जंगलों में आग और धरती का बढ़ता तापमान

क्लाइमेट साइंस

Newsletter - April 9, 2021

झुलसता कारोबार: ग्लोबल वॉर्मिंग से भारत के उद्योग धन्धों पर निश्चित असर पड़ रहा है| फोटो - Rajya Sabha TV

बढ़ते तापमान का सीधा असर भारत के औद्योगिक उत्पादन पर

एक नये शोध में यह पता करने की कोशिश की गई है कि कड़ी धूप और तापमान के कारण भारत का औद्योगिक उत्पादन कितना प्रभावित हो रहा है। यह पाया गया है कि 1980-2000 के बीच सालाना औसतन एक डिग्री तापमान वृद्धि   पर औद्योगिक राजस्व में 2%  की गिरावट हुई। दिल्ली स्थित भारतीय सांख्यकीय संस्थान (आईएसआई) और शिकागो विश्वविद्यालय ने 58,000 फैक्ट्रियों से मिले आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। यह शोध इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार भारत को दुनिया का औद्योगिक केंद्र बनाना चाहती है। इस अध्ययन में कहा गया है कि अगर भारत सस्ते मज़दूरों के दम पर उत्पादन जारी रखना चाहता है कि उसे बढ़ते तापमान से निपटने के लिये गंभीर कदम उठाने होंगे। 

गर्म होती धरती का असर पूरी दुनिया की कृषि पर 

उधर धरती के बढ़ते तापमान का असर पूरी दुनिया की कृषि उत्पादकता पर भी पड़ रहा है। नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में छपी रिसर्च कहती है कि 1961 से – जब  ग्लोबल वॉर्मिंग के ऐसे प्रभाव नहीं थे – अब तक फसल और पशुओं की उत्पादकता 21% कम हुई है। इस नतीजे पर पहुंचने के लिये शोध में श्रमिकों, खाद और उपकरणों के रुप में इनपुट को और खाद्य उत्पादन को आउटपुट में नापा गया।  

गिरते भूजल से गर्मियों में होगी पानी की हाहाकार: सर्वे 

बिहार  में इस साल गर्मियों में गंभीर जल संकट हो सकता है। राज्य के पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) के सर्वे में राज्य के 38 ज़िलों में कम से कम 8 जगह पानी के जल स्तर में गंभीर गिरावट देखी है। बिहार के कम से कम 11 ज़िले “जल संकटग्रस्त” (वाटरस्ट्रेस्ड) घोषित किये गये हैं। एक अन्य सर्वे में पाया गया है कि गंगा बेसिन में एक चौथाई सरकारी वॉटर बॉडीज़ सूख गई हैं।  यह वॉटर बॉडीज़ उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल उन सभी पांचों राज्यों में बिखरी हैं जहां से गंगा होकर जाती है। क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) ने एसोचैम, सीसीआई और फिक्की के सहयोग से यह सर्वे किया और पाया कि 16% वॉटर बॉडी यूट्रोफिक (उथली, गाद और वनस्पतियों से भरी) थी जबकि केवल 56% पानी देने लायक थीं। इस शोध में 578 वॉटर बॉडीज़ का अध्ययन किया गया और पाया गया कि इनमें से 411 के चारों ओर लोगों की बसावट थी।   

अंटार्कटिका: सदी के अंत तक होंगी भारी बरसात की घटनायें

एक नये अध्ययन ने दावा किया है कि गर्म होते अंटार्कटिका में सदी के अंत तक बार-बार अति वृष्टि की घटनायें होने लगेंगी। इस क्षेत्र के 10 मौसम स्टेशनों के आंकड़ों के आधार पर की गई यह स्टडी जियोफिज़िकल रिसर्च इवेन्ट्स नाम के जर्नल में छपी है। इसके मुताबिक बरसात महाद्वीप के उन इलाकों को भी प्रभावित करेगी जहां अभी बारिश नहीं होती है। इसका असर अंटार्कटिका में तेज़ी से सतह की बर्फ पिघलने के रूप में दिख सकता है। 


