चार-धाम यात्रा मार्ग पर विशेषज्ञों में एक राय नहीं

Newsletter - July 23, 2020

चौड़ाई पर विवाद: उत्तराखंड में बन रहे 900 किलोमीटर लम्बे यात्रा मार्ग की चौड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में ही एक राय नहीं है | Photo: Hridayesh Joshi

चार-धाम यात्रा मार्ग पर विशेषज्ञों में एक राय नहीं

उत्तराखंड के चार धाम यात्रा मार्ग की चौड़ाई को लेकर  सुप्रीम कोर्ट की बनाई हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) की राय बंटी हुई है। अध्यक्ष रवि चोपड़ा समेत कमेटी के  चार सदस्यों का कहना है कि यात्रा मार्ग को भारतीय रोड कांग्रेस के इंटरमीडिएट मानकों के हिसाब से बनाना चाहिये। इंटरमीडिएट मानक के तहत सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर हो सकती है। इन सदस्यों को कहना है कि हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुये सड़की की अधिक चौड़ाई के लिये अनावश्यक छेड़छाड़ करनी पड़ेगी जो सही नहीं है।

उधर समिति का बहुमत डबल लेन (पेव्ड शोल्डर) मानक के तहत सड़क बनाने के पक्ष में है जिसमें 12 मीटर तक चौड़ाई हो सकती है। यह अहम है कि 900 मीटर लम्बे इस यात्रा मार्ग के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से में चौड़ी सड़क के लिये जंगल और पहाड़ काटे जा चुके हैं जिससे यह सवाल उठता है कि समिति की राय का कितना महत्व है। चारधाम यात्रा मार्ग में सड़क चौड़ीकरण के लिये 12,000 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिय प्रोजक्ट कहा जाता है।

वैसे रिपोर्ट के एक अध्याय को छोड़कर बाकी सभी अध्यायों में समिति के सभी सदस्य कमो-बेश एकमत हैं लेकिन चौड़ाई पर दो राय होने के कारण अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास दो रिपोर्ट भेजी गई हैं। एक रिपोर्ट अध्यक्ष रवि चोपड़ा और उनके तीन सहमत समिति सदस्यों की और दूसरी बहुमत वाली।

कमेटी के दोनों धड़े मानते हैं कि चारधाम मार्ग बेहद संवेदनशील है लेकिन बहुमत वाले जानकारों का समूह मिटिगेशन पर ज़ोर दे रहा है। यानी सड़क चौड़ी भी बने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव से निपटने के लिये पर्याप्त कदम भी उठाये जायें। जबकि अल्पमत के सदस्य कहते हैं कि इन पहाड़ी का भू-विज्ञान और ज्यामिति (टोपोग्राफी) ऐसी नहीं है जहां अधिक तोड़फोड़ की जाये। अपनी रिपोर्ट में अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने कहा है कि यह संवेदनशील मामला है और सुप्रीम कोर्ट ही इस पर कोई फैसला करे । चोपड़ा ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मार्च 2018 में जारी उस सर्कुलर का हवाला दिया है जो कहता है कि पहाड़ पर इंटरमीडिएट मानक से ही सड़क बने। हालांकि 24 जून को केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण देकर कहा कि वह सर्कुलर चारधाम यात्रामार्ग पर लागू नहीं होता।


क्लाइमेट साइंस

बाढ़ से तहस नहस: भारत के पूरब और उत्तरी हिस्से में बाढ़ का कहर जारी है। असम में इस साल 55 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं | Photo: Firstpost

दक्षिण-पूर्व एशिया: बाढ़ से लाखों हुये बेघर

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश में बाढ़ का प्रकोप जारी है। असम में ही कुल 27 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुये हैं और करीब 80 लोगों की जान चली गई है। हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ ने वन्य जीवन को भी तबाह कर दिया है और कम से कम 8 राइनो ( गैंडा) मारे गये हैं। पिछले दो महीनों में तीसरी बार असम का सामना बाढ़ से हो रहा है और करीब 55 लाख लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं। नेपाल में बाढ़ से 40 लाख लोग विस्थापित हुये हैं तो बांग्लादेश में हालात गंभीर बने हुये हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि आने वाले दिनों में आधे से अधिक देश के कारण प्रभावित होगा।

