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हिमाचल प्रदेश में अचानक आई बाढ़ में 78 लोगों की मौत, उत्तराखंड के 4 जिलों में भूस्खलन का अलर्ट
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में जुलाई की शुरुआत में 23 बार अचानक बाढ़ आई, उसके बाद बादल फटने की 19 घटनाएँ और 16 भूस्खलन हुए। इससे राज्य की स्थिति और भी खराब हो गई। पिछली 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से मरने वालों की संख्या बढ़कर 78 हो गई।
कम से कम 37 लोग अभी भी लापता हैं और 115 घायल हुए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बुनियादी ढाँचे को व्यापक नुकसान हुआ है। सबसे ज़्यादा प्रभावित मंडी ज़िले में, एक जगह हिमाचल कोऑपरेटिव बैंक की पहली मंज़िल पानी और मलबे से भर गई है। 8,000 की आबादी वाले इस कस्बे में यह इकलौता बैंक था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने उत्तराखंड के चार ज़िलों — टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली – के लिए भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी में 7 और 8 जुलाई को चमोली, ऊखीमठ, घनसाली, नरेंद्र नगर, धनोल्टी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ सहित कई उप-विभागों में संभावित भूस्खलन की चेतावनी दी गई है।
नेपाल-चीन सीमा पर बाढ़ से तबाही, मानसरोवर यात्रा बाधित; क्यों गंभीर होते जा रहे हैं ऐसे हादसे
नेपाल के रसुवागढ़ी-टिमुरे क्षेत्र में 8 जुलाई 2025 को अचानक आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। चीन की सीमा पर तिब्बत क्षेत्र में लेहेन्दे (लखनदेई) नदी में अप्रत्याशित जलवृद्धि के कारण भोटे कोशी नदी का बहाव अचानक बहुत तेज हो गया, जिससे आई बाढ़ में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और 19 अभी भी लापता हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यह बाढ़ तिब्बत की एक सुप्राग्लेशियल झील के फटने से आई, जिसे उपग्रह चित्रों ने भी पुष्टि की है।
बाढ़ में नेपाल-चीन को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण फ्रेंडशिप ब्रिज और रसुवागढ़ी चेकपोस्ट पर स्थित मितेरी पुल बह गए। इसके चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा भी बाधित हो गई है। ट्रेकिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ नेपाल (टीएएएन) ने चीनी सरकार से वैकल्पिक मार्ग – तातोपानी, कोराला और हिल्सा – खोलने की मांग की है और नेपाल सरकार से वीज़ा प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया है।
बाढ़ के कारण 1,100 मीटर से अधिक सड़क बर्बाद हो चुकी है, 10 हाइड्रोपॉवर परियोजनाएं ध्वस्त हुई हैं, और स्थानीय ड्राइ पोर्ट भी ठप पड़ा है। संचार और बिजली सेवा बाधित है, जिससे बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है।
अब तक 150 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें 127 विदेशी नागरिक हैं, लेकिन खराब भूभाग और भारी उपकरणों की अनुपलब्धता राहत कार्यों को धीमा कर रही है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लैश फ्लड, यानी अचनाक आनेवाली बाढ़ की चेतावनी देना बेहद मुश्किल होता है, और जलवायु परिवर्तन के कारण यह और मुश्किल होता जा रहा है, फिर भी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह हादसा नेपाल और चीन के बीच रियलटाइम डाटा साझा न होने के कारण बिना चेतावनी के हुआ।
जब तक नेपाली अधिकारी सतर्क होते, बाढ़ का पानी बेट्रावती तक पहुंच चुका था। आउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे यह स्पष्ट होता है कि नेपाल जैसे हिमालयी देशों में अर्ली वार्निंग सिस्टम (पूर्व चेतावनी प्रणाली) और सीमा-पार समन्वय की तत्काल जरूरत है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों का तेजी से पिघलना, अनियमित मानसून और बेतरतीब बारिश के कारण ऐसे हादसों की की संख्या बढ़ रही है और यह अधिक गंभीर भी हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते सायरन और रिवर गेज जैसी चेतावनी प्रणालियों में उपयुक्त निवेश नहीं किया गया, तो भविष्य की बाढ़ें और अधिक विनाशकारी होंगी।
देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश में बढ़ोतरी के बावजूद 33.5% जिले सूखे
देश के अधिकांश हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गति पकड़ ली है और 8 जुलाई तक पूरे भारत में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है।
हालांकि, लगभग 33.5 प्रतिशत जिलों में अभी भी कम या बहुत अधिक कमी है।
हालांकि जल्द ही गति बढ़ने की उम्मीद है, फिर भी इन क्षेत्रों पर कड़ी नज़र रखी जाएगी, क्योंकि कृषि गतिविधियाँ सबसे अधिक खतरे में होंगी।
रिडिफ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक इनमें से अधिकांश जिले बिहार में हैं, जहां 9 जुलाई तक 87 प्रतिशत जिलों में मानसून की कमी थी, इसके बाद असम (60 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (53.8 प्रतिशत), तमिलनाडु (52.6 प्रतिशत) और तेलंगाना (51.5 प्रतिशत) का स्थान है।
जून माह दुनिया का तीसरा सबसे गर्म महीना रहा: कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के विश्लेषण के अनुसार, जून दुनिया भर में तीसरा सबसे गर्म महीना रहा, जहाँ सतह का औसत तापमान 16.46°C रहा, जो पूर्व-औद्योगिक स्तर से लगभग 1.30°C अधिक था। जुलाई 2024 से जून 2025 के बीच की 12 महीने की अवधि पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.55°C अधिक थी।
विश्लेषण से पता चला है कि पश्चिमी और मध्य यूरोप के अधिकांश हिस्सों में जून 2025 में गर्म हवा का तापमान औसत से ज़्यादा दर्ज किया गया। पश्चिमी यूरोप में जून का महीना अब तक का सबसे गर्म महीना रहा। दक्षिणी दक्षिण अमेरिका में तापमान ज़्यादातर औसत से कम रहा। अर्जेंटीना और चिली में रिकॉर्ड ठंड रही। भारत और पूर्वी यूरोप में औसत से कम तापमान दर्ज किया गया।
टेक्सास में बाढ़ में कम से कम 161 लोग लापता, मृतकों की संख्या 109 हुई
टेक्सास में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद कम से कम 161 लोग अभी भी लापता हैं। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले पाँच दशकों में आई सबसे घातक बाढ़ में मरने वालों की संख्या 200 से ज़्यादा होने की संभावना है।” साथ ही, यह भी बताया गया है कि 109 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिनमें “दो दर्जन से ज़्यादा बच्चे” भी शामिल हैं।
यूरोन्यूज़ ने बताया कि धीमी गति के तूफ़ान के कारण भारी बारिश हुई जिससे नदियों में उफान आ गया और छोटे-छोटे शहर पानी से भर गए, जिसका पानी इतनी तेज़ी से बढ़ा कि कई लोग बच नहीं पाए। अधिकारियों ने इस घटना को ‘100 साल की सबसे बड़ी बाढ़’ बताया, हालाँकि, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस हफ़्ते हुई बारिश का स्तर सामान्य से बिल्कुल अलग था।
यूरो न्यूज़ के मुताबिक “मेक्सिको की खाड़ी में लगभग रिकॉर्ड तापमान, उष्णकटिबंधीय तूफ़ान बैरी के अवशेष और उसे बहा ले जाने वाली जेट स्ट्रीम की कमी के कारण टेक्सास में अत्यधिक नमी आ गई। यह एक चेतावनी का संकेत है कि यह बाढ़ ऐतिहासिक हो सकती है।”
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सास के केरविल में जो सूखा पड़ा उसने इस क्षेत्र में आई घातक बाढ़ में योगदान दिया, क्योंकि सूखी मिट्टी पानी को नहीं रोक पाती जब वह बारिश के रूप में गिरता है।
“जुलाई की शुरुआत में आसपास का काउंटी 100% सूखे की चपेट में था। विडंबना यह है कि इसी सूखे ने शुक्रवार को इस क्षेत्र में आई घातक बाढ़ को जन्म दिया।”
यूरोपीय संघ के देश वनों की कटाई के नियमों में चाहते हैं और अधिक कटौती