क्लाइमेट नीति

लुभाने की कोशिश? अमेरिका ने भारत के क्लाइमेट एक्शन की तारीफ की है लेकिन सवाल है कि क्या अमेरिका भारत पर नेट ज़ीरो घोषित करने का दबाव बनाने के लिये ऐसा कर रहा है| फोटो - Indian Express

कैरी ने क्लाइमेट पर भारत के कदमों की प्रशंसा की

अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन कैरी ने “क्लाइमेट पर काम पूरा करने के लिये” भारत की प्रशंसा की है।  कैरी ने कहा कि वह विशेष रूप से भारत के आभारी हैं कि उसने क्लाइमेट चेंज ले लड़ने में अपना काम किया है।

“आप साफ ऊर्जा संयंत्र लगाने के मामले में निर्विवाद रूप से विश्व में अग्रणी हैं और अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस में आपका नेतृत्व भरोसा दिलाता है कि पूरे देश में सौर ऊर्जा का विस्तार होगा और अन्य विकासशील देश भी इसका फायदा उठायेंगे।”

जॉन कैरी ने मंगलवार को दिल्ली में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। इसके बाद जावड़ेकर ने ट्वीट कर बताया कि कैरी के साथ क्लाइमेट फाइनेंस समेत कई मुद्दों पर बात चर्चा हुई। जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत कैरी 4 दिन की भारत यात्रा पर हैं।  अमेरिका चाहता है कि अप्रैल 22-23 को होने वाली शिखर सम्मेलन से पहले भारत क्लाइमेट पर अधिक ऊंचे लक्ष्यों की घोषणा करे और कैरी इसी मकसद से भारत आये हैं।  

इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 40 राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया है। भारत के प्रति व्यक्ति उत्सर्जन पश्चिमी देशों और चीन से कम हैं फिर भी यूके और अमेरिका भारत पर साल 2050 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य की घोषणा का दबाव बना रहे हैं। भारत का तर्क रहा है कि देश में बड़ी संख्या में गरीब आबादी को देखते हुए अभी ऐसी घोषणा करना उसके लिये मुमकिन नहीं है। 

वन मामलों में केंद्र ने राज्यों पर पाबंदी लगाई 

नरेंद्र मोदी सरकार ने जंगल और वन्य जीव संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाने का और राज्यों के अधिकार सीमित करने का प्रयास किया है। मोदी सरकार का यह कदम वन्य क्षेत्रों में विकास कार्यों को लेकर फैसलों पर राज्यों की ताकत सीमित करता है। इस साल 22 मार्च को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि राज्य सरकार किसी भी प्रोजेक्ट ( को पास करते वक्त) पर केंद्र द्वारा निर्धारित की गई शर्तों के अलावा अन्य पर्यावरणीय और संरक्षण से जुड़ी शर्तें नहीं लगा सकता या निर्देश नहीं दे सकता। 

हालांकि केंद्र सरकार ने राज्यों को इस बात की अनुमति दी है कि वह ‘विशेष परिस्थितियों’ में अतिरिक्त निर्देश दे सकती हैं लेकिन इसके लिये उसे पहले केंद्र से अनुमति लेनी होगी। यह स्पष्टीकरण तब दिया गया जब उड़ीसा सरकार ने एक खनन प्रोजेक्ट के लिये क्षेत्र-विशेष वन्य जीव प्रबन्धन प्लान मांगा। 

जलवायु संकट से निपटने के लिये बाइडेन की दो लाख करोड़ की योजना 

जलवायु संकट से निपटने के लिये अमेरिका के पास 2 लाख करोड अमेरिकी डॉलर यानी करीब 145 लाख करोड़ रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान है। अमेरिका में जॉब प्लान नाम से ये योजना साफ ऊर्जा, बैटरी वाहनों और जलवायु प्रतिरोधी घरों को बढ़ावा देगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि टैक्स में छूट के ज़रिये बैटरी वाहनों के लिये लोगों को उत्साहित किया जायेगा और साफ ऊर्जा क्षेत्र में नौकरियां पैदा होंगी। 