ग्लोबल वॉर्मिंग: दुनिया 1.5 डिग्री की ओर

विश्व मौसम विभाग के मुताबिक इस बात की 24% संभावना है अगले 5 सालों में से एक साल ऐसा होगा जिसमें धरती का तापमान वृद्धि प्री-इडस्ट्रियल लेविल (औद्योगिक क्रांति से पहले का वक्त) से 1.5 डिग्री अधिक होगा।  हालात खराब हो रहे हैं और धीरे-धीरे हम पेरिस संधि में तय की गई सीमा के करीब पहुंच रहे हैं। इस साल जून में धरती की सतह पर हवा का तापमान 1981-2010 के बीच जून के औसत तापमान से 0.53 डिग्री अधिक था। साइबेरिया में यह तापमान वृद्धि सबसे अधिक आंकी गई।

तेल-गैस ड्रिलिंग से बढ़ रहा दुनिया का मीथेन उत्सर्जन

दो ताज़ा अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया भर में तेज़ी से बढ़ रहे मीथेन गैस स्तर के लिये तेल और गैस की ड्रिलिंग ज़िम्मेदार है। इसके साथ ही विश्व भर में कृषि क्षेत्र भी मीथेन इमीशन का कारण है। साल 2000 तक मीथेन उत्सर्जन के लिये कोयला खनन को ज़िम्मेदार माना जाता था। अर्थ सिस्टम साइंस डाटा और इन्वायरेंमेंटल रिसर्च लेटर नाम के पत्रों में छपी रिसर्च से यह बात सामने आई है। इसमें ग्राउंड और सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के अलावा उत्पादन और खपत के रुझानों का विश्लेषण किया गया। पूरी दुनिया में केवल यूरोप ही ऐसी जगह है जहां मीथेन का स्तर गिरा है।


क्लाइमेट नीति

खट्टी मीठी: जानकार कहते हैं कि EU का आर्थिक पैकेज थोड़ी उम्मीद जगाने वाला तो थोड़ा निराश करने वाला है | Photo: CNN

EU के 75000 करोड़ यूरो के रिकवरी प्लान में क्लाइमेट से जुड़ी शर्त

यूरोपियन यूनियन ने अगले 7 साल में कोरोना से लड़ने के लिये एक आर्थिक रिकवरी प्लान बनाया है। इसमें 2027 तक कुल 75,000 करोड़ यूरो खर्च किये जायेंगे ताकि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटे। इस पैकेज को मिलाकर कुल 1.62 लाख करोड़ यूरो खर्च होंगे लेकिन शर्त यह है कि 25% रकम ऐसी होगी जो क्लाइमेट के कार्यक्रमों में खर्च हो। जहां एक ओर मोटे तौर पर इस कदम को क्लाइमेट की लड़ाई के हित में देखा जा रहा है लेकिन जानकार कहते हैं कि फाइन प्रिंट में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की अनदेखी की गई है।

EIA नियमों को क्षेत्रीय भाषा में प्रकाशित करे सरकार: कर्नाटक हाइकोर्ट

अदालत का एक फैसला पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिये बड़ी जीत कहा जा रहा है। कर्नाटक हाइकोर्ट ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) के ताज़ा ड्राफ्ट को क्षेत्रीय भाषाओं में नहीं छापा और प्रभावित होने वाले समूहों को इस पर अपनी राय देने के लिये पर्याप्त समय नहीं दिया तो कोर्ट प्रस्तावित क़ानून पर रोक लगाने पर विचार कर सकता है। कोर्ट ने यह चेतावनी एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई में दी। इस बीच मोदी सरकार ने उस वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया जिसने 2020 के ड्राफ्ट EIA नोटिफिकेशन की आलोचना की।

