
बारिश से बेहाल उत्तर भारत; पंजाब में 1,300% तो हरियाणा में 700% अधिक वर्षा
उत्तरी भारत में पिछले कुछ दिनों से बहुत तेज़ बारिश हो रही है। ईटी ने मौसम विभाग के आंकड़ों के आधार पर बताया कि पंजाब में एक ही दिन में लगभग 1,300% ज्यादा बारिश दर्ज की गई। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू की नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
आईएमडी के अनुसार, पिछले सोमवार सुबह 8:30 बजे तक 24 घंटे में पंजाब में 48 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 3.5 मिमी होती है। यह 1,272 प्रतिशत अधिक है। हरियाणा में 28.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 3.5 मिमी से 702 प्रतिशत अधिक है। हिमाचल प्रदेश में 42.5 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 6.5 मिमी होती है। यह 554 प्रतिशत अधिक है।
आईएमडी ने कहा कि इस महीने बेहद भारी बारिश ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में हुई है। इसका कारण पूर्वी पाकिस्तान में बने एक ट्रफ को बताया गया है।
जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को रिकॉर्डतोड़ मूसलाधार बारिश हुई। आईएमडी के अनुसार, उधमपुर में 24 घंटे के भीतर 629.4 मिमी और जम्मू में 296 मिमी बारिश दर्ज की गई। माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर भी भूस्खलन हुआ जिसमें 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
दिल्ली में बारिश ने 15 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा
शुक्रवार को हुई भारी बारिश से दिल्ली में हालात बिगड़ गए। कई जगहों पर ट्रैफिक जाम लग गया। एक दीवार गिरने से तीन बच्चे घायल हो गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अगस्त में अब तक 399.8 मिमी बारिश हुई है। यह पिछले 15 सालों में सबसे ज़्यादा है। 2010 में अगस्त महीने में 455.8 मिमी बारिश हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल का अगस्त 2010 के बाद सबसे बरसाती महीना बन गया है।
मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति
महाराष्ट्र में भारी बारिश से आठ लोगों की मौत हो गई और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। मुंबई में लगातार बारिश हो रही है और 1 सितंबर तक मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है। जुलाई में सूखा जैसे हालात थे, लेकिन 16 अगस्त से शहर में बहुत तेज़ बारिश शुरू हो गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बारिश “क्लाइमेट चेंज ऑन स्टेरॉयड्स” का असर है।
पश्चिम एशिया में बढ़े तापमान से उत्तर भारत में भारी बारिश: शोध
पश्चिम एशिया में तापमान वैश्विक औसत से तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके कारण ज़मीन और अरब सागर के बीच दबाव का अंतर बन रहा है। इस वजह से नमी से भरी दक्षिण-पश्चिमी हवाएं हिमालय की तराई, पश्चिमी भारत और पाकिस्तान की ओर आ रही हैं। नतीजतन, वहां तेज़ बारिश और बाढ़ जैसी घटनाएं हो रही हैं। यह जानकारी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने दी है।
महाराष्ट्र, खासकर मुंबई में होने वाली अत्यधिक बारिश का कारण भी अरब सागर का तेज़ गर्म होना बताया गया है। अरब सागर का तापमान औसत से तेज़ बढ़ रहा है, जिससे नमी भरी हवाएं ज़मीन की ओर आ रही हैं। इसके चलते महाराष्ट्र में भारी बारिश की घटनाएं तीन गुना बढ़ गई हैं।
अखबार ने अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि मानसून का रुख धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व भारत से पश्चिम की ओर खिसक रहा है। उत्तर-पूर्व भारत में औसत बारिश 10% कम हुई है, जबकि पश्चिम और उत्तर-पश्चिम भारत में औसत बारिश 25% बढ़ गई है।
यूरोपीय संघ में जंगल की आग का नया रिकॉर्ड, स्पेन में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र जला
पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ अब तक की सबसे भीषण जंगल की आग के दौर से गुजर रहा है। जनवरी से अब तक 10,16,000 हेक्टेयर भूमि जल चुकी है, जो साइप्रस से बड़ा और बेल्जियम के एक-तिहाई के बराबर क्षेत्र है, यह जानकारी यूरोपीय संघ की यूरोपियन फॉरेस्ट फायर इन्फॉर्मेशन सिस्टम के आंकड़ों से मिली है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल स्पेन में ही चार लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र जल चुका है, जबकि छोटे से पुर्तगाल में आग ने 2,70,000 हेक्टेयर क्षेत्र यानी देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 3 प्रतिशत जला डाला। स्पेन में, जहाँ रिकॉर्ड 1960 के दशक से उपलब्ध हैं, यह वर्ष 1994 के बाद का सबसे भीषण आग का मौसम है।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के सप्ताहों में दोनों देशों में तेज़ गर्मी और सूखे ने जंगलों को सुखा दिया, जिससे पूरा प्रायद्वीप आग के लिए बारूद का ढेर बन गया। जलवायु परिवर्तन ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है, जिससे अधिक बार और अधिक तीव्र हीटवेव तथा सूखे की स्थिति बन रही है।
निजी जंगल अधिक संवेदनशील, अध्ययन का खुलासा
वाइली ऑनलाइन लाइब्रेरी की रिपोर्ट के अनुसार, एक नए अध्ययन में पाया गया है कि निजी औद्योगिक जंगल प्राकृतिक जंगलों की तुलना में जंगल की आग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे चरम मौसम की स्थिति और जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित होते हैं और उनका प्रबंधन भी अलग ढंग से किया जाता है।
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया स्थित नॉर्दर्न सिएरा नेवाडा क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR) तकनीक का उपयोग करके आग लगने से पहले के जंगलों की संरचना का अध्ययन किया। यहाँ पाँच बड़ी जंगल की आग ने 4,60,000 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रभावित किया था।
अध्ययन में पाया गया कि निजी औद्योगिक भूमि पर भीषण आग लगने की संभावना सार्वजनिक भूमि की तुलना में 1.45 गुना अधिक थी। यह प्रभाव ईंधन में नमी की तीन मानक विचलन की कमी के बराबर था।
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि घने, समान रूप से फैले जंगल, जिनमें “लैडर फ्यूल्स” (नीचे से ऊपर तक फैलने वाले सूखे पौधे और पेड़) अधिक होते हैं, उनमें भीषण आग की संभावना सबसे अधिक होती है। चरम मौसम ने इस प्रभाव को और बढ़ा दिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि ऊपर के पेड़ों को हटाने वाली प्रबंधन तकनीकें विशेषकर ऐसे हालात में ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
निजी उद्योगों द्वारा प्रबंधित जंगल अधिक घने, एकरूप और अधिक लैडर फ्यूल वाले पाए गए, जबकि सार्वजनिक जंगलों में ऐसा कम देखा गया। यही कारण निजी जंगलों में भीषण आग लगने की अधिक संभावना को समझाने में मदद करता है।
फोटो: Pixabay.com
वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पुनर्वास और अवसंरचना परियोजनाओं पर चर्चा
सरकार की एक बैठक में संरक्षित वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) और संवेदनशील क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्टर शुरू करने पर विचार हुआ। बैठक के एजेंडे में जैव-विविधता से भरपूर क्षेत्रों से लोगों का स्वैच्छिक पुनर्वास और इन इलाकों में इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के लिए दिशा-निर्देश बनाना शामिल था।
संरक्षणवादी आनंद आर्य ने सवाल उठाया कि जब ये क्षेत्र संरक्षित हैं, तो वहां किसी भी तरह की इंफ़्रास्ट्रक्चर परियोजना कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा, “सबसे पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि किस तरह की परियोजनाओं की बात हो रही है और क्या इससे संरक्षित क्षेत्रों को खोला जा रहा है।”
वन अधिकार अधिनियम के तहत 20 लाख से ज़्यादा दावे अभी भी लंबित
सरकार ने संसद में बताया कि वन अधिकार कानून (एफआरए, 2006) के तहत अब तक 23.8 लाख व्यक्तिगत दावे और 1.21 लाख सामुदायिक पट्टे वितरित किए गए हैं। लेकिन 31 मई 2025 तक 18.6 लाख व्यक्तिगत और 7.49 लाख सामुदायिक दावे अभी भी लंबित हैं।