यूरोपियन यूनियन का क्लाइमेट क़ानून अटका 

यूरोपियन यूनियन एक बार फिर से सभी देशों की सहमति न मिल पाने के कारण यूरोपियन क्लाइमेट कानून बनाने में असफल रही। बातचीत के पांचवें दौर में यूरोपीय परिषद् और सांसद कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाये। मुख्य विषय 2030 तक क्लाइमेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करना ही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि करीब आधे यूरोपीय देश नेट ज़ीरो को लेकर जो रुख अपनाया जा रहा है उसे सही नहीं मानते। सदस्य देश नये कानून की दिशा में धीमी प्रगति से हताश हैं। खासतौर से तब जबकि उन पर अप्रैल के मध्य तक यह कानून पास कराने का दबाव हो। अगर कोई रास्ता नहीं निकलता तो यूरोपीय यूनियन अमेरिकी राष्ट्रपति की बुलाई लीडरशिप समिट में 2030 के वादे के बिना ही शामिल होगा। 


वायु प्रदूषण

पैसा के दम पर प्रदूषण: प्रदूषण रोकने की टेक्नोलॉजी पर कोल प्लांट्स को एक बार फिर ढील देने के सरकारी फैसले को जानकार कमज़ोर इच्छाशक्ति की निशानी बता रहे हैं। फोटो: The Weather Channel

पैसा दो, प्रदूषण करो: कोयला बिजलीघरों के लिये समय सीमा फिर बढ़ी

भारत में कोयला प्लांट के लिये उनकी चिमनियों से निकलने वाले ज़हरीले धुंयें को रोकने की टेक्नोलॉजी लगाने की समय सीमा फिर बढ़ा दी गई है। कोयला बिजली घरों से निकलने वाली जानलेवा सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO2) रोकने के लिये फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (एफजीडी) 2017 तक लगाई जानी थी लेकिन इसे पहले 2022 तक पास साल का एक्सटेंशन दिया गया और अब सरकार ने कहा है कि जो संयंत्र 2022 तक ऐसा नहीं कर सकते वह जुर्माना चुका कर बिजली घर चालू रख सकते हैं। 

पर्यावरण मंत्रालय का आदेश कहता है कि दिल्ली और घनी आबादी के पास बने बिजली घरों को 2022 तक ये टेक्नोलॉजी लगानी होगी और जो प्लांट कम घनी आबादी के पास हैं वो 2025 तक एफजीडी लगायें या फिर प्लांट को बन्द कर दें। निजी कंपनियों रिलांयंस पावर और अडानी पावर के अलावा सरकारी कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड भी नियमों में ढील देने के लिये ज़ोर लगा रही है क्योंकि उनका मानना है कि इस टेक्नोलॉजी पर खर्च बहुत ज़्यादा है। 

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम को तेज़ करने के लिये एमओयू

देश के 132 शहरों में शुरु किये गये नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की रफ्तार बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम से जुड़ी अलग-अलग एजेंसियों – राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, नगरपालिकायें और जाने माने संस्थान – के साथ एमओयू साइन किया है।  केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार अगले चार साल में प्रदूषण का स्तर 20% कम करना चाहती है।  जावड़ेकर ने यह माना कि एनसीएपी को लागू करने में सुस्ती हुई है और कहा कि देश के विभिन्न शहरों में 6000 इलैक्ट्रिक बसों के लिये पैसा दिया गया था लेकिन कुल 600 बसें ही खरीदी गईं। उन्होंने कहा कि अगर कोई शहर बजट का इस्तेमाल नहीं कर पाता तो वह पैसा दूसरे शहर को दिया जायेगा। 

जानिये यूरोप की दस सबसे अधिक प्रदूषण करने वाली एयरलाइंस के बारे में 

जर्मन एयरलाइंस लुफ्तांसा, ब्रिटिश एयरवेज़, एयर फ्रांस यूरोप की सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाली एयरलाइंस हैं।  यह बात पहली बार सार्वजनिक किये गये आंकड़ों से निकल कर आई है। अध्ययन बताता है कि साल 2019 में लुफ्तांसा ने 1.91 करोड़ टन कार्बन स्पेस में छोड़ा जबकि ब्रिटिश एयरवेज़ ने 1.84 करोड़ टन और एयर फ्रांस ने 1.43 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जित किया। यूके यूरोप का अकेला देश है जिसकी एक से अधिक एयरलाइन दस सबसे बड़ी प्रदूषक एयरलाइंस की लिस्ट में है। 

