जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले सदस्य अमीर देशों में ही मतभेद

Newsletter - October 29, 2021

एक और तबाही: उत्तर भारत और केरल में हुई तबाही से मौसमी संकट के बढ़ने की आशंका लगातार सच हो रही है| Photo: Twitter

अतिवृष्टि से उत्तराखंड में तबाही, करीब 80 लोग मरे

उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में कम से कम 76 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम पांच लोग लापता हैं। कई दिनों की भारी बारिश ने राज्य में सड़कों पर पानी भर दिया और पुलों को नष्ट कर दिया था। भारी बारिश के कारण नैनीताल, राज्य के बाकी हिस्सों से कटा हुआ था। नैनीताल में 24 घंटे के भीतर बारिश 401 मिमी तक पहुंच गई, जिससे पर्यटक छतों पर फंस गए।  भूस्खलन से नैनीताल की ओर जाने वाली सड़कें अवरुद्ध हो गईं  थी । सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में नैनीताल झील बाढ़ के पानी से भरी हुई दिखाई दे रही थी । चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, और उधम सिंह नगर में भी अत्यधिक बारिश हुई। उत्तराखंड के रानीखेत और अल्मोड़ा जिले को जोड़ने वाली सड़कों पर भी भूस्खलन के कारण संपर्क टूट गया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्य मंत्री धन सिंह रावत के साथ नैनीताल जिले में बादल फटने से प्रभावित रामगढ़ का दौरा किया। सीएम धामी ने घोषणा की कि सभी डीएम को राहत कोष के रूप में 10-10 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, ताकि वे तुरंत सभी व्यवस्थाएं कर सकें। उन्होंने ये भी बताया कि मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। जिन लोगों ने अपना घर खो दिया है उन्हें 1.9 लाख रुपये दिए जाएंगे और  जिन लोगों ने अपना पशुधन खो दिया है, उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह स्थिति का जायजा लेने के लिए देहरादून पहुंचे । उन्होंने एक समीक्षा बैठक भी की, और एक हवाई सर्वेक्षण किया।

एक्स्ट्रीम हीट के मामले में 1990 के मुकाबले भारत अब 15% अधिक संकटग्रस्त: लांसेट  

स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन के अनुसार 1990 की तुलना में 2019 में भारत  पर हीट एक्सट्रीम्स का खतरा 15% अधिक था। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि भारत उन पांच देशों में से एक है जहां पिछले पांच वर्षों में हीटवेव की चपेट में आने वाली आबादी सबसे अधिक है, और यह खतरा लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 में दुनिया भर में गर्मी के संपर्क में आने के कारण 29500 करोड़ घंटे के संभावित काम का नुक़सान हुआ, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत ने सर्वाधिक घाटा (विश्व औसत का 2.5–3 गुना) रिपोर्ट किया था।

वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून अभी भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले एक हफ्ते में भारत और नेपाल में भारी बारिश के कारण अचानक आयी बाढ़ और भूस्खलन में क़रीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है। 48 मौतों के साथ उत्तराखंड सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पूरे केरल राज्य में ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। हालांकि आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 26 अक्टूबर तक देश से चला जाएगा। 

प्लास्टिक उत्पादन 10 वर्षों के भीतर कोयला संयंत्रों की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसें  उत्सर्जित कर सकता है: रिपोर्ट

एक नए अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक के उत्पादन, जो एक अत्यधिक कार्बन-गहन प्रक्रिया है, द्वारा इस दशक के भीतर कोयले से चलने वाले संयंत्रों की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होने की संभावना है। बेनिंगटन कॉलेज और बियॉन्ड प्लास्टिक की रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक उद्योग हर साल 232 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है, जो 116 कोयला संयंत्रों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है। लेकिन एक दर्जन से अधिक प्लास्टिक प्लांट निर्माणाधीन हैं और कुछ और की योजना बनायी जा रही है, जिसके कारण रिपोर्ट यह संभावना जताती है कि इनका उत्सर्जन कोयले से चलने वाले संयंत्रों के उपयोग को कम करने या समाप्त करने से होने वाले किसी भी लाभ को निष्फल कर देगा।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर की झीलों में बर्फ की मोटाई कम हो रही है: अध्ययन

हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर की झीलों का पारितंत्र खतरे में पड़ गया है। विशेष रूप से बर्फ कब जमेगी और और पानी का तापमान क्या रहेगा इस पर जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव पूरे लेक( झीलों के ) इकोसिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। मुख्य रूप से बर्फ की मोटाई कम होने के रूप में इसे देखा जा सकता है। इस अध्ययन में पांच झील मॉडलों से हिम-कास्ट और अनुमानों का प्रयोग किया गया है। अध्ययन के अनुसार बर्फ की मोटाई और झील के तापमान पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव झीलों के परितंत्र के कामकाज और उनके उपयोग को ‘गंभीर रूप से बदल देगा’। 

टकराव बरक़रार: ग्लासगो सम्मेलन से पहले दुनिया के 80% कार्बन इमीशन के लिये ज़िम्मेदार देशों के बीच प्रभावी कदमों को लेकर एक राय नहीं है। Photo: Flickr

जीवाश्म ईंधन उत्पादन के इरादे 1.5 डिग्री के वादे से मेल नहीं खाते

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से ठीक पहले यूएनडीपी और प्रमुख रिसर्च संस्थानों की रिपोर्ट में जीवाश्म ईंधन उत्पादन पर चिन्ता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन उत्पादन की ऐसी रफ्तार से नेट ज़ीरो का लक्ष्य नहीं हासिल हो सकता। रिपोर्ट यह भी चेताती है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के संकट को देखते हुये भारत के पास जीवाश्म ईंधन उत्पादन के लिये कोई नीति नहीं है। रिपोर्ट प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा तैयार की गई है और यह भारत सहित 15 प्रमुख उत्पादक देशों का प्रोफाइल बताती है। द प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट सरकार में कोयला, तेल और गैस के नियोजित उत्पादन और पेरिस समझौते की तापमान सीमाओं को पूरा करने के अनुरूप वैश्विक उत्पादन स्तरों के बीच के अंतर को देखा गया है । 

कोयला प्रयोग खत्म करने को लेकर जी-20 देश अब भी एक नहीं 

अगले हफ्ते रोम में होने वाले जी-20 सम्मेलन से पहले इस मंच के देश चरणबद्ध तरीके से कोयला प्रयोग खत्म करने के मामले में एकमत नहीं हैं। समाचार एजेंसी रायटर ने सूत्रों के हवाले यह ख़बर छापी है और कहा है कि जीवाश्म ईंधन और कोयले का प्रयोग फेज़ आउट करने में रूस, भारत और चीन अनमने हैं। 

इस बीच बीबीसी ने ख़बर दी है कि कुछ देश संयुक्त राष्ट्र पर दबाव डाल रहे हैं कि वह जीवाश्म ईंधन का प्रयोग बन्द करने के मामले में बहुत ज़ोर न दे।  यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले प्रकाशित होगी। कहा जा रहा है कि जीवाश्म ईंधन को बन्द न करने के लिये सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश दबाव बना रहे हैं।  रिपोर्ट कहती है कि अमीर देश, गरीब देशों को साफ ऊर्जा टेक्नोलॉजी के लिये अधिक पैसा देने पर सवाल उठा रहे हैं। यूएन की आंकलन जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल द्वारा हर 6-7 साल में प्रकाशित होती है। 

जलवायु जोखिमों से लड़ने में गरीब देशों की मदद के लिए आईएमएफ ने की कोष की स्थापना

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ रहे गरीब देशों के लिए अच्छी खबर है। इन प्रयासों में उनकी सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) $50 बिलियन तक की फंडिंग सुविधा स्थापित करने की प्रक्रिया में है। रेिज़िलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी ट्रस्ट का लक्ष्य है कि अमीर देशों से पैसा इकट्टठा करके उससे  गरीब देशों में वित्त का पुनर्वितरण करना होगा, जिसे नीतिगत समर्थन प्राप्त होगा। इस ट्रस्ट को पहले ही G20 देशों के वित्त मंत्रियों से समर्थन मिल चुका है। 