केंद्र ने कहा कि अधिनियम को लागू करने की ज़िम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है। मंत्रालय को मिली शिकायतें आगे राज्य सरकारों को भेज दी जाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की ताज़ा रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगले पाँच सालों के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नीति या त्वरित योजना बनाई जाए, जिससे आदिवासी शासन और टिकाऊ विकास को साथ-साथ बढ़ावा मिल सके।
असम में नए नियमों से 99% वन क्षेत्र सुरक्षा सूची से बाहर
असम सरकार के नए नियमों की वजह से दीमा हसाओ ज़िले के 1,168 हेक्टेयर में से 1,153 हेक्टेयर वन क्षेत्र को सुरक्षा से हटा दिया गया है। हालांकि राज्य सरकार मानती है कि इस क्षेत्र में 20% से 70% तक पेड़ हैं और यह ‘वन’ की परिभाषा में आता है।
नए नियमों में पेड़ों के प्रकार और घनत्व को भी शामिल किया गया है, जिससे पहले से सुरक्षित बहुत से क्षेत्रों को अब वन नहीं माना जा रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि ये नियम ज़रूरत से ज़्यादा कठोर हैं और इससे वास्तविक वन क्षेत्र कम दिखाया जा रहा है। इसका असर संरक्षण और फंडिंग पर पड़ सकता है।
अमेरिकी शुल्क बढ़ने के बाद मोदी का एससीओ सम्मेलन में हिस्सा
प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन का दौरा करेंगे और वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यह बैठक तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान होगी।
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर शुल्क बढ़ाकर 50% कर दिया है, क्योंकि भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद करने से इनकार कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन रूस के समर्थन और ग्लोबल साउथ की एकजुटता का प्रदर्शन होगा।
ब्राज़ील का देशों को आग्रह: 25 सितंबर तक जलवायु योजनाएं जमा करें
कॉप30 से पहले ब्राज़ील ने सभी देशों से अपील की है कि वे अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं (एनडीसी) 25 सितंबर तक जमा करें। अब तक केवल 28 देशों ने ही ऐसा किया है। संयुक्त राष्ट्र को इन योजनाओं की ज़रूरत है ताकि वह एक ‘सिंथेसिस रिपोर्ट’ तैयार कर सके और यह आकलन कर सके कि दुनिया 1.5°C तापमान लक्ष्य से कितनी पीछे है। ब्राज़ील के राजनयिक आंद्रे कोरिया डो लागो ने चेतावनी दी है कि अगर देशों की योजनाएं पर्याप्त मज़बूत नहीं होंगी, तो कॉप30 में और कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।
फोटो: Sumita Roy Dutta/Wikimedia Commons
भारतीयों की उम्र 3.5 साल कम कर रहा है वायु प्रदूषण
भारत में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा तय किये गये मानदंडों से 8 गुना अधिक खराब है और इस कारण देशवासियों की उम्र औसतन साढ़े तीन साल घट रही है जबकि दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण उम्र में 8.2 वर्षों की कमी हो रही है। यह बात अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी संस्थान की रिपोर्ट में कही गई है।
इसके मुताबिक सभी 140 करोड़ भारतीय ऐसी हवा में सांस लेते हैं जिसमें पार्टिकुलेट मैटर का सालाना स्तर डब्लूएचओ के मानकों को पूरा नहीं करता। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे साफ हवा में सांस लेने वालों की हवा अगर डब्लूएचओ के मानकों को पूरा कर ले तो वहां रहने वालों की उम्र में नौ महीने से अधिक का इजाफ़ा हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2021 वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के अनुसार, पीएम2.5 की वार्षिक औसत सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि पीएम10 की 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। ये सीमाएं भारत के अपने मानकों से कहीं अधिक सख्त हैं, जो वर्तमान में पीएम2.5 के लिए 40 माइक्रोग्राम और पीएम10 के लिए 60 माइक्रोग्राम की अनुमति देते हैं।
