दिल्ली में गर्मी ने तोड़ा 80 साल का रिकॉर्ड, पूरे देश में लू से मरने का सिलसिला जारी
उत्तर भारत में पिछले दो हफ्तों में गर्मी का कहर जमकर बरसा है। दिल्ली, राजस्थान, यूपी और बिहार में अब तक 50 लोगों की जान हीट-स्ट्रोक के कारण चली गई है। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान से पहले बिहार में पोलिंग ड्यूटी पर तैनान 10 मतदान कर्मियों समेत 18 लोगों की जान गई। भोजपुर में हीटवेव का सबसे खराब असर दिखा है। ओडिशा में भी हीटवेव के कारण 10 लोगों की जान जाने की ख़बर है। इस राज्य में भी शनिवार को मतदान का आखिरी चरण है।
बुधवार को दिल्ली के मुंगेशपुर में दिल्ली का तापमान 52.9 डिग्री रिकॉर्ड किया गया जो देश में अब तक कहीं भी दर्ज किया गया सर्वाधिक तापमान है। मौसम विभाग ने कहा है कि स्थानीय कारणों से सेंसर की त्रुटि हो सकती है और उसके वैज्ञानिकों इसकी जांच कर रहे हैं। लेकिन इसके पहले मंगलवार को मुंगेशपुर और नरेला में तापमान 49.9 डिग्री सेंटीग्रेड था, जिसने 2002 के 49.2 डिग्री के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। सफदरजंग मौसम वेधशाला (जहां के तापमान को दिल्ली का मार्कर माना जाता है) मॉनीटर पर 46.8 डिग्री दर्ज किया गया जो देश में 80 साल का सबसे अधिक तापमान था।
जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित यूके स्थित प्रकाशन कार्बन ब्रीफ ने पिछले साल एक विश्लेषण प्रकाशित किया था जिसके मुताबिक धरती के लगभग 40% हिस्से ने 2013 से 2023 के बीच अपना उच्चतम दैनिक तापमान दर्ज किया था। इसमें अंटार्कटिका के स्थान भी शामिल हैं। इस अवधि के दौरान भारत में सबसे अधिक तापमान राजस्थान के फलौदी में भी दर्ज किया गया।
बच्चे, बुजुर्ग और बार-बार उभरने वाली बीमारियों से ग्रसित लोग गर्मी के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च तापमान के कारण बेहोश होने के बाद बिहार के शेखपुरा शहर में 50 से अधिक छात्रों को अस्पताल ले जाया गया। जम्मू और कश्मीर में, अधिकारी गर्मी के कारण लगने वाली कई जंगलों की आग से निपट रहे हैं।
बिहार में अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घंटों में हीटस्ट्रोक के कारण 10 मतदान कर्मियों सहित चौदह लोगों की मौत हो गई है। उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में जंगल की आग फिर से भड़क गई है। राजाजी टाइगर रिजर्व के गौहरी रेंज और ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर के ट्रेक मार्ग में आग की दो बड़ी घटनाएं हुई हैं।
आईएमडी ने चेतावनी दी कि “सभी आयुवर्ग के लोगों में ताप जनित बीमारियां और हीट स्ट्रोक की बहुत अधिक संभावना है” और “कमजोर लोगों के लिए अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता है”। समाचार पोर्टल ने कहा कि वर्षों के वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि जलवायु संकट के कारण हीटवेव अधिक लंबे समय तक, अधिक बार और अधिक तीव्र हो रही हैं। पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कई इलाकों में पानी की आपूर्ति दिन में दो बार से घटाकर एक बार कर दी है।
बढ़ते तापमान को राजस्थान राज्य से आने वाली चिलचिलाती हवाओं से भी जोड़ा गया है, जहां मंगलवार को तापमान 50.5C तक पहुंच गया। गार्डियन में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जयपुर के एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में गर्मी से मरने वालों के इतने शव आ गए हैं कि उसकी क्षमता से अधिक हो गई है। मृतकों में से कई मजदूर हैं, जिनके पास बाहर काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और बेघर लोग हैं।
केरल तट और पूर्वोत्तर में पहुंचा मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून गुरुवार को केरल तट और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में पहुंच गया। मौसम विभाग के पूर्वानुमान से एक दिन पहले मानसून के आगमन का कारण इस हफ्ते आए चक्रवात रेमल को बताया जा रहा है।
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि रविवार को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में आए रेमल चक्रवात ने मानसूनी प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया है, जो पूर्वोत्तर में समय से पहले मानसून के दस्तक देने का एक कारण हो सकता है।
“दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में प्रवेश कर चुका है और आज, 30 मई, 2024 को पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ गया है,” मौसम विभाग ने कहा। आईएमडी ने 15 मई को भविष्यवाणी की थी कि 31 मई तक केरल में मानसून की शुरुआत हो सकती है।
केरल में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है, और मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार मई में अतिरिक्त बारिश हुई है।
केरल के लिए मानसून की शुरुआत की सामान्य तारीख 1 जून है और अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम के लिए 5 जून।
वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल अल नीनो की स्थिति बनी हुई है और ला नीना अगस्त-सितंबर तक आ सकता है।
भारत के प्रमुख जलाशयों में जलस्तर घटकर हुआ 23%
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के मुताबिक, देश के 150 प्रमुख जलाशयों का जलस्तर गिरकर 23 फीसदी रह गया है। यह पिछले साल के स्तर से भी 77 फीसदी कम है। पिछले सप्ताह इन जलाशयों का संग्रहण 24 प्रतिशत था।
सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा भंडारण पिछले साल के स्तर का महज 77 फीसदी है और सामान्य भंडारण का 94 फीसदी।
शुक्रवार को जारी अपने नवीनतम साप्ताहिक बुलेटिन में आयोग ने कहा कि ‘कुल उपलब्ध भंडारण 41.705 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जो कुल क्षमता के 23 प्रतिशत के बराबर है’।
“पिछले साल समान अवधि के दौरान जलस्तर 53.832 बीसीएम दर्ज किया गया था, और सामान्य भंडारण स्तर 44.511 बीसीएम था, जिसके मुकाबले यह कमी बड़ी है। नतीजतन, वर्तमान भंडारण पिछले वर्ष के स्तर का केवल 77 प्रतिशत और सामान्य भंडारण का 94 प्रतिशत है,” आयोग ने कहा।
चक्रवात रेमल बांग्लादेश और भारत से टकराया, तबाही और मौत का तांडव
चक्रवात रेमल के कारण करीब 40 लोगों की मौत हो गई, हजारों घर नष्ट हो गए, समुद्र की दीवारें टूट गईं और दोनों देशों के शहरों में बाढ़ आ गई। बंगाल की खाड़ी से उठा रेमल 26 मई की शाम को भीषण तूफान और टकराती लहरों के साथ बांग्लादेश और भारत के पूर्वी तटीय इलाकों में पहुंचा। देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों में चक्रवात रेमल से आपदा में मरने वालों की संख्या 38 हो गई। बचाव कर्मियों ने मिजोरम की राजधानी आइजोल और उसके आसपास कई भूस्खलन प्रभावित स्थानों से अब तक 29 शव बरामद किए हैं। मरने वालों में वे 12 श्रमिक भी शामिल हैं जिनकी 28 मई को मिजोरम में एक पत्थर की खदान ढहने से मौत हो गई थी, क्योंकि तूफान के बढ़ने के कारण मूसलाधार बारिश हुई थी।
बांग्लादेश के मौसम विशेषज्ञों ने इस बदलाव के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराते हुए 28 मई को कहा कि एक घातक चक्रवात जिसने भारी तबाही मचाई, वह अब तक के सबसे तेज और सबसे लंबे समय तक चलने वाले चक्रवातों में से एक था। बांग्लादेश में, “तूफान ने 13 लोगों की जान ले ली और तटीय क्षेत्रों में 35,000 से अधिक घरों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया, जिससे लगभग 3.5 मिलियन लोग प्रभावित हुए”
अधिकारियों के अनुसार, मणिपुर के सेनापति जिले में रेमल में भारी बारिश के बाद भूस्खलन और बाढ़ के कारण दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई। रेमल के कारण भारी बारिश हुई जिससे मणिपुर के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई और पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन हुआ। राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर स्कूलों को 31 मई तक बंद रखने का निर्देश दिया है। इसी तरह राज्य में 29-31 मई 2024 के दौरान निर्धारित सभी स्नातक परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं, जबकि मणिपुर विश्वविद्यालय के सभी विभागों और केंद्रों की कक्षाएं भी बुधवार को रद्द कर दी गई हैं।
बढ़ती गर्मी के बीच कृषि क्षेत्र में छायादार पेड़ तेज़ी से खत्म हो रहे हैं: शोध
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि भारत के खेतों में बड़े क्राउन वाले (सूरज की रोशनी को धरती पर पहुंचने में अधिक सक्षम) बड़े पेड़ खतरनाक दर से नष्ट हो गए हैं। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के भूविज्ञान और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जियोसाइंस एंड नेचुरल रिसोर्सेज मैनेजमेंट) के अध्ययन में कहा गया है कि 2010-11 में भारत में कृषि भूमि के जिन 60 करोड़ पेड़ों की गणना की गई उनमें से लगभग 11% पेड़ 2018 तक गायब हो गए थे। इन पेड़ों का क्राउन कवर लगभग 96 वर्गमीटर बनता है।