कोयला बिजलीघरों से प्रदूषण यूरोप में ले रहा हर साल 34,000 लोगों की जान 

एक नये शोध में पता चला है कि कोयला बिजलीघरों से होने वाला प्रदूषण यूरोप में हर साल 34,000 लोगों की जान ले रहा है। रिसर्च बताती है कि कोयला बिजलीघरों से निकल रहे पीएम 2.5 कण कम से कम 16,800 लोगों की दिल की बीमारी और सांस की तकलीफ से मौत का कारण बन रहे हैं। वैसे शोध में कहा गया है कि कोयला बिजलीघरों का प्रदूषण इससे कहीं अधिक हो सकता है और इस कारण मृत्यु संख्या 33,900 तक जा सकती है। इन्वायरेंमेंटल रिसर्च लेटर्स में छपा यह शोध यूरोपियन पॉल्यूटेंट रिलीज़ और ट्रांसफर रजिस्टर के आंकड़ों पर आधारित है। विस्तार में यह रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।


साफ ऊर्जा 

फोटो : Bizvibe.com

एक साल में दुनिया की कुल रिन्यूएबिल क्षमता 50% बढ़ी

इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी के एक अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में साल 2020 में कुल 260 गीगावॉट के संयंत्र लगे। यह 2019 की कुल साफ ऊर्जा क्षमता के 50% के बराबर है। नये साफ ऊर्जा संयंत्रों में 91% सौर और पवन ऊर्जा के हैं। साल 2020 में लगाये गये सभी बिजलीघरों में 80% साफ ऊर्जा रही। 

सौर और पवन ऊर्जा की दरें सस्ती हो रही हैं और यूरोप, उत्तर अमेरिका, आर्मेनिया, अज़रबेजान, जार्जिया, रूस और टर्की में निवेशक कोयला, तेल और गैस से चलने वाले बिजलीघरों से हाथ खींच रहे हैं।  

भारत का पहला ग्रिड-कनेक्टेड सामुदायिक पावर स्टोरेज सिस्टम 

भारत का पहला ग्रिड से जुड़ा पावर स्टोरेज सिस्टम दिल्ली के महारानी बाग में लगाया गया है। वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन ने 150 kWh/ 528 kWh पावर स्टोरेज सिस्टम लगाया है जो पीक लोड को संतुलित रखने के साथ वोल्टेज और फ्रीक्वैंसी रेग्युलेशन में मदद करेगा। यह पावर स्टोरेज चार घंटों तक 150 किलोवॉट का बैकअप दे सकता है। यह सिस्टम कम खपत के वक्त चार्जिंग करेगा और पीक डिमांड के समय बिजली देगा। 

चीनी सौर उपकरण की जमाखोरी के खिलाफ जांच 

 भारत ने चीन से आयात होने वाली ‘फ्लूरो बैकशीट’ की जमाखोरी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। फ्लूरो बैकशीट एक पॉलीमर है जिसका इस्तेमाल फोटोवोल्टिक मॉड्यूल बनाने में होता है और यह धूल, गंदगी और नमी से बचाता है। भारतीय निर्माता कंपनी रिन्यूसिस का कहना है कि चीनी फ्लूरो बैकशीट दिखने में बिल्कुल वैसी ही है जैसी भारत में बनती है। रिन्यूसिसने वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ ट्रेड रिमिडीज़ (डीजीटीआर) से मांग की थी कि चीन से फ्लूरो बैकशीट के आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाये। इसके बाद  डीजीटीआर ने इस मामले में जांच शुरू की है। भारतीय उत्पादकों का कहना है कि चीनी कंपनियां दाम गिराती जाती हैं जिसका असर बाज़ार पर पड़ता है।


बैटरी वाहन 

क्या दिखेगा जापानी असर: जापानी ई-बाइक कंपनियों के बीच करार का असर भारत के बैटरी-बाइक बाज़ार पर भी दिख सकता है। फोटो: Nikkei