विश्व आर्थिक पैकजों में नहीं हो रही जलवायु परिवर्तन की परवाह: शोध

अध्ययन बताते हैं कि तमाम दबाव के बावजूद दुनिया भर की सरकारों ने अपने आर्थिक रिकवरी पैकेज में क्लाइमेट चेंज जैसे विषय को नज़रअंदाज़ किया है और व्यापार को ही तरजीह दी है। ऊर्जा नीति पर नज़र रखने वाले एक डाटाबेस ने बताया है कि जी-20 समूह के देशों ने जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, गैस) पर आधारित और उसे बढ़ावा देने वाले सेक्टरों को $15100 करोड़ की मदद की है जबकि साफ ऊर्जा सेक्टर को केवल $8900 करोड़ दिये हैं। एक अन्य शोध में (विवड इकोनोमिक्स) पाया गया है कि 17 बड़े देशों के रिकवरी पैकेज में $ 3.5 लाख करोड़ उन सेक्टरों को दिये जा रहे हैं जिनके कामकाज से पर्यावरण पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है। उधर ब्लूमबर्ग न्यू एनर्ज़ी के मुताबिक यूरोप अपनी जीडीपी का 0.31% ग्रीन एनर्ज़ी पर लगा रहा है जबकि उत्तरी अमेरिका और एशिया के देश जीडीपी का 0.01% ही इस मद में खर्च कर रहे हैं।

जीवाश्म ईंधन की शब्दावली बदलना चाहता है सऊदी अरब

इस साल जी-20 देशों सम्मेलन का मेजबान सऊदी अरब चाहता है कि एक्सपर्ट ब्रीफिंग से ‘जीवाश्म ईंधन सब्सिडी’ शब्द समूह को इस्तेमाल न किया जाये और इसे ‘जीवाश्म ईंधन इन्सेन्टिव’ कहा जाये। महत्वपूर्ण है कि जी-20 देशों ने 2009 में ही जीवाश्म ईंधन को खत्म करने का इरादा किया था उसके बावजूद सऊदी अरब ने इस बदलाव के लिये प्रस्ताव किया है।


वायु प्रदूषण

प्रदूषण बढ़ेगा! सुप्रीम कोर्ट ने बिजली घरों से निकलने वाले NOx के मानकों में ढील देने की अनुमति सरकार को दे दी है | Photo: India Environment Portal

सरकार ने कोयला बिजलीघरों के प्रदूषण मानकों को ढीला किया

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह अनुमति दे दी है कि वह 2003 से 2016 के बीच बने सभी कोयला बिजलीघरों को उत्सर्जन मानकों में ढील दे सके। ये प्लांट अब 450 मिलीग्राम प्रति नॉर्मल क्यूबिक मीटर NOx (नाइट्रोजन के ऑक्साइड) उत्सर्जित कर सकेंगे। पहले से तय मानक 300 मिलीग्राम है। जानकार कहते हैं कि प्रदूषण करने वाले सेक्टर पर लगाम लगाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि सभी उद्योगों से निकलने वाले कुल पार्टिकुलेट मैटर का 60% इमीशन पावर सेक्टर से ही है। इसमें 45% SO2 और 35% NOx इमीशन के लिये पावर सेक्टर ज़िम्मेदार हैं।   सरकार की दलील है कि बिजलीघरों के लिये अलग-अलग पावर लोड पर ऑपरेट करते हुए 300 मिलीग्राम से कम उत्सर्जन करना मुमकिन नहीं है।

कार्बन टैक्स का असर, CO2 इमीशन में 2% गिरावट

“अब तक की सबसे बड़ी स्टडी” होने का दावा करने वाले शोध में कहा गया है कि उद्योगों पर कार्बन टैक्स लगाने का असर इमीशन गिरने के रूप में दिखा है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि जिन देशों में 2007 में कार्बन टैक्स लगाया गया वहां 2007 से 2017 के बीच औसत CO2 इमीशन में  2% गिरावट दर्ज की गई जबकि दूसरे देशों में यह सालाना 3% की दर से बढ़ा। इस अध्ययन में 142 देशों के 20 साल के डाटा का विश्लेषण किया गया। इनमें से 42 देशों में अध्ययन खत्म होते होते किसी न किसी प्रकार का कार्बन टैक्स था।

NGT ने UP के उच्च अधिकारी को ईंट भट्टों के मामले में फटकारा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसके तहत ईंट भट्टों को दिल्ली-एनसीआर में चलाने की अनुमति दी गई थी। हरित अदालत ने तब तक एनसीआर में ईंट भट्टों के चलने पर रोक लगाई थी जब तक केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड  इसने निकलने वाली गंदगी के पर्यावरणीय प्रभाव पर रिपोर्ट न जमा कर दे। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट 6 जुलाई को जमा की लेकिन यूपी के मुख्य सचिव ने 29 मार्च को ही भट्टे चलाने का आदेश दिया था। प्रदूषण बोर्ड ने एनसीआर के हाल को देखते हुये अपनी रिपोर्ट में कहा है सर्दियों (अक्टूबर-फरवरी) में ईंट भट्टों पर रोक लगाने की सिफारिश की है और कहा है कि केवल मार्च से जून के बीच ही एहतियात के साथ सीमित संख्या में भट्टे चलाये जायें।