दिसंबर से, दुनिया में पहली बार लागू होने वाले वनों की कटाई के कानून के तहत, सोया, बीफ़ और पाम ऑयल जैसे उत्पादों को यूरोपीय संघ के बाज़ार में बेचने वाले संचालकों को यह प्रमाण देना होगा कि उनके उत्पादों से वनों की कटाई नहीं हुई है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ब्रुसेल्स ने पहले ही इसकी शुरुआत एक साल के लिए टाल दी है और अमेरिका सहित व्यापारिक साझेदारों और यूरोपीय संघ के देशों की आलोचना के बाद रिपोर्टिंग नियमों में कटौती कर दी है। रॉयटर्स ने बताया कि पत्र में यूरोपीय संघ के नियमों में वनों की कटाई के “कम जोखिम” वाले देशों से आयात को बाहर रखने का आह्वान किया गया है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार, “जहां वनों की कटाई का जोखिम सबसे अधिक है, वहां वनों की कटाई को लक्षित करने के बजाय, यह विनियमन उन देशों पर असंगत नौकरशाही दायित्व थोपता है, जहां वनों की कटाई स्पष्ट रूप से नगण्य है।”
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कार्बन क्रेडिट: सरकार ने उद्योगों के लिए जारी किए उत्सर्जन लक्ष्य
केंद्र सरकार ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम के तहत उद्योगों के लिए उत्सर्जन टारगेट अधिसूचित किए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह लक्ष्य 2025-26 और 2026-27 के लिए कार्बन ट्रेडिंग मार्केट के तहत जारी किए गए हैं, जो संकेत है कि इस अवधि के दौरान भारत का कार्बन बाजार संचालन में आ सकता है।
केंद्र सरकार ने 2023 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना अधिसूचित की थी। इस योजना के तहत, भारतीय कार्बन बाजार की रूपरेखा तैयार की गई, जिसका मकसद है एक ऐसी व्यवस्था बनाना, जिसमें कंपनियां कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र खरीद और बेच सकें। यह प्रमाणपत्र किसी कंपनी के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने, रोकने या हटाने के लिए जारी किए जाते हैं।
जिन क्षेत्रों के लिए लक्ष्य तय किए गए हैं उनमें एल्यूमिनियम क्षेत्र की 3 कंपनियां, लौह एवं इस्पात क्षेत्र की 253, पेट्रोलियम रिफाइनिंग की 21, पेट्रोरसायन की 11, नेफ्था आधारित इकाइयों की 11 और कताई/टेक्सटाइल क्षेत्र की 173 इकाइयां शामिल हैं। ये सभी इकाइयां इस योजना के तहत पंजीकृत हैं।
ड्राफ्ट अधिसूचना में कहा गया है कि संबंधित इकाइयों को निर्धारित वर्ष में अपने ग्रीनहाउस गैस एमिशन इंटेंसिटी के लक्ष्यों को हासिल करना होगा। यदि कोई इकाई निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाती है तो वह भारतीय कार्बन बाजार से कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र खरीदकर उस लक्ष्य की पूर्ति कर सकती है।
इन लक्ष्यों की गणना ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा की जाएगी।
वन संरक्षण अधिनियम संशोधन: ‘प्राकृतिक वनों को दोहरी क्षति का खतरा’
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामों में चेतावनी दी गई है कि यदि वन (संरक्षण) संशोधन नियम 2023 के तहत मुआवजे के तौर पर वन भूमि का उपयोग किया गया तो प्राकृतिक वनों को दोहरी क्षति हो सकती है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों और पूर्व वन अधिकारियों ने अदालत के निर्देश पर एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि जब तक “क्षतिपूरक वनरोपण” के लिए भूमि उपलब्ध न कराई जाए, तब तक वह ऐसे किसी भी कदम से परहेज़ करे जिससे वनों में कमी हो।
हलफनामों में कहा गया है कि वन सलाहकार समिति (एफएसी) की बैठकों के विश्लेषण से साफ है कि अभी भी डीग्रेडेड अधिसूचित वन भूमि या अवर्गीकृत वनभूमि क्षतिपूरक वृक्षारोपण के लिए दी जा रही है।
याचिकाकर्ताओं ने फरवरी के बाद हुई एफएसी बैठकों का हवाला दिया, जिनमें 603.83 हेक्टेयर वन भूमि को डाइवर्ट करने की मंज़ूरी दी गई थी, जिसमें से 140.79 हेक्टेयर अवर्गीकृत वन भूमि और 2.25 हेक्टेयर डीग्रेडेड वन भूमि थी।
सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनवाई होनी है।
‘संदिग्ध’ कार्बन क्रेडिट से जुड़ी भारत की 9 परियोजनाएं: रिपोर्ट
कॉरपोरेट एकाउंटबिलिटी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक स्वैच्छिक कार्बन बाजार (वीसीएम) से रिटायर किए गए लाखों कार्बन क्रेडिट उत्सर्जन में वास्तविक कटौती नहीं कर सकते थे। यह “संदिग्ध” कार्बन क्रेडिट जिन 47 परियोजनाओं से जारी हुए थे, उनमें से नौ भारत में थीं। इनमें पवन, सौर और हाइड्रोपॉवर क्षेत्र की परियोजनाएं शामिल हैं।
स्वैच्छिक कार्बन मार्केट (वीसीएम) एक ऐसा बाजार है जहां कंपनियां एक-दूसरे से कार्बन क्रेडिट खरीदती और बेचती हैं, ताकि वे अपने कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम कर सकें। लेकिन विनिमय की शर्त यह है कि उत्सर्जन में कटौती “अतिरिक्त” (एडिशनल) होनी चाहिए — यानी यह केवल तब ही हो सकता है जब उस प्रोजेक्ट को कार्बन क्रेडिट से वित्तीय सहायता मिली हो। यानी अगर कोई परियोजना बिना कार्बन क्रेडिट से सहयता मिले (सरकारी योजनाओं या निजी निवेश से) बन जाए, तो उस प्रोजेक्ट से होने वाली उत्सर्जन कटौती को “अतिरिक्त” नहीं माना जाएगा।
रिपोर्ट बताती है कि इन 47 परियोजनाओं से जारी किए गए 80 प्रतिशत क्रेडिट “अतिरिक्त” नहीं थे। इनमें एसीएमई, रीन्यू, अडानी, ग्रीनको और जेएचपील की परियोजनाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे बड़े अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट पहले से सरकारी प्रोत्साहनों से लाभान्वित हैं, इसलिए इनसे उत्सर्जन में कोई नई कटौती नहीं हुई।
नासा की वेबसाइट पर जलवायु रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करेगा ट्रंप प्रशासन
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अब यह साफ कर दिया है कि वह नासा की वेबसाइट पर राष्ट्रीय जलवायु आकलन रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं करेगा, जबकि पहले ऐसा करने का वादा किया गया था। यह रिपोर्ट अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर आधारित है और 1990 के कानून के तहत इसका प्रकाशन अनिवार्य है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार नासा ने कहा कि उसकी ऐसी कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं है।
यह रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन कैसे देश की सुरक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। रिपोर्ट राज्य और स्थानीय सरकारों को आपदाओं से निपटने, योजना बनाने और अनुकूलन की रणनीति तय करने में भी मदद करती है। जलवायु वैज्ञानिकों और पूर्व अधिकारियों ने प्रशासन पर जानबूझकर रिपोर्ट को छिपाने और जनता को महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी से वंचित रखने का आरोप लगाया है।
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केंद्र ने SO2 उत्सर्जन मानदंडों में ढील दी, बड़ी संख्या में कोयला संयंत्रों को मिली छूट
पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र या दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए SO2 अनुपालन की समय सीमा दिसंबर 2024 से बढ़ाकर दिसंबर 2027 कर दी है।
बहुत अधिक प्रदूषित या नॉन-अटेनमेंट क्षेत्रों में स्थित संयंत्रों का अब एक – एक कर (केस बाइ केस) मूल्यांकन किया जाएगा, जबकि अन्यत्र स्थित संयंत्रों को पूरी तरह से छूट दी गई है, बशर्ते वे स्टैक की ऊँचाई के मानदंडों को पूरा करते हों। भारत में लगभग 600 ताप विद्युत इकाइयों में से 462 श्रेणी C इकाइयाँ और 72 श्रेणी B इकाइयाँ हैं।