सीओपी-26 से पहले प्रमुख जलवायु कानून पारित करने के लिए संघर्ष कर रहा बाइडेन प्रशासन

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के जलवायु परिवर्तन से निबटने के प्रयासों को उन सीनेटरों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो जीवाश्म ईंधन के हिमायती हैं। ग्लासगो में हो रहे सीओपी26( यूएनका जलवायु परिवर्तन शिखर महासम्मेलन ) सोमवार को शुरु हो रहा है लेकिन अमेरिका को एक प्रमुख जलवायु क़ानून पारित करना बाकी है, जो निश्चित रूप से संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण बैठक से पहले उसे बैकफुट पर ले आएगा। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों पार्टियों के जीवाश्म ईंधन-समर्थक सीनेटर बाइडेन प्रशासन के प्रस्तावित अवसंरचना विधेयक और सुलह विधेयक में मौजूद जलवायु उपायों को समाप्त कर रहे हैं या कमजोर कर रहे हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि इनमें से एक विशेष उपाय जो साफ़ बिजली उत्पादन के लिए उत्पादकों को पुरस्कृत करता है, विधेयक में शामिल नहीं होगा।

संकट की दस्तक: जाड़ों से ठीक पहले उत्तर भारत में पराली जलाने और दीवाली में संभावित आतिशबाज़ी से फिर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ने का अंदेशा है। Photo: Wikimedia Commons

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण पर अध्ययन के लिये आईआईटी कानपुर से मिलाया हाथ  

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के स्रोत विभाजन और पूर्वानुमान के अध्ययन के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के साथ एक एमओयू किया है। दिल्ली कैबिनेट ने इससे पहले ‘रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट एंड फोरकास्टिंग फॉर एडवांस एयर पॉल्यूशन मैनेजमैंट इन दिल्ली’ नाम से प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी थी। इस अध्ययन से हवा में प्रदूषण भेजने वाले अलग अलग स्रोतों जैसे बिजलीघर, वाहन, कारखाने या बायोमास जलाना इत्यादि का विश्लेषण होगा। इस अध्ययन में  करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे और एयर क्वॉलिटी की जांच दैनिक, साप्ताहिक और सीज़न के हिसाब से होगी। जानकारों का कहना है कि इस विज्ञान का सही इस्तेमाल बारिश और तूफान की तरह आने वाले दिनों में होने वाले प्रदूषण का पूर्वानुमान किया जा सकता है और रोकथाम संबंधी उपाय किये जा सकते हैं।  

दिल्ली की परिवेशी वायु को मैप करने हेतु निर्णय समर्थन प्रणाली को मिली केंद्र की आधिकारिक मंजूरी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अंततः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम संस्थान, पुणे द्वारा विकसित निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) को मंजूरी दे दी। एक विशेष डीएसएस वेबसाइट भी लॉन्च की गई है जो बताती है कि दिल्ली की हवा दिल्ली और आसपास के 19 जिलों के उत्सर्जन से कैसे प्रभावित होती है। उद्योग, परिवहन, निर्माण, सड़क की धूल, बायोमास दहन, अपशिष्ट दहन और आवासीय स्रोतों से उत्सर्जन को डीएसएस पोर्टल पर एक ग्राफ पर मैप किया जाता है। इस प्रणाली के द्वारा करनाल, जींद, रोहतक, भरतपुर, पानीपत, झज्जर, भिवानी, अलवर, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और मेरठ सहित 19 जिलों के डेटा की मैपिंग की जा रही है। 

एयर फिल्टर और एंटी-स्मॉग गन: गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सुधार पर काम शुरू