पेड़ों की कटाई के मामले में ज़िम्मेदार जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश
भारत की हरित अदालत, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर सरकार को उन अधिकारियों को दंडित करने का आदेश दिया है, जिन्होंने कुपवाड़ा में बिना उचित मंज़ूरी के 1,000 से ज़्यादा पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी। डाउन टु अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकरण ने मुख्य सचिव से एक विस्तृत हलफनामा माँगा है, जिसमें उल्लंघनों का विवरण हो और वन विभाग को मुआवज़ा मिलना सुनिश्चित हो।
फ्लाई ऐश का 98% से अधिक बुनियादी ढाँचा और औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग किया गया
ईटी एनर्जीवर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाई ऐश उपयोग और परिवहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 340.11 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न की, जिसमें से 332.63 मिलियन टन यानी 98% का उपयोग औद्योगिक और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में किया गया।
अधिकारियों के अनुसार, रेलवे आकर्षक माल ढुलाई रियायतों के माध्यम से फ्लाई ऐश की ढुलाई का एक किफायती और टिकाऊ तरीका प्रदान कर रहा है। सरकारी नीति ने बुनियादी ढांचे और निर्माण सामग्री में फ्लाई ऐश के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है क्योंकि इन उपायों का उद्देश्य तापीय उप-उत्पादों का सुरक्षित निपटान और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
देश में चिन्हित 103 दूषित स्थलों में 7 पर सुधार का काम
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा देश भर में चिन्हित 103 दूषित स्थलों में से 7 पर सुधार कार्य शुरू हो गए हैं।
यह प्रगति पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह की उस घोषणा के बाद हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025, दूषित स्थलों की पहचान और सुधार की प्रक्रिया को रेखांकित करता है। सरकार ने 24 जुलाई को इन नियमों को अधिसूचित किया था।
यह नियम राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह अधिकार देता है कि यदि स्थल मूल्यांकन पूरा होने के बाद प्रदूषण एक निश्चित सीमा से ऊपर हो, तो वह किसी स्थल को दूषित घोषित कर सकता है।
फोटो: A Krebs/Pixabay.com
भारत को 2030 तक ई-ट्रकों के लिए 9 गीगावाट चार्जिंग क्षमता की आवश्यकता होगी: रिपोर्ट
इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) के एक अध्ययन के अनुसार, इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रक) की अनुमानित ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत को लगभग 9 गीगावाट (GW) चार्जिंग क्षमता की आवश्यकता होगी। अनुमानित चार्जिंग क्षमता दिल्ली की वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता के पाँच गुना के बराबर है।
केयरएज की जुलाई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के शुरुआती महीनों तक सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 26,367 थी और देश में वर्तमान में सड़क पर प्रत्येक 235 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लगभग एक चार्जर है।
नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के अति फैलाव से भारत में फ़िर बढ़ रहा बिजली की अधिकता का खतरा
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख घनश्याम प्रसाद ने चेतावनी दी है कि भारत का नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार मांग से आगे निकल रहा है। दिल्ली में ब्लूमबर्गएनईएफ शिखर सम्मेलन में उन्होंने डेवलपर्स को पिछले दशक की तापीय अतिक्षमता की गलतियों को दोहराने के प्रति आगाह किया, जिसके कारण जनरेटर दिवालिया हो गए थे।