अधिकांश पेड़ तेलंगाना, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में नष्ट हुए हैं, जहां अत्यधिक गर्मी अधिक होती है।
अध्ययन से पता चलता है कि कटहल, जामुन, महुआ, नीम और अन्य पेड़ छोटे किसानों को छाया और अन्य आजीविका प्रदान करते हैं। इसके अलावा, 2018-22 के दौरान, कृषि क्षेत्र में 50 लाख से अधिक बड़े पेड़ (लगभग 67 वर्गमीटर क्राउन कवर) गायब हो गए हैं, आंशिक रूप से बदली हुई खेती प्रथाओं के कारण, जहां खेतों पर पेड़ों को फसल की पैदावार के लिए हानिकारक माना जाता है।
लंबी और तीव्र हीटवेव से बढ़ रही हैं समय से पूर्व जन्म की घटनायें: शोध
एक नई रिसर्च के मुताबिक गर्म जलवायु में अत्यधिक और देर तक चलने वाली हीटवेव का संबंध बच्चों के समय से पूर्व जन्म (प्रीमैच्योर बर्थ) से है।
अमेरिका की नेवादा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित शोधकर्ताओं की एक टीम ने हीटवेव के कारण समय से पहले (प्री-टर्म और अर्ली-टर्म) जन्म की दर में बदलाव का अनुमान लगाया है। जहां एक पूर्ण अवधि की गर्भावस्था लगभग 40 सप्ताह तक चलती है, 37 सप्ताह से पहले पैदा होने वाले बच्चे प्रीटर्म और गर्भावस्था के 37 से 39 सप्ताह के बीच पैदा होने वाले बच्चे अर्ली-टर्म बर्थ में गिने जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने 25 साल की अवधि (1993-2017) में अमेरिका के 50 सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्रों में समय से पहले और समय से पहले जन्मों की दैनिक गणना के संदर्भ में 5.3 करोड़ जन्मों का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 25 साल की अवधि में, प्री-टर्म जन्म में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अर्ली टर्म में जन्म में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। द जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लिखा है, “सीमा से ऊपर औसत तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का संबंध प्री-टर्म और अर्ली-टर्म जन्म दोनों की दर में 1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ था।”
शोध में यह भी पाया गया कि 30 वर्ष से कम उम्र की, कम शिक्षा स्तर वाली और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं में प्री-टर्म और अर्ली-टर्म बर्थ में अधिक वृद्धि हुई है।
वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा होने की संभावना: आईएमडी
मौसम विभाग ने कहा है कि देश के अधिकांश वर्षा पर निर्भर कृषि क्षेत्रों को कवर करने वाले भारत के मुख्य मानसून क्षेत्र में इस सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने सोमवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उत्तर-पूर्व भारत में सामान्य से कम, उत्तर-पश्चिम में सामान्य और देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक मॉनसून वर्षा होने की उम्मीद है।
अपने अप्रैल के पूर्वानुमान को बरकरार रखते हुए, आईएमडी ने कहा कि देश में चार महीने के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। महापात्र ने कहा, “भारत के मानसून कोर ज़ोन में, जिसमें अधिकांश वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, सामान्य से अधिक बारिश (दीर्घकालिक औसत से 106 प्रतिशत से अधिक) होने की संभावना है। यह देश के लिए अच्छी खबर है।”
मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से देश के मुख्य मानसून क्षेत्र में गिने जाते हैं जहां कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर आधारित है।
जलवायु परिवर्तन से दिमागी समस्याओं वाले लोगों पर असर पड़ने की संभावना: शोध
द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित नए शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन से माइग्रेन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी, यूके के प्रमुख शोधकर्ता संजय सिसौदिया ने बताया कि अत्यधिक तापमान (चाहे कम हो या अधिक दोनों ही), और दिन के दौरान बड़े बदलाव – जलवायु परिवर्तन से प्रेरित – मस्तिष्क रोगों पर प्रभाव डालते हैं।
उन्होंने कहा, “रात का तापमान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि रात के दौरान उच्च तापमान नींद में खलल डाल सकता है। खराब नींद मस्तिष्क की समस्याओं को और बढ़ाने के लिए जानी जाती है।”