देश के सबसे प्रदूषित जिलों में से एक गाजियाबाद के नगर निगम ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अभियान शुरू किया है, जिसके अंतर्गत धूल भरी सड़कों को पत्थर और पेड़ लगाकर ठीक करने तथा मौजूदा 200 पार्कों को और हरा-भरा बनाने की योजना पर काम किया जाएगा।

गाजियाबाद में प्रतिदिन ठोस कचरा उठाने के लिए ई-वाहनों का उपयोग करने की योजना के अलावा प्रदूषित न्यू बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के पास 32 एकड़ पर एक सिटी फारेस्ट बनाने के योजना भी है। हालांकि पर्यावरण के जानकारों ने 30 बड़े एयर फिल्टर, 6,000 लीटर की क्षमता वाली छह अतिरिक्त एंटी-स्मॉग गन्स, आदि को लागू करने के फैसले को बहुत सतही और दिखावटी बताया है। 

बारिश के बाद उत्तर भारत में पराली जलाने के मामले बढ़ने की आशंका, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

विश्लेषकों ने चेताया है कि उत्तर भारत में देर तक चले मानसून के कारण टली पराली जलाने की घटनाओं के आने वाले दिनों में बढ़ने की आशंका है।  उपग्रह से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि मानसून की समाप्ति में देरी के कारण पिछले कुछ वर्षों की तुलना में पराली की आग में कमी आई है, लेकिन मामले बढ़ रहे हैं और जल्द ही अलग अलग जगहों पर वायु गुणवत्ता प्रभावित होगी। ये घटनाएं पहले से ही बढ़ रही हैं।

हरियाणा के करनाल में पराली जलाने के 350 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें सरकार ने 28 किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का सुझाव दिया है और 171 किसानों पर 4.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हरियाणा में 19 अक्टूबर, 2020 तक पराली जलाने के 2,811 मामलों की तुलना में इस साल 1,082 मामले दर्ज किए गए। पराली जलाने के अलावा, कारखानों, वाहनों और अन्य स्रोतों का भी वायु प्रदूषण में योगदान है।

भारत पर दबाव: ग्लासगो सम्मेलन में भारत पर अपने 450 गीगावॉट साफ लक्ष्य को औपचारिक रूप देने का दबाव है। Photo: Flickr

साल 2030 तक साफ ऊर्जा लक्ष्य के 450 गीगावॉट की औपचारिक घोषणा होगी

ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले भारत पर दबाव है कि वह (पेरिस संधि में कहे गये राष्ट्रीय संकल्प यानी एनडीसी के तहत) कार्बन इमीशन करने के लक्ष्य को औपचारिक स्वरूप दे। सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि भारत 2030 तक साफ ऊर्जा क्षमता के 450 गीगावॉट के लक्ष्य को राष्ट्रीय संकल्पों (एनडीसी) में शामिल करेगा। उनके मुताबिक भारत को अनौपचारिक रूप से कही गई इस बात की सम्मेलन में आधिकारिक घोषणा करनी चाहिये। 

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक प्रधानमंत्री 2 नवंबर तक ग्लासगो सम्मेलन में मौजूद  रहेंगे और यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड इनीशिएटिव लॉन्च करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस (आईएसए) के मुताबिक इसकी मदद से तमाम देशों के बीच साफ ऊर्जा के ट्रांसफर में प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहयोग का तालमेल बनेगा।  कृषि, बिजली और पर्यावरण विभाग के 15 से अधिक सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल भारत की नुमाइंदगी करेगा। 

सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में कंपनियों का निवेश 190% बढ़ा 

पिछले साल के पहले 9 महीनों के मुकाबले इस साल जनवरी से लेकर सितंबर तक सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट्स में निवेश 190% बढ़ा और कुल 2280 करोड़ डॉलर की पूंजी लगी। कुल 23,600 मेगावॉट के 112 सौदों में यह निवेश किया गया है। पिछले साल इसी व    क़फे में 72 सौदों में करीब 790 करोड़ डॉलर की पूंजी लगाई गई थी। मरकॉम के मुताबिक सौर ऊर्जा के हर क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि बढ़ी है। रिपोर्ट कहती है कि तीसरी तिमाही में कुल 930 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ। इसी साल कि दूसरी तिमाही में हुये 540 करोड़ डॉलर के निवेश के मुकाबले यह  72 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। 