कुल 44 गीगावाट की नवीकरणीय परियोजनाओं में आपूर्ति समझौतों का अभाव और कटौती पहले से ही आम बात है, इसलिए प्रसाद ने क्षमता वृद्धि, मांग और ट्रांसमिशन के बीच गहन समन्वय का आग्रह किया। उन्होंने गुजरात के खावड़ा का उदाहरण दिया, जहाँ 4,000 मेगावाट के सबस्टेशन में केवल 300-500 मेगावाट ही जुड़ा है। उद्योग जगत के नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन ट्रांसमिशन और वितरण में निवेश अभी भी बहुत पीछे है—जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बाधा है।
ट्रम्प ने पवन ऊर्जा पर निशाना साधते हुए टर्बाइन आयात की राष्ट्रीय सुरक्षा जांच शुरू की
ट्रम्प प्रशासन ने पवन टर्बाइनों और उनके कलपुर्जों के आयात की राष्ट्रीय सुरक्षा जांच शुरू की है, जिससे इस क्षेत्र पर टैरिफ बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। संघीय रजिस्टर में घोषित, धारा 232 की जांच यह आकलन करेगी कि क्या विदेशी सप्लाई चेन, सब्सिडी या व्यापारिक प्रथाएं अमेरिकी सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करती हैं, जिसमें आयातित कलपुर्जों का संभावित “हथियारीकरण” भी शामिल है। यह कदम इस महीने की शुरुआत में स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ में की गई नई बढ़ोतरी के बाद उठाया गया है, जिसका असर पवन ऊर्जा उपकरणों पर भी पड़ा है। उद्योग जगत के जानकार कहते हैं कि इस जांच से ट्रम्प प्रशासन अमेरिकी व्यापार नीति को नया रूप दे रही है जो पवन ऊर्जा के विकास को रोकने के बढ़ते प्रयासों की दिशा में एक और मोर्चा है।
वर्ष 2025 की शुरुआत में चीन का कार्बन उत्सर्जन 1% घटा: अध्ययन
कार्बन ब्रीफ के लिए ऊर्जा और स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (क्रिया) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में चीन का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पिछले वर्ष की तुलना में 1% कम हुआ है, जिसका मुख्य कारण नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि है। कोयले के उपयोग में कमी के कारण बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में 3% की गिरावट आई, हालांकि गैस की खपत में 6% की वृद्धि हुई। चीन के प्रापर्टी मार्केट में संकट के कारण धातु, सीमेंट और इस्पात क्षेत्र में भी उत्सर्जन में कमी आई। हालांकि, रसायन क्षेत्र से उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही, कोयले से रसायनों का उत्पादन 20% बढ़ा। इस प्रवृत्ति ने 2020 से चीन के उत्सर्जन में पहले ही 3% की वृद्धि कर दी है, और आगे भी वृद्धि की संभावना है।
फोटो: Pixabay.com
ओपनएआई इस साल के अंत में दिल्ली में अपना पहला भारतीय कार्यालय खोलेगी
अमेरिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई इस साल के अंत में नई दिल्ली में अपना पहला भारतीय कार्यालय खोलने वाली है। चैटजीपीटी बनाने वाली माइक्रोसॉफ्ट समर्थित इस कंपनी के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। इसने लगभग एक अरब इंटरनेट उपयोगकर्ताओं पर नज़र रखते हुए भारत में $4.60 का अपना सबसे सस्ता मासिक प्लान भी लॉन्च किया है। ओपनएआई ने भारती में नियुक्तियां भी शुरू कर दी है।
हालाँकि एआई को प्रशिक्षित करने और चलाने के लिए आवश्यक डेटा केंद्रों का वैश्विक स्तर पर विस्तार किया जा रहा है, लेकिन इसकी भारी बिजली आवश्यकताओं को लेकर चिंतायें हैं। हालांकि, नए मॉडल पहले के मॉडलों की तुलना में कम बिजली की खपत करते हैं। ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन के अनुसार, एक मानक टेक्स्ट क्वेरी 0.34 Wh बिजली का उपयोग करती है। दूसरी ओर, डेटा वैज्ञानिक हन्ना रिची के एक लेख के अनुसार, गूगल का जेमिनी एलएलएम लगभग 0.24 Wh बिजली का उपयोग करता है – जो माइक्रोवेव को एक सेकेंड के लिए उपयोग के बराबर है।
लग्ज़री इलेक्ट्रिक कारों पर पर बढ़ सकती हैं जीएसटी दरें
सरकार 20 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली लग्ज़री इलेक्ट्रिक कारों पर अब 18% जीएसटी लगा सकती है।
