गरीबों से सात गुना है अमीरों का कार्बन फुट प्रिंट

क्लाइमेट साइंस

Newsletter - January 29, 2021

अमीर की सज़ा ग़रीबों को: भारत में समृद्ध लोग गरीबों के मुकाबले 7 गुना अधिक इमीशन कर रहे हैं | Photo: Johnny Miller/Unequal Spaces

भारत के अमीरों का उत्सर्जन ग़रीबों से 7 गुना अधिक

भारत के सबसे अधिक खर्च करने वाले 20% लोग, देश के 140 रुपये से कम में गुज़ारा करने वाले गरीबों के मुकाबले 7 गुना अधिक इमीशन के लिये ज़िम्मेदार हैं।  यह बात जापान स्थित रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमैनिटी एंड नेचर के एक शोध में सामने आयी है। भारतीयों का औसत कार्बन फुट प्रिंट 0.56 टन प्रति वर्ष है लेकिन जहां गरीबों के लिये यह आंकड़ा 0.19 टन है वहीं अमीरों के लिये 1.32 टन है। भारत इमीशन के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। देश का सालाना इमीशन 246 करोड़ टन है जो दुनिया के कुल इमीशन का 6.8% है। हालांकि भारत का प्रति व्यक्ति इमीशन 1.84 टन ही है जबकि अमेरिका का 16.21 टन है।

बेहतर पूर्वानुमान के लिये मौसम विभाग अपनायेगा नई तकनीक

मॉनसून के बेहतर पूर्वानुमान के लिये मौसम विभाग इस साल पहली बार एक मल्टी मॉडल असेम्बल फोरकास्ट तकनीक इस्तेमाल करेगा। मौसम विभाग सिंचाई के लिये पूरी तरह बारिश पर निर्भर इलाकों के लिये अलग से विशेष पूर्वानुमान जारी करेगा। साल 2020 में बारिश के पूर्वानुमान सही न होने के बाद अब मौसम विभाग ने यह नई तकनीक का प्रयोग करने का फैसला किया है जिसमें कई मॉडलों के मिश्रण से एक पूर्वानुमान दिया जाता है जिसके अधिक सटीक होने की संभावना है।

पेड़ काटने और खनन के कारण आयी इंडोनेशिया में बाढ़?

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इंडोनेशिया के दक्षिण बोर्नियो क्षेत्र में हाल में आयी बाढ़ का रिश्ता पाम ऑयल ट्री प्लांटेशन के लिये बड़े स्तर पर पेड़ों के कटान और कोयला खनन है। जनवरी के पहले हफ्ते में आई बाढ़ से 1 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था और कम से कम 21 लोग मारे गये थे। इंडोनेशिया अंतरिक्ष एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 साल में बरीतो नदी के आसपास लंदन के क्षेत्रफल के दुगने आकार में फैले वृक्ष काट डाले गये हैं। ग्रीनपीस के द्वारा किये एक दूसरे विश्लेषण में इसी प्रान्त की मलूका नदी के जलागम क्षेत्र में खनन के लिये बड़े स्तर पर पेड़ काटे गये हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर वृक्ष कटने से इस क्षेत्र में जंगलों के पानी को सोखने और बाढ़ रोकने की क्षमता पर बड़ा असर पड़ा।


क्लाइमेट नीति

क्लाइमेट को प्राथमिकता: बाइडेन ने क्लाइमेट को अपनी प्राथमिकता बनाया है और कहा है कि वह नई नौकरियों के अवसर औऱ वैज्ञानिक शुचिता को स्थापित करेंगे | Photo: AP

अमरीका: बाइडन ने क्लाइमेट को प्राथमिकता दी

अमरीका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस संभालते ही क्लाइमेट को टॉप एजेंडा में लाने में देर नहीं लगायी। अपने कार्यकाल के पहले ही दिन बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान लागू किये गये 100 से अधिक पर्यावरण नियमों को रद्द किया। बाइडेन अमेरिका को पेरिस डील से दोबारा जोड़ रहे हैं जिसमें करीब 30 दिन का वक्त लगेगा।  बाइडेन ने बुधवार को कहा कि वह ग्रीन एजेंडा के तहत अधिक नौकरियों के अवसर पैदा करने के साथ वैज्ञानिक शुचिता को स्थापित करेंगे।