दूसरी ओर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि देश भर के बिजली संयंत्रों द्वारा “सुस्ती को सही ठहराने के लिए” नीरी, एनआईएएस और आईआईटी दिल्ली जैसे संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययनों का “चुनिंदा रूप से इस्तेमाल” किया जा रहा है। इससे ये बिजलीघर SO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए फ़्लू गैस डिसल्फ़राइज़ेशन (FGD) तकनीक लगाने में लगातार देरी कर रहे हैं।
भारत ने दिसंबर 2015 में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए कड़े सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानक स्थापित किए थे, जिनका दो वर्षों के भीतर अनुपालन अनिवार्य था। कई बार समय सीमा बढ़ाये जाने के बाद भी, 92% कोयला आधारित बिजली संयंत्रों ने अभी तक SO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए फ़्लू गैस डिसल्फ़राइज़ेशन इकाइयाँ स्थापित नहीं की हैं। SO2 एक प्रमुख वायु प्रदूषक है जो सूक्ष्म कण पदार्थ (PM2.5) में परिवर्तित हो जाता है और कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है।
लुप्त होती झीलों के मुद्दे पर केंद्र और गुजरात प्रदूषण बोर्ड को एनजीटी का नोटिस
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) द्वारा चिन्हित झीलों के लुप्त होने के मुद्दे पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) और अहमदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किए हैं।
अदालत ने द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया, जिसमें अहमदाबाद नगर निगम का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि शहर के 172 में से 37 वॉटर बॉडीज़ लुप्त हो गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये वाटर बाडीज़ मुख्य रूप से इसलिए लुप्त हुईं क्योंकि उन्हें वैधानिक विकास योजना में पहचान और मान्यता नहीं दी गई थी, जिस कारण उन पर अतिक्रमण किया जाता रहा।
सीपीसीबी की रिपोर्ट ने देहरादून में गंगा नदी के आसपास अवैध खनन की पुष्टि की
उत्तराखंड उच्च न्यायालय को सौंपी गई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट ने गंगा नदी (देहरादून में रायवाला से भोगपुर तक) के आसपास व्यापक रूप से अवैध खनन की पुष्टि की है। गैर-सरकारी संगठन मातृ सदन ने अंधाधुंध मशीनीकृत खनन के फोटोग्राफिक साक्ष्य और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के साथ अदालत को सचेत किया। निरीक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि खनन गतिविधियाँ गंगा से केवल 501 मीटर और 802 मीटर की दूरी पर हैं। संचालन की सहमति प्रमाणपत्र मार्च 2022 में समाप्त हो गया था, और खदानों में उचित हरित पट्टी और धूल नियंत्रण उपायों का अभाव था।
कुछ क्षेत्रों में जहाँ गंगा अपनी सहायक नदी रवासन से मिलती है, रिपोर्ट में 2.2 मीटर तक की गहराई वाली खदानें पाई गईं, जो 1.5 मीटर की अनुमेय सीमा से अधिक है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीपीसीबी की रिपोर्ट में अवैध खनन से पर्यावरणीय क्षति की सीमा या स्थानीय समुदायों पर पड़ने वाले प्रभाव, जिसमें कृषि भूमि की तबाही भी शामिल है, जो उपग्रह चित्रों में दिखाई दे रही है, को दर्शाने वाले तुलनात्मक आँकड़े या विश्लेषण शामिल नहीं हैं। मातृ सदन ने अब अदालत की प्रत्यक्ष निगरानी में पुनः निरीक्षण का अनुरोध किया है।
औद्योगिक प्रदूषण: हरित न्यायालय ने हरियाणा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण निकायों को नोटिस जारी किया