जापान में ई-बाइक निर्माताओं में बैटरी मानकों पर सहमति

जापान के चार बड़े इलैक्ट्रिक बाइक निर्माताओं ने एक स्टैंडर्ड बैटरी स्वॉपिंग सिस्टम विकसित करने के लिये समझौता किया है ताकि बैटरियां की अदलाबदली आसानी से हो सके। यह समझौता चार बड़ी जापानी कंपनियों सुज़ुकी, होन्डा, यामाहा और कावासाकी हैवी इंडस्ट्रीज़ के बीच हुआ। दुनिया के इलैक्ट्रिक बाइक बाज़ार के  50% से अधिक पर इन चार कंपनियों का क़ब्ज़ा है। 

ज़ाहिर है कि इस बैटरी स्वॉपिंग सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार को खयाल में रखकर किया जायेगा और भारत जैसे देश में इसका फायदा दिख सकता है जहां उपभोक्ता को बैटरी चार्जिंग पॉइंट्स की फिक्र लगी रहती है। 

बाइडन सरकार लायेगी बैटरी वाहनों के लिये कई छूट 

ख़बर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन देश में इलैक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री बढ़ाने के लिये ढेर सारे इन्सेन्टिव देगी। इनमें सबसे अहम है कार निर्माता कंपनियों को टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाया जायेगा। अब तक कार निर्माताओं को छूट  $7,500 डॉलर और दो लाख गाड़ियों तक सीमित थी जबकि बाइडन प्रशासन इस सीमा को 6 लाख गाड़ियों तक बढ़ा सकता है। सरकार पुरानी बैटरी कार खरीदने पर भी  $12,50 डॉलर की टैक्स छूट देगी। अभी अमेरिका में बैटरी कारों की सालाना बिक्री 3,58,000 है। बाइडन प्रशासन का लक्ष्य इसे 2023 तक 10 लाख और 2030 तक 40 लाख करने का है। 


जीवाश्म ईंधन

कोल की छुट्टी: कर्नाटक सरकार का नया नीति-पत्र ताप बिजलीघरों को धीरे धीरे बन्द करने का रोडमैप है जो पर्यावरण के लिहाज से बेहतर संकेत है। फोटो: Twitter/@NammaKarnataka

कर्नाटक में कोई नया ताप बिजलीघर नहीं

कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने एलान किया है कि वह थर्मल पावर के उत्पादन को सीमित करेगा और राज्य में अब कोई नया ताप बिजलीघर नहीं लगेगा। कर्नाटक के एनर्जी विभाग का कहना है कि यह फैसला राज्य सरकार के रोड मैप का हिस्सा है जिसके मुताबिक  अगले तीन से पांच  साल में थर्मल पावर प्लांट्स को पूरी तरह से बन्द कर दिया जायेगा। इस फैसले के बाद यह बहस भी तेज़ हो रही है कि कर्नाटक के रायचूर ज़िले पर इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा जहां राज्य के हर तीन में से दो ताप बिजलीघर हैं। 

दुनिया का कुल 53% कोयला बिजली उत्पादन चीन में

 लंदन स्थित रिसर्च ग्रुप के मुताबिक साल 2020 में दुनिया के कुल कोयला बिजली उत्पादन का 53% चीन में हुआ।  साल 2015 में चीन की यह हिस्सेदारी 44% थी। महत्वपूर्ण है कि चीन ने साल 2020 में 48.2 गीगावॉट सोलर और 71.7 गीगावॉट पवन ऊर्जा के संयंत्र भी लगाये जो कि एक रिकॉर्ड है उसके बावजूद उसकी कोल पावर की हिस्सेदारी दुनिया की कुल कोल पावर के आधे से अधिक रही। चीन के कोल पावर में यह उछाल उसके द्वारा लगाये गये 38.4 गीगावॉट के नये कोयला बिजलीघरों की वजह से है जो पूरी दुनिया के लगाये प्लांट्स की सम्मिलित क्षमता का तीन गुना है। पिछले 10 साल में चीन कुल बिजली में कोल पावर की हिस्सेदारी 70% से गिरकर 56.8% हो गई है लेकिन फिर भी उसने 46 गीगावॉट से अधिक के कोल पावर प्लांट मंज़ूर किये हैं जो जल्द ही लगेंगे।  महत्वपूर्ण है कि चीन  ने 2060 तक नेट ज़ीरो स्टेटस हासिल करने का वादा किया है।

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