बाइडेन के महत्वपूर्ण फैसलों में उत्तरी कनाडा से विवादित की-स्टोन एक्स एल तेल पाइपलाइन को मिली मंज़ूरी को रद्द करना शामिल है।  इस बीच अमेरिका के नये विदेश मंत्री एन्थनी ब्लिन्केन ने कहा है जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मिलकर काम करने के लिये भारत और अमेरिका में सामर्थ्य और संभावनायें हैं।

बैंक ऑफ फ्रांस ने कोयले पर कटौती का इरादा जताया

फ्रांस का सेंट्रल बैंक कोयले रिश्ता कम करने की कोशिश में है। बैंक ऑफ फ्रांस ने उन कंपनियों से अपना निवेश वापस लेने का इरादा जताया है जिनके कुल टर्नओवर में कोयले का हिस्सा इस साल 2% से अधिक रहा। बैंक की नीति के तहत कोई कंपनी अपने व्यापार में कोयले का हिस्सा 20% से अधिक नहीं रख सकती। हालांकि निवेश के नये नियम सेंट्रल बैंक के 3,000 करोड़ के पोर्टफोलियो पर ही लागू होंगे इसकी मौद्रिक नीति ऑपरेशन पर नहीं। बैंक ने यह भी कहा है कि शेल गैस और दूसरे हाइड्रोकार्बन से भी किनारा करने की दिशा में बढ़ेगा और आर्कटिक  में तेल निकालने वाले प्रोजेक्ट्स को पैसा नहीं देगा।

ग्रीन पॉलिसी पर भारत ने डेनमार्क से मिलाया हाथ

भारत और डेनमार्क ने ग्रीन पॉलिसी के लिये एक साझा रणनीति बनाने का फैसला किया है। इसके तरह डेनमार्क भारत को साफ ऊर्जा के ज़रिये अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के तरीकों में मदद करेगा। दोनों देश अपने मंत्रालयों, संस्थानों और भागीदारों के ज़रिये आर्थिक रिश्तों को मज़बूत करने और क्लाइमेट लक्ष्य हासिल करने की कोशिश करेंगे। पर्यावरण और साफ ऊर्जा के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग किया जायेगा।

यूरोपियन यूनियन(ईयू): कोयले और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी खत्म करने की मांग

अपनी यूरोपियन ग्रीन डीलपॉलिसी के तहत ईयू ने पूरी दुनिया में कोयले और जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी खत्म करने की मांग की है। यूरोप के विदेश मंत्रियों ने गरीब देशों में सभी नये कोयला इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को वित्तीय बन्द करने की मांग की है। इस डील के तहत क्लाइमेट फाइनेंस भी बढ़ाने की मांग की गई खासतौर से अफ्रीकी देशों में। महत्वपूर्ण है कि यूरोप अभी भी काफी हद तक कोयले पर निर्भर है लेकिन उसका इरादा 2050 तक नेट ज़ीरो इमीशन का स्तर हासिल करने का है।


वायु प्रदूषण

गैस पर ज़ोर: जानकार मांग कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिये दिल्ली के आसपास के ज़िलों में कोयला खपत घटानी होगी और गैस को जीएसटी में लाना होगा | Photo: DNA India

बजट में सरकार से साफ ईंधन को प्रोत्साहन की मांग

दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरेन्मेंट (सीएसई) ने बजट से ठीक पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिखकर मांग की है कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये उद्योगों को सस्ती बिजली दी जाये और नेचुरल गैस को जीएसटी के भीतर लाया जाये। सीएसई का कहना है कि कोयला के उलट अभी गैस जीएसटी में नहीं आता इसलिये उस पर टैक्स काफी भारी हो जाता है। सीएसई ने गैस को  जीएसटी की 5% सीमा के तहत लाने की मांग की है ताकि प्रदूषण फैलाने वाले कोयले की खपत घट सके।

सीएसई ने एक रिसर्च से यह आंकड़े दिये हैं कि दिल्ली के आसपास के 7 ज़िलों गाज़ियाबाद, भिवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद, अलवर और गुरुग्राम में औद्योगिक इकाइयां कोयले का जमकर इस्तेमाल कर रही है। इन ज़िलों में उद्योग हर साल कुल 14 लाख टन से अधिक कोयला  जला रहे हैं जबकि नेचुरल गैस की खपत सिर्फ 2.2 लाख टन ही इस्तेमाल हो रही है। सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण  के मुताबिक “नेचुरल गैस पर अभी भारी टैक्स लगता है। इसे खरीदने और बेचने दोनों ही वक्त टैक्स देना पड़ता है यानी प्रोडक्ट के अंतिम मूल्य पर टैक्स 18% तक हो सकता है। कोयले के विपरीत गैस अभी जीएसटी में शामिल नहीं है इसलिये इसे 5% जीएसटी स्लैब (18% वैट व अन्य टैक्स के बजाय) में शामिल किये जाने की ज़रूरत है।”