1968 और 2023 के बीच दुनिया भर से प्रकाशित 332 पत्रों की समीक्षा करते हुए अध्ययन में स्ट्रोक, माइग्रेन, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस, मिर्गी और मल्टीपल स्केलेरोसिस सहित 19 विभिन्न तंत्रिका तंत्र स्थितियों को देखा गया।
हीटवेव से मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा दे सरकार: राजस्थान उच्च न्यायालय
राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को हीटवेव से मरने वाले लोगों के आश्रितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है और कहा है कि हीटवेव और शीत लहर को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए राजस्थान के मुख्य सचिव को राजस्थान क्लाइमेट चेंज प्रोजेक्ट के तहत तैयार ‘हीट एक्शन प्लान’ के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तत्काल और उचित कदम उठाने के लिए विभिन्न विभागों की समितियों का गठन करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को अधिक आवाजाही वाली सड़कों पर पानी छिड़कने, जहां आवश्यक हो वहां ट्रैफिक सिग्नलों पर ठंडा स्थान, शेड उपलब्ध कराने, हीटवेव के रोगियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी संभव सुविधाएं प्रदान करने और कुलियों, गाड़ी और रिक्शा चालकों सहित खुले में काम करने वाले सभी श्रमिकों के लिए एडवाइजरी जारी करने का भी निर्देश दिया, ताकि अत्यधिक गर्मी की स्थिति के दौरान दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच वह आराम कर सकें।
अदालत ने कहा कि इस तरह के एक्शन प्लान का मसौदा तैयार करने के बावजूद, सरकार द्वारा व्यापक रूप से जनता को ऐसी भीषण गर्मी की स्थिति से बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।
53% भारतीय मानते हैं खुद को ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित, 34% कर चुके हैं पलायन
एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, 91 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है। सर्वेक्षण में शामिल 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह इस बारे में “बहुत चिंतित” हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को लेकर बेचैनी बढ़ रही है।
‘क्लाइमेट चेंज इन द इंडियन माइंड, 2023‘ नामक यह सर्वेक्षण येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और भारतीय एजेंसी सीवोटर द्वारा किया गया है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य था लोगों में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता, विश्वास, दृष्टिकोण, नीति समर्थन, व्यवहार और चरम मौसम की घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता के बारे में जानना।
लगभग 53 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि वे पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित हो रहे हैं। लगभग एक-तिहाई भारतीय (34 प्रतिशत) मौसम संबंधी आपदाओं जैसे अत्यधिक गर्मी, सूखा, समुद्र-स्तर में वृद्धि, बाढ़ या अन्य के कारण पहले ही स्थानांतरित हो चुके हैं या ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं।
78 प्रतिशत भारतीयों के अनुसार, भारत सरकार को ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। केवल 10 प्रतिशत का मानना है कि सरकार ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है।
जलवायु परिवर्तन के कारण थाइलैंड बदलेगा अपनी राजधानी?
थाइलैंड में जलवायु परिवर्तन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण थाईलैंड अपनी राजधानी बैंकॉक को स्थानांतरित कर सकता है। अनुमानों से लगातार पता चलता है कि सदी के अंत से पहले निचले बैंकॉक के समुद्र में डूब जाने का खतरा है। न्यूज़वायर की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकाक पहले ही बरसात के मौसम में बाढ़ से जूझता रहा है।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण विभाग के पाविच केसवावोंग ने चेतावनी दी कि बैंकाक गर्म होती धरती के साथ अनुकूलन करने में सक्षम नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे उपायों पर विचार कर रही है जिनमें नीदरलैंड की तर्ज पर बांधों का निर्माण शामिल है।
“बैंकॉक अभी भी राजधानी होगी, लेकिन कामकाज को यहां से हटाकर कहीं और ले जाया जायेगा।” हालाँकि यह कदम अभी भी नीति के रूप में अपनाए जाने से काफी दूर है, लेकिन ऐसा हुआ तो भी यह इस क्षेत्र में पहली बार नहीं होगा। एएफपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया इस साल अपनी नई राजधानी नुसंतारा का उद्घाटन करेगा, जो देश के राजनीतिक केंद्र के रूप में डूबते और प्रदूषित जकार्ता की जगह लेगी।
