साफ ऊर्जा मंत्रालय ने तेज़ी से देश भर में सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण लगाने के लिये एक नीति का प्रस्ताव रखा है। सरकार चाहती है सोलर सेल से चलने वाले ड्रायर, कोल्ड स्टोरेज और चरखा जैसे उपकरणों का इस्तेमाल बढ़े। सरकार ने इसके लिये एक पॉलिसी ड्राफ्ट बनाया है जिस पर 2 नवंबर तक सुझाव दिये जा सकते हैं। सरकार का कहना है कि कई एजेंसियों वे कृषि, एग्रो प्रोसेसिंग, डेयरी, मुर्गी पालन और मछली पालन जैसे क्षेत्रों में ऐसे उपकरणों का टेस्ट किया है। देश भर में करीब 6 लाख गांव हैं और इस नीति की कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि वहां तक यह उपकरण कितनी कामयाबी से पहुंचते हैं।
सौर उत्पाद कंपनियों को मानकों पर एक और छूट
केंद्र सरकार ने सौर मॉड्यूल बनाने वाली कंपनियों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) मानकों में दी गई छूट की सीमा बढ़ा दी है। यह छूट उन उत्पादकों के लिये है जिनकी कुल क्षमता 50 मेगावॉट से कम है। वेबसाइट मरकॉम के मुताबिक देश में करीब 80 मॉड्यूल उत्पादक हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 50 मेगावॉट से कम है। घरेलू उत्पादकों ने सरकार से कहा था कि उन्हें तब तक BIS सर्टिफिकेशन में छूट दी जाये जब तक उनके इंटरनेशनल इलेक्ट्रोनिकल कमीशन (IEC) सर्टिफिकेट वैध हैं।
कोरोना: ऑफ ग्रिड सोलर प्रोडक्ट की बिक्री गिरी पिछले साल (2019) की दूसरी छमाही के मुकाबले इस साल की पहली छमाही में ऑफ ग्रिड सोलर उत्पादों की बिक्री में 50% की गिरावट दर्ज की गई। यह कोरोना महामारी का असर है। बिक्री में यह गिरावट 2019 की पहली छमाही के मुकाबल 59% कम है। यह बात ग्लोबल ऑफ ग्रिड लाइटनिंग एसोसिएशन (GOGLA) की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आयी है। सबसे अधिक गिरावट पोर्टेबल लालटेन सिस्टम की बिक्री में दिखी जबकि मल्टी लाइट सिस्टम में पिछले साल की दूसरी छमाही के मुकाबले 36% का उछाल आया। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का व्यापक प्रभाव दिखा है और ऑफ ग्रिड सोल उत्पादों के मुख्य डिस्ट्रिब्यूशन चैनल कहे जाने वाले माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशन महामारी से बर्बाद हो गये हैं।
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