साफ ऊर्जा 

राहत की मांग: भारत के सोलर उपकरण निर्माताओं ने सेफगार्ड ड्यूटी को 4 साल बढ़ाने के लिये कहा है ताकि वह चीन, विएतनाम और थाइलैंड से हो रहे आयात का मुकाबला कर सकें | Photo: Caixin Global

सरकार ने सोलर उपकरणों पर सेफगार्ड ड्यूटी 1 साल के लिये बढ़ाई

सरकार चीन, वियेतनाम और थाइलैंड से आयात होने वाले सोलर उपकरणों पर सेफगार्ड ड्यूटी को एक साल बढ़ा रही है। कुल 15% सेफगार्ड ड्यूटी का मकसद घरेलू उत्पादन को दुरस्त करना है। पीवी मैग्ज़ीन के मुताबिक उत्पादक चाहते हैं कि सरकार अगले चार साल के लिये इस फैसले को लागू करे। असल में सरकार की अपनी स्टडी से यह पता चलता है कि इस सेफगार्ड ड्यूटी के बावजूद घरेलू निर्माता चीन के उत्पादों से टक्कर नहीं ले पा रहे हैं। साल 2016-17 और 2017-18 के बीच सोलर सेल और सोलर मॉड्यूल 6.37 गीगावॉट से 9.79  गीगावॉट हो गया। सरकार ने सोलर मॉड्यूल के आयात पर 20-25%  बेसिक कस्टम ड्यूटी का प्रस्ताव रखा है जिसे धीरे धीरे 40% तक बढ़ाया जायेगा।

महामारी से टक्कर! कंपनी ने वेतन बढ़ाये, सोलर प्रोजेक्ट बढ़ाने का इरादा

महामारी के बावजूद साफ ऊर्जा क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिन्यू पावर साल 2025 तक 40 से 50 हज़ार करोड़ का निवेश करेगी। इससे कंपनी 2000 मेगावॉट का सोलर सेल और मॉड्यूल बनाने की यूनिट लगायेगी।  जानकार कहते हैं कि कंपनियों साफ ऊर्जा की ताकत को समझ रही हैं। गौतम अडानी 25,000 मेगावॉट क्षमता के साथ इस क्षेत्र में बड़ी ग्लोबल पावर बनने की दिशा में है। रिन्यू पावर का कहना है कि पूरे लॉकडाउन के दौरान साफ ऊर्जा सप्लाई जारी रखने के कारण ही वह अभी अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की स्थिति में है।

राजस्थान ने बढ़ाये सोलर के लक्ष्य, तमिलनाडु ने नये एमओयू पर दस्तख़त किये

राजस्थान सरकार सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से 1,070 मेगावॉट से ज्यादा ग्रिड-कनेक्टेड फोटो वोल्टिक एनर्जी लेने के लिये तैयार है। राज्य का लक्ष्य है कि 2023-24  आने तक उसकी ज़रूरत का 21%  सोलर से पूरा होने लगे। इससे राज्य का बिजली पर होने वाला खर्च घटेगा। उधर तमिलनाडु सरकार ने अलग अलग कंपनियों के साथ 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के एमओयू साइन किये हैं। माना जा रहा है कि इससे क्लान एनर्जी सेक्टर में 13,500 से अधिक नौकरियां मिलेंगी। कर्नाटक के तुमाकुरा स्मार्ट सिटी ने सरकारी भवनों पर 1.2 मेगावॉट के रूफ टॉप सोलर प्रोजेक्ट के लिये टेंडर जारी किया है।


बैटरी वाहन 

बस चार्जिंग का खर्च: जर्मनी में बैटरी कारों पर डबल सब्सिडी के बाद अब ग्राहक के जिम्मे सिर्फ कार को चार्ज कराने का खर्च है | Photo: ecomento.de