लंबी छलांग: अमेरिका इलैक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने पिछले दिनों एप्पल और गूगल जैसी कंपनियों के क्लब में अपनी जगह बना ली। Photo: Pixabay

टेस्ला बनी एक लाख करोड़ डॉलर की कंपनी

अमेरिकी इलैक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला अब एक लाख करोड़ डॉलर की कंपनी (मार्केट वेल्यू)  बन गई है। उसने यह मुकाम हर्ट्ज (जो कि रेंटल कार कंपनी है) से 1 लाख बैटरी वाहनों के ऑर्डर के बाद हासिल किया जो अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है। करीब 420 करोड़ डालर का यह सौदा करने के बाद अगले एक दशक में बैटरी वाहनों के बाज़ार में दबदबा कायम रखने का टेस्ला का इरादा और मज़बूत हो गया है। इस छलांग के बाद टेस्ला एप्पल, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों के क्लब में शामिल हो गई है। कंपनी के शेयर में करीब 15% का उछाल आया है और यह 1,000 डॉलर से अधिक का हो गया है। टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क का कहना है कि उन्हें भी अपनी कंपनी की तरक्की की इस रफ्तार पर भरोसा नहीं हो रहा है। 

फॉक्सकॉन की नज़रें भारत, लैटिन अमेरिका और यूरोप पर 

ताइवान की टेक दिग्गज फॉक्सकॉन (2317.TW) यूरोप, भारत और लैटिन अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बनाने पर विचार कर रही है, जिसमें ‘अप्रत्यक्ष रूप से’ जर्मन वाहन निर्माताओं के साथ सहयोग करना भी शामिल है, चेयरमैन लियू यंग-वे ने बुधवार को कहा।

फॉक्सकॉन, जिसे औपचारिक रूप से हॉन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्री कंपनी लिमिटेड कहा जाता है, वैश्विक ईवी बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना चाहती है और इसने अमेरिकन स्टार्टअप फिस्कर इंक (एफएसआर.एन) और थाईलैंड के ऊर्जा समूह पीटीटी पीसीएल (पीटीटी.बीके) के साथ सौदे किए हैं। सोमवार को तीन ईवी प्रोटोटाइप्स का अनावरण करने के बाद, ताइपे में एक व्यापार मंच पर संवाददाताओं से बात करते हुए लियू ने कहा कि प्रकटीकरण पर प्रतिबंधों के कारण वह यूरोप, भारत और लैटिन अमेरिका के लिए अपनी योजनाओं का विवरण नहीं दे सकते।

उधर फ्रेंच तेल और गैस से जुड़ी कंपनी टोटल एनर्जी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग पॉइंट के साथ-साथ लो-कार्बन हाइड्रोजन में निवेश करने पर विचार कर रही है। सेरावीक द्वारा आयोजित इंडिया एनर्जी फोरम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कंपनी के सीईओ पैट्रिक पॉयने ने कहा कि तेल और गैस में निवेश की कमी से दुनिया भर में और अधिक व्यवधान और समस्याएं पैदा होंगी।

हरियाणा करेगा अपनी बैटरी वाहन नीति की घोषणा 

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि उनकी सरकार अगले एक महीने में इलैक्ट्रिक वाहन नीति जारी करेगी। चौटाला राज्य के उद्योग और वाणिज्य मंत्री भी हैं। हरियाणा सरकार का कहना है कि वह निर्माताओं, खरीदारों और चार्जिंग स्टेशन लगाने वालों पर अपना फोकस केंद्रित कर विद्युत वाहन नीति बना रही है ताकि 2022 में उनकी अधिकतम बिक्री हो। हरियाणा उत्तर भारत के समृद्ध राज्यों में है और दिल्ली से सटे इस सूबे के कई इलाके अत्यधिक प्रदूषण की चपेट में रहते हैं। इलैक्ट्रिक वाहन किसी हद तक अति प्रदूषण वाले शहरों में हालात को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।   

