कॉप28 में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक तीन गुना करने के वादे के दो साल बाद भी राष्ट्रीय लक्ष्यों में केवल 2% की वृद्धि हुई है।
ऊर्जा थिंकटैंक एम्बर की रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा क्षमता तीन गुनी करने के लिए 2030 तक दुनिया को 11 टेरावाट क्षमता चाहिए, लेकिन मौजूदा प्रगति के अनुसार केवल 7.4 टेरावाट क्षमता ही हासिल की जा सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 20 शीर्ष बिजली उत्पादकों में से 9 ने अपने लक्ष्य संशोधित नहीं किए हैं।
अमेरिका और रूस के 2030 के लिए कोई राष्ट्रीय लक्ष्य नहीं है। चीन अपनी योजना को संशोधित कर रहा है, जबकि भारत ने भी अपना 500 गीगावाट का लक्ष्य संशोधित नहीं किया है लेकिन यह वैश्विक क्षमता तीन गुनी करने के अनुरूप है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि देशों ने जल्द राष्ट्रीय लक्ष्य नहीं बढ़ाए, तो वह क्लाइमेट टारगेट से चूक सकते हैं।
कॉप30 में देशों पर दबाव डाला जाएगा कि वे अपनी योजनाएं अपडेट करें।
अक्षय ऊर्जा क्षमता में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा भारत: एक्सपर्ट
भारत स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है। ब्लूमबर्ग में डेविड फिकलिंग ने लिखा है कि कभी स्वच्छ ऊर्जा में अग्रणी रहा अमेरिका अब चीन और भारत से पीछे छूट रहा है। 2024 की पहली छमाही में भारत ने 22 गीगावॉट सौर और पवन ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ा — जो अमेरिका की वार्षिक अपेक्षा से अधिक है। इससे भारत को 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
फिकलिंग के अनुसार कम ब्याज दर, नियमों में बदलाव और निवेश में तेजी ने इस विकास को संभव बनाया। जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाते हुए भारत अब स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा रहा है।
बिजली क्षमता वृद्धि में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 92.5%
संयुक्त राष्ट्र ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि वर्ष 2024 में पूरी दुनिया में जितनी भी नई बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी गई, उसमें 92.5% हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का था। वहीं बिजली उत्पादन में हुई कुल वृद्धि का 74% योगदान भी इन्हीं स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से आया।
फ़ाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 2 ट्रिलियन डॉलर का निवेश हुआ — जो जीवाश्म ईंधन की तुलना में 800 अरब डॉलर अधिक है और यह पिछले 10 वर्षों में लगभग 70% की बढ़त दर्शाता है।
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