क्षेत्र में चल रही 21 औद्योगिक इकाइयों पर चिंता जताने वाली एक याचिका के दो साल बाद, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पानीपत के मडलौडा औद्योगिक क्षेत्र में कथित नियामक खामियों और वर्गीकरण संबंधी चिंताओं पर नोटिस जारी किए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ये नोटिस पानीपत के सुताना गाँव के एक निवासी की याचिका के बाद जारी किए गए हैं। प्रदूषण बोर्डों को संबंधित दस्तावेज़ जमा करने और उचित कदम उठाने के लिए कहा गया है। मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी। एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को कपड़ा, रसायन, कीटनाशक और सीमेंट के निर्माण से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों द्वारा पर्याप्त नियामक निगरानी या प्रदूषण नियंत्रण अनुपालन के बिना खतरनाक गतिविधियों में लिप्त होने के मुद्दे पर नोटिस जारी किए हैं।
एलन मस्क की xAI को मिली अश्वेत बस्तियों के पास प्रदूषणकारी मीथेन गैस जनरेटर लगाने की हरी झंडी
एलन मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI को टेनेसी के मेम्फिस स्थित अपने विशाल डेटासेंटर में मीथेन गैस जनरेटर चलाने की अनुमति काउंटी स्वास्थ्य विभाग से मिल गई है। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर स्थानीय समुदाय और पर्यावरण नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये जनरेटर उनके आस-पड़ोस को प्रदूषित करते हैं।
मस्क की xAI ने लगभग एक साल पहले मेम्फिस में अपना विशाल डेटासेंटर स्थापित किया था। इस सुविधा की भारी बिजली खपत को पूरा करने के लिए, कंपनी ने दर्जनों पोर्टेबल मीथेन गैस जनरेटर लगाए। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, xAI के पास जनरेटर के लिए परमिट नहीं था, लेकिन ऐसा लगता है कि उसने सरकार के नियमों में एक खामी ढूंढ ली थी जिससे उसे टर्बाइनों का उपयोग करने की अनुमति मिल गई, बशर्ते वे 364 दिनों से ज़्यादा एक ही जगह पर न रहें।
अश्वेत बस्तियों के पास होने वाले से प्रदूषण का NAACP नागरिक अधिकार समूह ने विरोध किया है और इसने xAI के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी अवैध रूप से मीथेन गैस जनरेटर स्थापित और संचालित करके स्वच्छ वायु अधिनियम का उल्लंघन कर रही है।
भारत ने पांच साल पहले हासिल किया गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन का लक्ष्य
भारत ने अपनी कुल स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित समय से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 2022 के बाद सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कोयले से बिजली उत्पादन में लगभग 3 प्रतिशत की गिरावट आई।
हालांकि, पिछले वर्ष उत्पादन में हुई कुल वृद्धि का दो-तिहाई हिस्सा अभी भी जीवाश्म स्रोतों से ही आया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत 2032 तक 80 गीगावाट नई कोयला-आधारित उत्पादन क्षमता जोड़ने की योजना बना रहा है ताकि बिजली की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
2022 में भारत 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य से चूक गया था, लेकिन तब से सौर और पवन ऊर्जा में तेजी आई है। 2032 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पीटीआई के अनुसार, भारत की कुल गैर-जीवाश्म क्षमता अब 242.8 गीगावाट पहुंच चुकी है, जबकि कुल उत्पादन क्षमता 484.8 गीगावाट है।
भारत ने 2024 में 341 मेगावाट-ऑवर बैटरी स्टेरेज क्षमता स्थापित की
भारत ने 2024 में 341 मेगावाट-ऑवर (MWh) बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईईएस) स्थापित की, जो 2023 की तुलना में छह गुना अधिक है। मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अब देश की कुल बैटरी स्टोरेज क्षमता 442 MWh हो गई है। इसमें से केवल 4% स्टैंड-अलोन बीईईएस है, जबकि 60% बैटरी स्टोरेज से इंटीग्रेटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों से जुड़ी है। शेष 36% बैटरियां राउंड-द-क्लॉक कैपेबिलिटी, यानी ऐसे नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जुड़ी हैं जो दिन-रात बिजली देने की क्षमता रखते हैं।