चेतावनी: एल्युमिनियम कंपनियों के संगठन ने सरकार को चेताया है कि कोयले की कमी से लाखों लोगों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ सकता है। Photo: Wikimedia Commons

अक्टूबर में भारत का डीज़ल बिक्री का ग्राफ गिरा

अक्टूबर के पहले पखवाड़े में तेल (रिटेलर) कंपनियों की डीज़ल बिक्री कम होकर 24 लाख टन रह गई। यह पिछले साल के (इसी पखवाड़े की) बिक्री के मुकाबले 9.2% और 2019 की तुलना में करीब 0.9% कम रही। इंडियन ऑइल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के पास मिलाकर 90% रिटेल का बाज़ार है। भारत एशिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति है कुल रिफाइंड ईंधन की खपत में 40% गैसोलीन है जो कि औद्योगिक काम धन्धों से जुड़ी है। हालांकि डीज़ल के उलट कोविड के पहले की तुलना में गैसोलीन की सेल बढ़ गई क्योंकि लोगों ने महामारी के डर से अपने निजी वाहनों का अधिक इस्तेमाल किया। अक्टूबर में गैसोलीन की बिक्री 2019 में इसी समय के मुकाबले 8.3% अधिक थी। 

वैसे भारत में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बढ़ोतरी लगातार जारी है। दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल 105 रुपये से अधिक और डीज़ल 95 तक पहुंच गया है। वहीं मुंबई में पेट्रोल 111 रुपये प्रति लीटर  से अधिक और डीज़ल 102 को पार कर गया है। 

एल्युमिनियम कंपनियों ने नौकरियों पर संकट के बारे में चेताया, कोयले की आपूर्ति के लिये पीएमओ को लिखा

एल्युमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर मांग की है कि देश के एल्युमिनियम उत्पादकों के लिये कोयले की सप्लाई सुगम की जाये। अपने पत्र में एसोसिएशन ने कहा है कि 21 अगस्त से उन्हें ज़रूरत की तुलना में केवल 50% कोयला मिला और फिलहाल केवल 10% मिल पा रहा है और  कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित न होने से 10 लाख कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा है। एल्युमिनियम उद्योग में कोयले पर बड़ी निर्भरता है क्योंकि इसमें प्रति टन का हिसाब देखें तो स्टील उद्योग के मुकाबले 15 गुना और सीमेंट उद्योग की तुलना में 145 गुना बिजली की खपत होती है ।  

ऑस्ट्रेलिया ने नेट ज़ीरो लक्ष्य का वर्ष 2050 तय किया लेकिन जीवाश्म ईंधन बन्द नहीं होगा 

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने साल 2050 को देश का नेट ज़ीरो वर्ष तय किया है। हालांकि ग्लोबल वॉर्मिंग के लिये ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधन (कोयले, तेल और गैस वगैरह) को रोकने के लिये इसका क्या प्लान है यह नहीं बताया है। सोमवार से शुरू हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले ये घोषणा हुई है लेकिन सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में होने के कारण इसकी कड़ी आलोचना हुई है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीशन ने कहा है कि वह कार्बन इमीशन को लेकर किसी का उपदेश नहीं सुनेंगे और साल 2030 तक उनका देश इमीशन में 30-35% कमी करने जा रहा है जबकि उन्होंने पेरिस संधि के दौरान 26% इमीशन कम करने की बात कही थी। उन्होंने कोल माइनिंग कंपनियों से भी कहा है कि वह ईंधन की मांग देखते हुए अधिक प्रतिस्पर्धा करें। आने वाले दिनों में ऑस्ट्रेलिया में गैस का प्रयोग बढ़ेगा भले ही यह सौर ऊर्जा और कार्बन कैप्चर टैक्नोलॉजी में निवेश कर रहा है।