जर्मनी: रेनो जो मुफ्त में ले जाइये

जर्मनी ने बैटरी वाहनों पर सब्सिडी दुगनी कर दी है। कुछ बैटरी वाहन इतने सस्ते हो गये हैं कि ऑटोहस कोनिग जैसे डीलर रेनो जो इलैक्ट्रिक कार की फ्री लीज़ का ऑफर दे रहे हैं। पहल ये कार दो साल के लिये 125 यूरो प्रति महीने में मिल रही थी लेकिन अब नये नियमों के हिसाब से कार की 3000 यूरो की डाउन पेमेंट पर्यावरण सब्सिडी के तहत कवर है और दो साल का 125 यूरो प्रति महीने का खर्च नये “इनोवेटिव बोनस” सब्सिडी के तहत कवर है। यानी अब कार मालिक होना किसी सेल फोन के खर्च का भुगतान करने से सस्ता हो गया है। अभी डीलरों के पास इस स्कीम के जानकारी के लिये फोन काल्स की बाढ़ आ गई है।

लीथियम आयन बैटरी: बर्कले लेब का बड़ा दावा

अमेरिका स्थित बर्कले नेशनल लेब ने लीथियम आयन बैटरियों में डेन्ड्राइट की समस्या पर काबू पाने का दावा किया है। डेन्ड्राइट लीथियम आयन बैटरियों में पैदा होने वाली ठोस संरचनायें हैं जो बैटरी को नुकसान पहुंचाती हैं। अगर यह प्रयोग कामयाब हुआ तो यह काफी प्रभावी और टिकाऊ बना सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मध्यम दूरी तरह जाने वाले एयरक्राफ्ट भी इन बैटरियों से चल सकेंगे।

अमरीकी नेता लुभाने के लिये कर रहे हैं बैटरी वाहनों के वादे

अमरीका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन औऱ न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रू कोमो अमरीकी वोटरों के लिये बैटरी कारों से जुड़ी बड़ी योजनाओं का ऐलान कर दिया है। बिडेन ने बैटरी कार और ट्रक के ग्राहकों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन (इन्सेंटिव) की बात कही है लेकिन शर्त रखी है कि वाहन अमेरिका में बना होना चाहिये। ये टेस्ला जैसी कंपनियों के लिये बड़ी ख़बर है जबकि उससे होड़ करने वाली ह्युन्दाई और किया जैसी कंपनियों को फायदा नहीं मिलेगा। उधर न्यूयॉर्क के गवर्नर बैटरी वाहनों को बढ़ावा देने के लिये “ईवी मेक रेडी प्रोग्राम” की मदद से 2050 तक राज्य का कार्बन उत्सर्जन 85% घटाने की बात कही है।


जीवाश्म ईंधन

तेल का बिगड़ा खेल: धराशायी तेल बाज़ार के कारण सऊदी अरब की जानी मानी कंपनी से होने जा रही रिलायंस इंडस्ट्रीज की डील फिलहाल अटक गई है | Photo: Business Standard

तेल की घटती मांग से अंबानी की डील पर फिरा पानी

रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने रिफायनरी बिजनेस का 20% सऊदी कंपनी अराम्को को बेचना चाहती थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण ठंडे हुये तेल बाज़ार ने इस डील पर पानी फेर दिया है। मुकेश अंबानी अपने व्यापार के 20% के लिये 7500 करोड़ अमेरिकी डालर मांग रहे थे लेकिन नये हालात में अराम्को ने कहा है कि वह पुर्नमूल्यांकन चाहती है।  इस सौदे की घोषणा पिछले साल हुई थी जिसमें गुजरात के जामनगर में रिलायंस की रिफायनरी के साथ फ्यूल रिटेलिंग बिजनेस का हिस्सा बिकना था।

बड़ी तेल कंपनियों ने चतुराई से बनाया कार्बन इमीशन घटाने का लक्ष्य

दुनिया की बड़ी तेल और गैस ड्रिलिंग कंपनियों ने संयुक्त रूप से अपनी कार्बन तीव्रता घटाने का लक्ष्य जारी किया है।  लक्ष्य के मुताबिक कंपनियों की तीव्रता में साल 2025 तक प्रति बैरल 20-25 किलो CO2 के बराबर होगी।   साल 2017 में कार्बन तीव्रता करीब 23 किलो CO2 के बराबर थी। महत्वपूर्ण है कि कार्बन तीव्रता में कमी का मतलब कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं है। कंपनियों के कुल कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि तेल और गैस सेक्टर में लगातार विस्तार हो रहा है।

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.