ट्रंप ने दिया पवन और सौर ऊर्जा सब्सिडी खत्म करने का आदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं को मिलने वाली टैक्स सब्सिडी समाप्त करने का निर्देश दिया है।
रायटर्स के अनुसार, ट्रंप ने इन्हें महंगा, अविश्वसनीय और विदेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर बताया। आदेश में वित्त विभाग को बजट बिल के तहत टैक्स क्रेडिट की समाप्ति लागू करने को कहा गया है, जबकि गृह विभाग से रिन्यूएबल्स को प्राथमिकता देने वाली नीतियों की समीक्षा करने को कहा गया है।
ब्लूमबर्ग ने बताया कि यह आदेश चीन जैसे विदेशी हितधारकों से जुड़े क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन से रोकने की भी बात करता है।
वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 15% वृद्धि: इरेना
अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (इरेना) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 15 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई।
बिज़नेसग्रीन की रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़ोत्तरी मुख्य रूप से एशिया में सौर और पवन परियोजनाओं के विस्तार में आई तेजी के कारण हुई है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा अपनाने वाले और पीछे छूट रहे क्षेत्रों के बीच अंतर बढ़ गया है।
2024 में 582 गीगावाट नई नवीकरणीय बिजली क्षमता जोड़ी गई, जो अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है।
ग्लोबल ईवी बिक्री जून में 24% बढ़ी, लेकिन अमेरिका में गिरावट
दुनिया भर में बैटरी-इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड वाहनों की बिक्री जून 2025 में पिछले साल की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़कर 18 लाख तक पहुंच गई।
चीन में बिक्री 28 प्रतिशत बढ़कर 11.1 लाख हो गई, जबकि यूरोप में 23 प्रतिशत वृद्धि के साथ करीब 3.9 लाख इलेक्ट्रिक वाहन बिके।
हालांकि, अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री 1 प्रतिशत घटी। रिसर्च फर्म रो मोशन के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई बजट नीति के तहत टैक्स क्रेडिट में कटौती के कारण यह गिरावट आई है। कनाडा में भी गिरावट के चलते उत्तरी अमेरिका की बिक्री 9 प्रतिशत घटी, जिससे यह क्षेत्र पहली बार दक्षिण व मध्य अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे देशों से पीछे रह गया।
यूरोप में जर्मनी और स्पेन जैसे बाजारों में छूट और सस्ती ईवी की उपलब्धता से आगे भी बिक्री में तेजी की उम्मीद है। बीवाईडी और वोल्क्सवैगन जैसे ब्रांड इसमें अग्रणी हैं।
भारत में टेस्ला की एंट्री, मुंबई में पहला शोरूम खुला
एलन मस्क की इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला ने वर्षों की चर्चा और बातचीत के बाद आखिरकार भारतीय बाजार में कदम रख दिया है। 15 जुलाई को टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित जियो वर्ल्ड ड्राइव में अपना पहला शोरूम खोला।
यह शोरूम एक्सपीरियंस सेंटर के रूप में काम करेगा, जहां ग्राहक वाहन देख और परख सकेंगे। इसके साथ ही यहां सेल्स, सर्विस और स्पेयर पार्ट्स की सुविधाएं भी मिलेंगी।
फिलहाल टेस्ला भारत में गाड़ियां बना नहीं रही है, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से आयात कर रही है। यह आयात एक अस्थायी टैक्स छूट के तहत हो रहा है, जो भारत सरकार द्वारा सीमित अवधि के लिए मंजूर किया गया है।
विनफ़ास्ट ने भारत के 27 शहरों में विस्तार के लिए किया करार
वियतनामी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता विनफ़ास्ट ने भारत में अपने विस्तार की योजना के तहत 13 ऑटो डीलरों के साथ समझौता किया है, जिससे 27 शहरों में 35 शोरूम खुल सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने भारत की बैटरी रीसायक्लिंग कंपनी बैटएक्स एनर्जीस के साथ भी एक अहम करार किया है।