अरावली पर अवैध खनन: एनजीटी ने दिए नोटिस जारी करने के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने कहा है कि राजस्थान के सीकर जिले में अरावली पहाड़ियों पर चल रहे अवैध खनन की शिकायत गंभीर है। इस मामले में अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीकर के खनन अधिकारी के साथ-साथ अवैध खनन और परिवहन में शामिल लोगों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
ट्रिब्यूनल ने इन सभी से छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि की संयुक्त समिति से रिपोर्ट भी तलब की है। इस समिति को मौके का दौरा कर छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक एवं कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
केरल में पेरियार नदी में औद्योगिक इकाइयों से छोड़ा जाने वाला ज़हरीला कचरा यहां पारिस्थितिकी को बर्बाद कर रहा है। कोच्चि के पास पथलम से थानथोनी थुरुथु और वाइपीन द्वीपों तक पेरियार नदी और कोच्चि बैकवाटर की सतह पर हजारों मरी हुई मछलियाँ तैरती पाई गईं। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नदी का पानी काला हो गया और सड़ती मछलियों की तेज दुर्गंध आने लगी। स्थानीय निवासियों को संदेह है कि औद्योगिक इकाइयों ने जहरीला अपशिष्ट छोड़ा है, जिससे पानी जहरीला हो गया है।
पेरियार मालेनिक्कारा विरुध समिति (पीएमवीएस) की पेरियार मॉनिटरिंग टीम के सदस्य शब्बीर ओवी ने कहा कि इंडस्ट्री को पता होता है कि बारिश की चेतावनी के बाद अधिकारी बाढ़ के पानी को छोड़ने के लिए पथलम रेग्लुलेटर और ब्रिज के शटर खोलेंगे और जब शटर खुलते हैं तो रात को उसी समय औद्योगिक इकाइयां अपने जमा कचरे को बाहर निकाल देती हैं।
हरियाणा के यमुनानगर में कानूनी मंजूरी के बिना फॉर्मेल्डिहाइड बना रही औद्योगिक इकाइयां
अवैध फॉर्मेल्डिहाइड विनिर्माण इकाइयों से भूजल में रिसने वाले कैंसरकारी रसायन हरियाणा में संकट पैदा कर रहे हैं। एनजीटी ने एक बार फिर 15 मई, 2024 को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वह बिना किसी पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) प्राप्त किए यमुनानगर में चल रही फॉर्मेल्डिहाइड बनाने वाली इकाइयों पर अपना जवाब दाखिल करे। आदेश में कहा गया है कि उत्तरदाताओं को सुनवाई की अगली तारीख (30 अगस्त, 2024) से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना हलफनामा दाखिल करना होगा।
एनजीटी के पहले के आदेश में कहा गया था कि कारखाने प्रचुर मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं और भूजल और वायु को काफी प्रदूषित करते हैं। गैरकानूनी तरीके से चल रही इकाइयां स्वास्थ्य को गंभीर खतरे पैदा करती हैं। भूमिगत टैंकों से मेथनॉल की लीचिंग (रिसाव) को रोकने के लिए कोई तंत्र नहीं है, यह कैंसर के कारणों में से एक है और आंकड़ों के अनुसार, कैंसर से होने वाली राष्ट्रीय मौतों में से 39 प्रतिशत हरियाणा राज्य में हो रही हैं।
जोधपुर में फैक्ट्रियों से रसायन युक्त पानी छोड़ने पर अधिकारियों से जवाबतलब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के जोधपुर में कारखानों से रसायन युक्त पानी छोड़ने और इस कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
इस मामले में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट, बालोतरा को सेंट्रल जोनल बेंच, भोपाल के समक्ष अपना जवाब दाखिल करना होगा। एनजीटी ने जल अधिनियम के उल्लंघन के लिये यह नोटिस जारी किया है।
डाउन टु अर्थ के मुताबिक 16 मार्च 2024 को बालोतरा पत्रिका में प्रकाशित खबर के अनुसार डोली-अराबा क्षेत्र से रसायन मिश्रित पानी बालोतरा जिले के कल्याणपुर तक पहुंच गया है. इससे ग्रामीणों को गंभीर असुविधा हो रही है। कई दिन बीत जाने के बावजूद अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जल अधिनियम, 1974 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया था, समाचार आइटम को चिह्नित किया गया। भारत की हरित अदालत (एनजीटी) ने 15 मई, 2024 को अधिकारियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
2023 में वैश्विक स्तर पर बेची गईं 50% नई कारें प्रदूषण फैलाने वाली एसयूवी थीं