मुंबई: वायु प्रदूषण पर काबू के लिये गोल्ड प्रोसेसिंग यूनिटों की चिमनी गिरायी

मुंबई के कल्बादेवी क्षेत्र बनी 2,500 में 40 गोल्ड प्रोसेसिंग यूनिटों की चिमनी प्रशासन ने गिरा दी। ये यूनिट यहां किराये पर बिना किसी अनुमति के चल रही थीं। इन छोटे कारखानों में एसिड से गोल्ड की प्रोसेसिंग और सफाई की जाती है जिससे ज़हरीला धुंआं निकलता है।  अभी चल रहा अभियान चिमनियों से निकल रहे इस धुंएं पर काबू पाने की कोशिश है।  पिछले साल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बात को माना था कि गोल्ड प्रोसेसिंग यूनिट प्रदूषण कर रही हैं और यह अनिवार्य कर दिया था कि सभी यूनिट्स को पानी और वायु प्रदूषण से सम्बन्धित अनुमति लेनी होंगी। बोर्ड  का कहना था कि ये यूनिट लेड ऑक्साइड और नाइट्रस फ्यूम छोड़ रही हैं।

अमरीका: वायु प्रदूषण कानून तोड़ने के लिये टोयोटा पर $18 करोड़ का जुर्माना

अमरीका का क्लीन एयर एक्ट तोड़ने के लिये ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा को 18 करोड़ डॉलर (करीब 1350 करोड़ रुपये) का जुर्माना भरना होगा। यह अमेरिका में उत्सर्जन नियमों का पालन न करने के लिये लगायी गयी सबसे बड़ी सिविल पेनल्टी है और टोयोटा इस जुर्माने के खिलाफ अदालत में अपील नहीं कर रही है। साल 2005 से लेकर 2015 तक टोयोटा ने उस खराबी के बारे में नहीं बताया जिसकी वजह से उसकी कारें टेल पाइप इमीशन पर ठीक से नियंत्रण नहीं कर पायी। मैनहेटन में दायर शिकायत में कहा गया कि इससे जन स्वास्थ्य की सुरक्षा कि लिये तय मानकों का उल्लंघन हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक जापान में टोयोटा के प्रबन्धकों और स्टाफ को इस बारे में पता था लेकिन इसे नहीं रोका गया और कंपनी ने लाखों गाड़ियां बेचीं।


साफ ऊर्जा 

बदलेगा नेट मीटरिंग सिस्टम: सौर ऊर्जा के गिरते दामों के बाद अब पंजाब रूफ टॉप से सप्लाई होने वाली नेट मीटरिंग के नियमों में बदलाव कर सकता है | Photo: Mercom India

भारत और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के बीच समझौता

भारत और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और स्थायित्व के लिये एक समझौते पर दस्तखत किये हैं। बिजली मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस पार्टनरशिप से जानकारी का वृहद आदान-प्रदान होगा और आईईए के पूर्ण सदस्य बनने की दिशा में भारत का यह महत्वपूर्ण कदम है। इससे समझौते के तहत भारत और आईईए मिलकर क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन प्रोग्राम पर भी काम करेंगे। इसमें एनर्जी सिक्योरिटी, साफ ऊर्जा और उसकी सतत सप्लाई के साथ गैस आधारित अर्थव्यवस्था के फैलाव पर काम होगा।

पंजाब बदलेगा नेट मीटरिंग के नियम

पंजाब बिजली नियामक आयोग (PSERC) उन नेट मीटरिंग नियमों को बदल सकता है जो 2015 में बनाये गये थे। यह बदलाव पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन की याचिका के बाद किये जा रहे हैं जिसमें कहा गया था कि 2015 के नियम रूफ टॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये बनाये गये थे लेकिन अब सोलर जेनरेशन की कीमत काफी नीचे आ गई है और इसकी कीमत रु 2.60 प्रति यूनिट तक हो गई है। इसलिये मौजूदा रूफटॉप मीटरिंग नियमों के तहत रूफटॉप सोलर से बिजली लेने के बजाय अब सीधे बाज़ार से बिजली लेकर उपभोक्ताओं को देना अधिक मुफीदकर है। 