जीएसटी काउंसिल को सौंपी गई ड्राफ्ट रिपोर्ट में रेट राशनलाइजेशन पर मंत्रियों के समूह (GoM) ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर को 5% से बढ़ाकर 18% करने का सुझाव दिया है। यह केवल 20 लाख रुपए से 40 लाख रुपए कीमत वाली चार-पहिया वाहनों पर लागू होगा। अन्य वाहन जैसे ई-बसें अब भी 5% रियायती दर का लाभ उठाते रहेंगे। GoM का तर्क है कि 5% की कम दर का फायदा ज़्यादा महंगे वाहन खरीदने वाले उपभोक्ताओं को अधिक मिल रहा है।
पीएलआई योजना से ऑटो सेक्टर में 67,690 करोड़ रुपए का निवेश
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की वजह से भारत के ऑटो और ऑटो पार्ट्स सेक्टर में कुल 67,690 करोड़ रुपए का निवेश आया है। ईटी ऑटो की ख़बर के मुताबिक मार्च 2024 तक इससे लगभग 29,000 लोगों को नौकरियां मिलीं। फेम योजना के साथ मिलकर यह भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर तेजी से बढ़ने में मदद कर रहा है।
सुजुकी का भारत में 70,000 रुपए करोड़ का निवेश और ईवी निर्यात
जापानी ऑटो दिग्गज सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन भारत में अगले 5–6 वर्षों में 70,000 करोड़ रुपए निवेश करने जा रही है। यह बात कंपनी के प्रेसिडेंट तोशिहिरो सुजुकी ने कही है।
यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा e-Vitara (जो कि सुजुकी की पहली इलेक्ट्रिक कार है) को 100 देशों में निर्यात करने की योजना बताने के तुरंत बाद हुई है। कंपनी की गुजरात फैक्ट्री की क्षमता भविष्य में 10 लाख यूनिट्स सालाना तक पहुँच सकती है और EVs का निर्यात यहां के पिपावाव पोर्ट से होगा। यहां पर लिथियम-आयन बैटरी का निर्माण भी किया जाएगा।
सितंबर में बढ़ेगा रूस से तेल आयात, भारत ने नज़रअंदाज़ किए अमेरिकी टैरिफ
अमेरिकी दबाव और दंडात्मक टैरिफ को नज़रअंदाज़ करते हुए भारत सितंबर में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाने की तैयारी में है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिफाइनर अगस्त की तुलना में रूस से तेल खरीद 10–20% बढ़ा सकते हैं, यानी रोज़ाना 1.5 से 3 लाख बैरल तक अतिरिक्त आयात होगा।
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बीच भारत रूस का सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार बन चुका है।
प्रतिबंधों से जूझ रही नायरा एनर्जी ने मांगी मदद
रूस के सहयोग से चलने वाली इंडो-रशियन कंपनी नायरा एनर्जी, जिसका भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता के करीब 8% पर नियंत्रण है, अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण मुश्किलों में है। कंपनी तेल आयात और परिवहन के लिए तथाकथित ‘डार्क फ्लीट’ पर निर्भर है।
जुलाई में यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंध लागू होने के बाद कई शिपिंग कंपनियों ने हाथ खींच लिया, जिससे नायरा को तेल शिपमेंट कम करने पड़े। अब कंपनी जहाजों की सुरक्षा और निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए सरकारी मदद चाहती है।
चीन की साइनोपेक का मुनाफा घटा
चीन की सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग कंपनी साइनोपेक को इस साल की पहली छमाही में मुनाफे में गिरावट का सामना करना पड़ा है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, कुछ उत्पादों का सीमित उत्पादन और कमजोर मुनाफ़े का मार्जिन है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग ने पेट्रोल-डीज़ल की खपत पर असर डाला है। इसी कारण कंपनी ने अपने सालाना पूंजीगत खर्च को 5% तक घटाने का निर्णय लिया है।
भारत में प्रवेश की तैयारी कर रही अमेरिकी परमाणु ईंधन कंपनी
अमेरिकी कंपनी क्लीन कोर थोरियम एनर्जी (सीसीटीई) भारत में अपने थोरियम आधारित ईंधन तकनीक के लिए मंज़ूरी और साझेदारी की संभावनाएं तलाश रही है। अमेरिकी सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद अब कंपनी विदेशी बाज़ारों में परमाणु ईंधन निर्यात कर सकती है।
सीसीटीई का कहना है कि भारत में निजी क्षेत्र को परमाणु ऊर्जा में प्रवेश की अनुमति मिलने पर वह निजी कंपनियों के साथ साझेदारी पर भी विचार करेगी।