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण फैलाने वाली एसयूवी की वैश्विक बिक्री ने 2023 में एक नया रिकॉर्ड बनाया है, जो वैश्विक स्तर पर बेची गई सभी नई कारों का 50% है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नए भारी वाहनों की बढ़ती संख्या कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा रही है जिससे वैश्विक तापन बढ़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने पाया कि 2023 में एसयूवी से बढ़ते उत्सर्जन ने CO2 में वैश्विक वृद्धि का 20% हिस्सा बनाया, जिससे वाहन तीव्र जलवायु संकट का एक प्रमुख कारण बन गए। यदि एसयूवी एक देश होता, तो आईईए ने कहा, वे जापान और जर्मनी दोनों के राष्ट्रीय उत्सर्जन से आगे, CO2 का दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा उत्सर्जक होते, जैसा कि गार्जियन ने बताया। 2023 में एसयूवी की बिक्री 15% बढ़ी, जबकि पारंपरिक कारों की बिक्री में 3% की वृद्धि हुई।
राष्ट्रीय पोर्टल में गड़बड़ियों के कारण थमी रूफटॉप सोलर की गति
आवासीय सौर प्रणालियां स्थापित करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले राष्ट्रीय पोर्टल में गड़बड़ियां आ रही हैं, जिसके कारण रूफटॉप सोलर स्थापित करने का काम धीमा हो रहा है, मेरकॉम ने एक रिपोर्ट में कहा। पोर्टल का उपयोग रूफटॉप सोलर पंजीकरण, दस्तावेज अपलोड करने, परियोजना की पूर्णता रिपोर्ट और सब्सिडी आवेदनों के लिए किया जाता है।
मेरकॉम ने कहा कि पोर्टल की अस्थिरता के कारण हजारों एप्लीकेशन लंबित हैं, जिससे इंस्टॉलर और ग्राहक दोनों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
“ग्राहकों का हम पर से विश्वास उठ गया है क्योंकि पोर्टल पर कुछ भी करना असंभव है। हर कदम पर नए बग आते हैं,” रूफटॉप सोलर इंस्टॉलर फर्म सोलर प्लैनेट के सुरेंद्र चौधरी ने कहा।
2028 तक पवन ऊर्जा क्षमता को 25 गीगावॉट तक बढ़ाएगा भारत
भारत अपनी पवन ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए 1.8 से 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रहा है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025 से 2028 के बीच, भारत की पवन ऊर्जा क्षमता में लगभग 25 गीगावाट की वृद्धि संभावित है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि देश ने 2021 से 2024 के बीच लगभग 9 गीगावाट क्षमता जोड़ी।
सौर ऊर्जा के विपरीत, पवन ऊर्जा क्षमता ग्रिड संतुलन और निरंतर बिजली आपूर्ति प्रदान करती है।
देश की पवन ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की गति पिछले कुछ सालों में धीमी रही है। 2014 से 2018 तक सालाना लगभग 3.0 गीगावॉट की बढ़ोत्तरी हुई, जो 2018 से 2023 तक घटकर 1.7 गीगावॉट हो गई। इसके पीछे उच्च पवन क्षमता वाली जगहों में कनेक्शन की कमी और डेवलपर्स को मिलने वाले कम रिटर्न को बताया जा रहा था।
सोलर वेफर की कीमतों में गिरावट के साथ उत्पादकों की चिंता बढ़ी
इस हफ्ते एक बार फिर चीनी सोलर वेफर्स की कीमतों में भारी गिरावट आई है। पीवी मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार में अत्यधिक आपूर्ति और कमजोर मांग का संकेत है। मोनो पीईआरसी एम10 और एन-टाइप एम10 वेफर की कीमतों में पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमशः 2.58% और 8.81% की कमी हुई, जो क्रमशः $0.189 प्रति पीस और $0.176/पीस तक पहुंच गई।
इसी प्रकार, मोनो पीईआरसी जी12 और एन-टाइप जी12 वेफर की कीमतें पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमशः 0.76% और 2.18% गिरकर $0.261/पीस और $0.269/पीस पर आ गईं। ओपीआईएस के बाजार सर्वेक्षण के अनुसार, चीनी घरेलू बाजार में मोनो पीईआरसी एम10 और एन-टाइप एम10 वेफर्स की औसत लेनदेन कीमतें क्रमशः 1.52 युआन($0.21)/पीस और 1.41 युआन/पीस तक गिर गई हैं।
वैज्ञानिकों ने सोलर ग्लास के लिए बनाई नई हाइड्रोफोबिक, एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग
स्लोवाकिया के वैज्ञानिकों ने सौर ग्लास के लिए एक यूनिक हाइड्रोफोबिक, एंटीरिफ्लेक्टिव कोटिंग बनाई है जिसकी अकार्बनिक-कार्बनिक ऊपरी परत ट्राइथॉक्सी (ऑक्टाइल) सिलेन के साथ संशोधित सिलिका से बनी है और निचली परत सिलिका-टिटानिया की पतली फिल्म से। अनकोटेड ग्लास की तुलना में, यह नवीन कोटिंग ग्लास संप्रेषण को 7% तक बढ़ा देती है। शोधकर्ताओं ने सोल-जेल प्रक्रिया का उपयोग करके प्रभावी ढंग से एक डबल-लेयर हाइड्रोफोबिक एआर का निर्माण किया। इस तकनीक के कई लाभ हैं, जैसे कम लागत, प्रीकर्सर्स की एक बड़ा संग्रह, कम संश्लेषण तापमान और फिल्मों के संरचनात्मक और रूपात्मक गुणों पर शानदार नियंत्रण।
