एक नये शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन पर बनी सलाहकार समितियों का प्रभाव पिछले कुछ सालों में बढ़ा है। टेलर एंड फ्रांसिस में छपे शोध में यूनाइटेड किंगडम कमेटी ऑन क्लाइमेट चेंज को इस शोध में एक केस स्टडी की तरह लिया गया। शोध कहता है कि न केवल कार्बन बजट जैसे विषय पर राजनीतिक बहस में इन सलाहकार बॉडीज़ का प्रभाव है बल्कि बिजली और बाढ़ सुरक्षा के लिये होने वाले खर्च पर भी इनकी सलाह का असर पड़ता है। शोध कहता है कि यूके कमेटी ने बिना राजनीतिकरण किये नीति नियंताओं को भरोसमंद जानकारी दी।
बजट 2021-22 : कई कार्यक्रमों के फंड में कटौती
सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय का बजट पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब सवा दो सौ करोड़ रूपये कम किया है। पिछले साल दिये गये 3,100 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय को 2,870 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कटौती पर चिन्ता जताई है और सरकार के इरादों पर सवाल खड़े किये हैं। क्लाइमेट चेंज एडाप्टेशन फंड, नेशनल एडाप्टेशन फंड और इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबीटाट जैसे कार्यक्रमों के फंड में सबसे अधिक कटौती हुई।
वैसे केंद्र सरकार ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले 42 शहरों के लिये अतिरिक्त 2,217 करोड़ रुपये दिये हैं लेकिन यह धन किस हिसाब से खर्च होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। यह धन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) में दिये गये पैसे से अलग है। पर्यावरण मंत्रालय के बजट में एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट कमीशन के प्रशासनिक खर्चों के प्रशासनिक खर्चों के लिये 20 करोड़ रुपये रखा गया है। यह कमीशन दिल्ली-एनसीआर की हवा को साफ करने के मिशन के तहत बनाया गया है।
बजट 2021-22 : पेट्रोल और डीज़ल के टैक्स में कमी नहीं
डीज़ल और पेट्रोल के आबकारी कर में कमी की मांग के बावजूद – जो कि पिछले कुछ समय में बहुत तेज़ी से बढ़े हैं – केंद्र सरकार अपने रुख पर अड़ी है और उसने किसी कटौती का ऐलान नहीं किया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने इसके बजाय कुछ बदलाव कर इसमें एक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर टैक्स भी जोड़ दिया। सरकार गेल, इंडियन ऑइल और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की तेल और गैस पाइप लाइन के शेयर भी बेचेगी।
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