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, बैटएक्स अब भारत में विनफ़ास्ट की बैटरियों का रीसायक्लिंग, पुनः उपयोग, मैटेरियल रिकवरी और आफ्टर-सेल्स सर्विस का काम संभालेगी।
यह समझौता भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सस्टेनेबल सप्लाई चेन और पर्यावरण के अनुकूल समाधान विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इलेक्ट्रिक ट्रकों की बिक्री से चीन में डीज़ल की मांग घटी
चीन में इलेक्ट्रिक हेवी ट्रकों की बिक्री में 175 प्रतिशत की तेजी आई है, जिससे डीजल की मांग घट रही है। सरकारी सब्सिडी और फ़ास्ट चार्जिंग नेटवर्क के चलते यह बदलाव हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की तेल खपत अब 2024 में ही चरम पर पहुंच सकती है।
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जून में रूस से भारत का कच्चा तेल आयात 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
भारत ने जून में रूस से प्रतिदिन 2.08 मिलियन बैरल तेल का आयात किया, जो जुलाई 2024 में इज़राइल-ईरान युद्ध के बाद से सबसे अधिक है। जून में भारत के वैश्विक आयात में 6% की गिरावट आई, जबकि रूस से आयात में महीने-दर-महीने 8% की वृद्धि हुई।
रूस से किए गए इस आयात में आधे से ज़्यादा तीन भारतीय रिफ़ाइनरियों द्वारा किया गया, जो G7+ देशों को भी रिफ़ाइन्ड उत्पादों का निर्यात करती हैं।
यूरोपीय थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने कहा, “जून में भारत के कच्चे तेल के वैश्विक आयात में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि रूस से आयात में महीने-दर-महीने 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो जुलाई 2024 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।”
“रूस से होने वाले इन आयातों में से आधे से ज़्यादा भारत की तीन रिफ़ाइनरियों द्वारा किए गए, जो G7+ देशों को भी परिष्कृत उत्पाद निर्यात करती हैं।”
भारत अपनी ज़रूरत का 85 प्रतिशत से ज़्यादा कच्चा तेल आयात करता है, जिसे रिफ़ाइनरियों में पेट्रोल और डीज़ल जैसे ईंधनों में बदल दिया जाता है। परंपरागत रूप से, मध्य पूर्व इसका मुख्य स्रोत था, लेकिन पिछले लगभग तीन वर्षों से रूस इसका मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
ट्रम्प के उद्घाटन कोष में जीवाश्म ईंधन उद्योग से 19 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि एकत्रित हुई
जीवाश्म ईंधन उद्योग ने ट्रम्प के उद्घाटन कोष में 19 मिलियन डॉलर से अधिक का दान दिया, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति के तेल उद्योग के साथ पहले से ही उजागर संबंधों को लेकर और चिंताएँ पैदा हो गईं। यह राशि उद्योग द्वारा जुटाए गए सारे दान का 8% थी। राष्ट्रपति ने अपने उद्घाटन के लिए 239 मिलियन डॉलर जुटाए, जो पिछली तीन उद्घाटन समितियों द्वारा एकत्रित राशि से भी अधिक है और पिछले रिकॉर्ड से दोगुना है।
ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी शेवरॉन ने उद्घाटन कोष में 2 मिलियन डॉलर का सर्वाधिक योगदान दिया, जिसके बाद जीवाश्म ईंधन क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में एक्सॉनमोबिल, कोनोकोफिलिप्स और ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम का स्थान रहा।
जून में चीन का कोयला आयात दो साल के निचले स्तर पर
चीन का कोयला आयात दो साल के निचले स्तर पर आ गया है क्योंकि खनिकों ने निम्न श्रेणी के कोयले के आयात की भरपाई के लिए घरेलू उत्पादन में तेज़ी ला दी है। ईटी एनर्जीवर्ल्ड की ख़बर के मुताबिक चीन का जून आयात 33.04 मिलियन टन रहा, जो फरवरी 2023 के बाद से सबसे कम और पिछले साल जून से 26% कम है। वर्ष की पहली छमाही में, आयात साल-दर-साल 11% घटकर 221.7 मिलियन टन रह गया। पूरे वर्ष के लिए आयात 50 मिलियन से 100 मिलियन टन के बीच भी गिर सकता है।