इस कोटिंग का एप्लीकेशन कई उद्योगों में संभव है, लेकिन यह सोलर सेल उद्योग में विशेष रूप से उपयोगी है जहां यह सोलर सेल की स्थिरता और दक्षता को बढ़ा सकता है।
वैश्विक मंदी के बावजूद भारत में बढ़ रही इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री
अमेरिकी रिसर्च फर्म और ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन गोल्डमैन सैक्स के अनुसार दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कम हो रही है। कंपनी इसके पीछे अधिक पूंजीगत लागत, कई देशों में हो रहे चुनाव, और रैपिड-चार्जिंग स्टेशनों की कमी जैसे कारणों को ज़िम्मेदार मानती है।
वाहन मूल्यांकन और ऑटोमोटिव अनुसंधान कंपनी केली ब्लू बुक के अनुसार, अमेरिका में 2024 की में, पिछली तिमाही के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 15.2% घट गई। हालांकि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले यह 2.6 प्रतिशत अधिक रही। उधर यूरोपीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ ने भी बताया है कि इस साल मार्च में पहली बार यूरोप में नई कारों की बिक्री में गिरावट आई।
वहीं भारत में ईवी की बिक्री में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.7 मिलियन यूनिट को पार कर गई है। भारत में 2023 में पैसेंजर वाहन की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि ईवी की बिक्री दोगुनी से अधिक हो गई।
इलेक्ट्रिक कारों से पैदल चलने वालों को खतरा दोगुना
ब्रिटेन में सड़क दुर्घटनाओं के एक विश्लेषण के अनुसार, पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारें पैदल चलने वालों अधिक टक्कर मार सकती हैं। विशेष रूप से कस्बों और शहरों में इसकी संभावना और अधिक है।
बैटरी चालित कारों की 32 बिलियन मील की यात्रा और पेट्रोल और डीजल कारों की 3 ट्रिलियन मील की यात्रा के विश्लेषण से पता चला है कि मील-दर-मील के हिसाब से जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की पैदल चलने वालों को टक्कर मारने की संभावना दोगुनी थी। शहरी क्षेत्रों में यह संभावना तीन गुना पाई गई।
यह स्पष्ट नहीं है कि इलेक्ट्रिक कारें अधिक खतरनाक क्यों हैं, लेकिन शोधकर्ता इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। इलेक्ट्रिक कारों के ड्राइवर युवा और कम अनुभवी होते हैं, और आईसीई वाहनों की तुलना में यह कारें बहुत शांत होती हैं, जिससे उन्हें सुनना कठिन हो जाता है, खासकर कस्बों और शहरों में।
नई सरकार के साथ ही आ सकती है फेम-III योजना
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने नई सरकार के कार्यभार संभालने के पहले 100 दिनों के भीतर फास्टर अडॉप्टेशन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना का तीसरा संस्करण शुरू होने की उम्मीद है।
फेम-III के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और सरकारी स्वामित्व वाली बसों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। हालांकि, टैक्सी एग्रीगेटर्स जैसे संस्थागत खरीदारों द्वारा खरीदी गई कारों सहित इलेक्ट्रिक कारों के लिए इंसेंटिव बढ़ाया जाए या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय अभी भी प्रतीक्षित है।
प्रस्तावित फेम-III योजना इसकी पूर्ववर्ती योजना फेम-II के नक्शेकदम पर चलने के लिए बनाई गई है। फेम-II की अवधि मार्च 2024 में समाप्त हो गई। जून में नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा। फेम-II के तहत, इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री मूल्य पर 15 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती थी।
चीनी ईवी निर्यातकों की पहली पसंद बना ब्राज़ील
चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्यातकों ने जिन देशों में शिपमेंट बढ़ाई है उनमें ब्राजील का स्थान पहला है। चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन (सीपीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, ब्राजील अप्रैल में लगातार दूसरे महीने चीन का शीर्ष निर्यात गंतव्य बना रहा। चीन का प्लग-इन हाइब्रिड और शुद्ध इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात पिछले साल की अपेक्षा 13 गुना बढ़कर 40,163 यूनिट हो गया। चीनी निर्माताओं द्वारा ब्राजील को निर्यात में वृद्धि तब तेज हुई है जब यूरोपीय संघ की सब्सिडी विरोधी जांच को लेकर यूरोपीय बाजारों में चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों की शिपमेंट कम हुई है।
