछल साल के इन्हीं महीनों के मुकाबले सौर उत्पादन बढ़ने की रफ्तार घट गई। ऊर्जा के दूसरे स्रोतों हाइड्रो और गैस से बिजली उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले कमी हुई है।  

क्लाइमेट चेंज प्रभाव रोकने के लिये 2030 तक साफ ऊर्जा उत्पादन सौर ऊर्जा उत्पादन 3 गुना होना चाहिये: IEA रिपोर्ट 

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी यानी आईईए के 2021 के अनुमान मुताबिक अगर सारे देश अपने वादों पर अमल भी करें तो भी 2050 तक नेट ज़ीरो के लिये 2030 तक जितना इमीशन कट करना है वह उसका  20% लक्ष्य ही हासिल कर पायेंगे। आईईए के कार्यकारी निदेशक फतेह बेरोल ने कहा है कि अगर साफ ऊर्जा को तीन गुना नहीं किया जाता तो एनर्ज़ी मार्केट में उथल पुथल से संकट बना रहेगा। उन्होंने कहा कि तेल और गैस में जितने निवेश की बात की गई है वह तो 2050 के नेट-ज़ीरो टार्गेट के समतुल्य है लेकिन साफ ऊर्जा में सरकारी निवेश जितना होना चाहिये उस मुकाबले अभी एक-तिहाई ही है। 

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