फोटो: Yogendra Singh/Pixabay

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार की सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और अपशिष्ट प्रबंधन पर रिपोर्ट को भारी अंतर के कारण खारिज किया

भारत की हरित अदालत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा कि ट्रिब्यूनल को सौंपी गई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और सीवेज अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) की स्थिति पर उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट में भारी अंतर है। कोर्ट ने सरकार को अंतर को भरने के लिए एक निर्धारित प्रारूप सौंपा और उसे अगली सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तक छूटे हुए विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

अपने 6 पन्नों के आदेश में कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की रिपोर्ट  “महत्वपूर्ण गैप की पहचान करने में विफल रहा और ठोस कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, और प्रासंगिक सुप्रीम कोर्ट (एससी) के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया”। राज्य सरकार ने यह रिपोर्ट 24 मई को जमा की थी। 

सोलर ऊर्जा क्षमता 100 गीगावॉट पहुंची तो भारत ने तय किये सौर कचरे के नियम, वर्ष 2040 तक 6 लाख टन कचरा 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी ड्राफ़्ट गाइडलाइंस के अनुसार, भारत में 2030 तक 34,600 टन से अधिक सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) कचरा उत्पन्न होने का अनुमान है, जिसमें पूरी तरह इस्तेमाल हो चुके सौर मॉड्यूल, पैनल और सेल को संभालने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तावित की गई है। 

ड्राफ्ट गाइडलाइंस में मौजूदा ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 के तहत निर्माताओं, थोक उपभोक्ताओं, विघटनकर्ताओं (डिस्मेंटल करने वाले)  और रीसाइकिल करने वालों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को तय किया गया है। 

मार्च 2023 तक भारत ने 73 गीगावाट से ज़्यादा सौर क्षमता स्थापित की है और देश का संचयी पीवी अपशिष्ट उत्पादन 2020 में लगभग 100 टन से बढ़कर 2040 तक 600,000 टन होने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2030 तक अपशिष्ट की मात्रा 34,600 टन तक पहुँच जाएगी। 

दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “सौर पीवी अपशिष्ट में कांच, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, प्लास्टिक और सीसा, कैडमियम और एंटीमनी जैसी भारी धातुएँ जैसी विभिन्न सामग्रियाँ शामिल हैं। अनुचित तरीके से हैंडलिंग या निपटान मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।”

ट्रम्प प्रशासन के तहत पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा बिजली संयंत्रों को प्रदूषण सीमा में बड़े पैमाने पर ढील  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित कानूनों की वापसी हुई तो अमेरिकी बिजली संयंत्रों को आस-पास के समुदायों और व्यापक दुनिया को सेहत को क्षति पहुंचाने वाले वायु विषाक्त पदार्थों और असीमित मात्रा में वॉर्मिंग करने वाली गैसों को उत्सर्जित करने की अनुमति मिल जाएगी।  

गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने एक योजना बनाई है जो एक ऐतिहासिक जलवायु नियम को निरस्त करेगी जिसका उद्देश्य 2030 के दशक तक बिजली संयंत्रों से ग्रीनहाउस गैसों को खत्म करना है और अलग से, एक अन्य रेग्युलेशन को कमजोर करेगा जो बिजली संयंत्रों द्वारा पारा जैसे खतरनाक वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को प्रतिबंधित करता है।

कनाडा के जंगलों में लगी आग के धुएं से अमेरिका ही नहीं यूरोप तक वायु प्रदूषण का ख़तरा

 ले मोंडे की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के जंगलों में लगी आग से निकलने वाला धुआं अमेरिका के मध्य-पश्चिम में वायु गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रहा है, साथ ही यूरोप तक “धुएं के विशाल गुबार” पहुंच रहे हैं। समाचार पत्र ने कहा कि जंगल में लगी आग के कारण 26,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से निकालना पड़ा है और यह “अत्यधिक फैलती जा रही है”, “जिसके कारण लाखों कनाडाई और अमेरिकी लोगों का दम घुट रहा है और यह यूरोप तक पहुंच रहा है”।

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