हालांकि ब्राजील में भी इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के आयात पर टैरिफ में बढ़ोतरी होने वाली है। पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों (ईवी) के आयात पर 10% कर जनवरी में लागू हुआ। जुलाई में यह टैक्स बढ़कर 18% हो जाएगा और अंततः जुलाई 2026 में 35% तक पहुंच जाएगा। इसी कारण से कई चीनी निर्माताओं ने पहले ही ब्राज़ील में उत्पादन करने के लिए निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया है।
शीर्ष तेल कंपनियों के जलवायु संबंधी वादे हर मोर्चे पर विफल: रिपोर्ट
रिसर्च और एडवोकेसी ग्रुप ऑयल चेंज मल्टीनेशनल की एक ताज़ा रिपोर्ट में अमेरिका और यूरोप के आठ सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय तेल और गैस उत्पादकों की जलवायु नीतियों का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण में पाया गया कि भले ही इन कंपनियों-बीपी, शेवरॉन, कोनोकोफिलिप्स, एनी, इक्विनोर, एक्सॉनमोबिल, शेल और टोटलएनर्जीज- ने अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं की थीं, उनमें से कोई भी ग्लोबल वार्मिंग को पहले की तुलना में (प्री-इंडस्ट्रियल लेवल) 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के अनुरूप नहीं थी।
अंग्रेज़ी अख़बार द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक कंपनी की योजना के हर पहलू का मूल्यांकन दस मानदंडों का उपयोग करके किया गया था, जो “पूरी तरह से संरेखित” से लेकर “बेहद अपर्याप्त” तक थे। विश्लेषण से पता चला कि सभी आठ संगठनों ने लगभग सभी पहलुओं पर “अपर्याप्त” या “बेहद अपर्याप्त” अंक प्राप्त किए। दस श्रेणियों में से प्रत्येक में, अमेरिकी कंपनियों शेवरॉन, कोनोकोफिलिप्स और एक्सॉनमोबिल की रैंकिंग “पूरी तरह नाकाफी” रही। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनियों की मौजूदा तेल और गैस निष्कर्षण योजनाओं के हिसाब से वैश्विक तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
क्या अमेरिका देश के सर्वाधिक कोयला समृद्ध क्षेत्र में संघीय पट्टे (फेडरल लीज) समाप्त करेगा?
बाइडेन प्रशासन ने व्योमिंग और मोंटाना के पाउडर नदी बेसिन क्षेत्र में संघीय भंडार से नए कोयला पट्टे को समाप्त करने की सिफारिश की है – जो संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक उत्पादक कोयला खनन क्षेत्र है। यह प्रस्ताव 2022 के एक अदालत के फैसले के जवाब में तैयार किया गया था जिसमें पाया गया कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के दौरान बनाई गई पाउडर नदी बेसिन के लिए दो संघीय भूमि प्रबंधन योजनाओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर कोयला जलाने के प्रभावों पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया गया था।
जवाब में, बाइडेन प्रशासन ऐसी योजनाएं शुरू कर रहा है जो क्षेत्र में नए कोयला पट्टे पर रोक लगाते हुए वर्तमान पट्टों की शर्तों को बनाए रखेंगी। योजनाओं को अंतिम रूप देने से पहले, सार्वजनिक आपत्ति के लिए 30 दिन का अवसर होगा। पर्यावरणविदों के अनुसार, उनका यह विचार देश के कोयला कार्यक्रम में एक ऐतिहासिक मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है, जिसने पिछले पचास वर्षों से कंपनियों ने कोयला प्रचुर क्षेत्र की विशाल बेल्ट से, ज्यादातर पश्चिमी क्षेत्रों में, अरबों टन सस्ता कोयला हासिल किया है।
क्या उद्योगों के 110 अरब डॉलर बचाने के लिये डोनाल्ड ट्रम्प कर रहे हैं बड़ी तेल कंपनियों के साथ सौदा?
अंग्रेज़ी अख़बार द गार्डियन के अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प कथित तौर पर चुनावों में $ 100 करोड़ की फंडिंग के बदले बड़ी तेल कंपनियों के सीईओ को एक सौदे की पेशकश कर रहे हैं। यदि वह दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो, टैक्स में लाभ से $110 अरब की बचत हो सकती है। शेवरॉन, एक्सॉन और ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम के सीईओ सहित बीस से अधिक सीईओ ने ट्रम्प द्वारा आयोजित एक चंदा इकट्ठा करने वाले कार्यक्रम में भाग लिया। बदले में, ट्रम्प ने ड्रिलिंग प्रतिबंध हटाने, पेट्रोल निर्यात पर रोक को छोड़ने और निर्वाचित होने पर वाहन उत्सर्जन को कम करने के लिए हाल ही में लागू कानूनों को वापस कर पहले जैसी स्थिति का वादा किया।