फिर वही मुहिम: सरकार ने एक बार फिर से जंगलों से जुड़े कानूनों में वृहद बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। Photo: Canva

भारतीय वन कानून में फिर बदलाव की तैयारी

मोदी सरकार एक बार फिर से इंडियन फॉरेस्ट एक्ट (1927) में बदलाव करने की योजना बना रही है। हालांकि पिछली बार सरकार की ऐसी कोशिश का पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया था और उसे पीछे हटना पड़ा था। 

वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पिछली 8 अप्रैल को सलाहकार एजेंसी के चयन के लिये विज्ञापन (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) जारी किया ताकि इस क़ानून में संशोधन का खाका तैयार हो सके। करीब 100 साल पुराने इस कानून में बदलाव कर सरकार वन उत्पादों और लकड़ी से जुड़े कई वन क़ानूनों को एक में सम्मिलित करना चाहती है। सरकार ने 3 साल पहले क़ानून में बदलाव की कोशिश की थी। पर्यावरण मंत्रालय के नये नोटिफिकेशन के मुताबिक, “पिछली कोशिश में, जो कि 2017 में शुरू की गई, पहला ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था। 

उस पर जो टिप्पणियां मिलीं उसके आधार पर तय किया गया है भारतीय वन कानून – 1927 में अधिक वृहद और व्यवहारिक संशोधन किये जा सकते हैं।” इस रिपोर्ट को विस्तार से मोंगाबे इंडिया पर यहां पढ़ा जा सकता है।  

यूरोपीय यूनियन में क्लाइमेट कानून पर सैद्धांतिक सहमति 

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा आमंत्रित शिखर वार्ता के ठीक एक दिन पहले यूरोपीय यूनियन के देशों ने एक “यूरोपियन क्लाइमेट कानून” पर सैद्धांतिक सहमति बना ली। इस  प्रस्तावित क़ानून के तहत यूरोपीय देश 2030 तक अपने – 1990 के स्तर की तुलना में – ग्रीन हाउस गैस इमीशन में 55% कमी करेंगे और 2050 तक नेट-ज़ीरो का दर्जा हासिल करेंगे। इस क्लाइमेट लॉ को कार्बन इमीशन मुक्त दुनिया बनाने की दिशा में नये कदम की आधारशिला के तौर पर देखा जा रहा है। 

क्लाइमेट कानून पर सहमति के साथ ही यूरोपियन कमीशन ने भी  “हरित निवेश” के लिये मानक तैयार किये हैं। इससे यह परिभाषा तय होगी कि कौन सा कदम साफ ऊर्जा की दिशा उपाय माना जाये। 

जो नये मानक बनाये जा रहे हैं उनमें वही निवेश को क्लाइमेट के लिये मददगार माना जायेगा जो या तो लोगों, प्रकृति और संसाधनों पर हो रहे जलवायु परिवर्तन प्रभाव को कम करता हो या फिर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने में मदद करता हो। 

यूके: क्लाइमेट समिट से पहले “सबसे महत्वाकांक्षी” कदम का ऐलान 

यूके ने नया लक्ष्य तय किया है जिसके तहत वह 2035 तक 1990 के उत्सर्जन स्तर के 78% के बराबर ग्रीन हाउस गैस इमीशन घटायेगा। यूके सरकार ने इस “दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी” इमीशन कट लक्ष्य बताया है। इसकी मदद से देश 2050 तक नेट ज़ीरो दर्जा हासिल करने का तीन-चौथाई रास्ता तय कर लेगा। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यह ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित क्लाइमेट शिखर वार्ता से ठीक पहले किया। इस शिखर वार्ता में दुनिया के 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं और इसका मकसद नेट ज़ीरो की दिशा में मज़बूत पहल का फ्रेमवर्क तैयार करना है।

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