नेट मीटरिंग वह तरीका है जिसके ज़रिये घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ता बिजली पैदा कर सरप्लस पावर को ग्रिड को बेच सकते हैं। पश्चिम बंगाल ने रूफ टॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये घरेलू उपभोक्ताओं को एक किलोवॉट और उससे अधिक के लिये नेट मीटरिंग की अनुमति दे दी है। अभी तक वहां सिर्फ कमर्शियल और सहकारी संस्थानों को 5 किलोवॉट से अधिक के लिये नेट मीटरिंग की अनुमति थी।

ग्लोबल ग्रीन बॉन्ड ने 2020 में बनाया रिकॉर्ड

ताज़ा रिसर्च बताती है कि पिछले साल $ 26,950 करोड़ के बराबर ग्लोबल ग्रीन बॉन्ड जारी किये गये जो कि एक रिकॉर्ड है। इस साल इसके $ 40-45 हज़ार करोड़ हो जाने की संभावना है। ग्रीन बॉन्ड साफ ऊर्जा और लो-कार्बन ट्रांसपोर्ट जैसे क्लाइमेट प्रोजेक्ट्स के लिये पैसा जुटाने के लिये जारी किये जाते हैं।  कोरोना महामारी के कारण पिछले साल की दूसरी तिमाही में ग्रीन बॉन्ड जारी होने का ग्राफ गिरा लेकिन तीसरी तिमाही में इसमें फिर तेज़ी आई।

चीन ने 2020 में नई रिन्यूएबिल क्षमता को दुगना किया, थर्मल प्लांट भी बनाये

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में चीन ने सौर और पवन ऊर्जा के नये संयंत्रों की क्षमता 2019 के मुकाबले  दुगनी कर ली। चीन दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक है। उसने 2020 में 71.67 गीगावॉट बिजली क्षमता जोड़ी जो 2019 में लगाये संयंत्रों की क्षमता के मुकाबले तिगुना है। इसी तरह उसने पिछले साल 48.2 गीगावॉट सौर ऊर्जा के पैनल लगाये और 40 गीगावॉट के अनुमान को पीछे छोड़ दिया। चीन ने यह भी कहा है कि उसने नये ताप बिजलीघर बनाना जारी रखा है। साल 2020 में उसने 56.37 गीगावॉट के थर्मल प्लांट लगाये जो 2015 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।

बैटरी वाहन 

बस पांच मिनट: इस्राइली कंपनी स्टोरडॉट का प्रयोग अगर व्यवहार में सफल रहा तो यह बैटरी वाहनों की दुनिया में नई क्रांति होगी | Photo: Nocamels.com

इस्राइली फर्म ने लॉन्च की 5-मिनट रिचार्ज टेक्नोलॉजी

इस्राइली कंपनी स्टोरडॉट ने लीथियम-ऑयन ईवी बैटरी की पहली खेप जारी की है । दावा है कि यह बैटरी 5-मिनट में पूरा चार्ज हो सकती है। प्रौद्योगिकी की दृष्टि से फर्म की एक्सट्रीम फास्ट चार्जिंग (XFC) टेक्नोलॉजी एक बड़ी उपलब्धि है। इसके लिये परम्परागत ग्रेफाइट-आधारित एनोड की जगह सेमी कन्डक्टर नेनो पार्टिकल का इस्तेमाल किया गया है। स्टोरडॉट ने ऐलान किया है कि इसकी बैटरियां सिलिकॉन का जमकर इस्तेमाल करेंगी जो कि ग्रेफाइट से कहीं अधिक सस्ता विकल्प है।

हालांकि यह फर्म उपभोक्ताओं को इस चिन्ता से मुक्त कराने का दावा करती है कि कार एक बार चार्जिंग के बाद  कितना चलेगी, लेकिन बैटरी के चार्जिंग की असल रफ्तार पावर पॉइन्ट से मिल रहे पावर इनपुट पर निर्भर करेगी।  कंपनी के सीईओ दोरोना माइर्सड्रोफ ने संकेत दिया कि 1000 बार चार्जिंग के बाद बैटरी चार्जिंग क्षमता 80% रह जायेगी जिससे इसकी लाइफ को लेकर चिन्ता है।

टू-व्हीलर एक्सचेंज प्रोग्राम का लॉन्च

भारत के इलैक्ट्रिक बाइक टूरिज्म प्लेटफॉर्म बी-लाइव ने, इस्तेमाल की गई बाइक का व्यापार करने वाली ब्रान्ड क्रेड-आर के साथ मिलकर दिल्ली-एनसीआर, पुणे, जयपुर और बंगलौर में पेट्रोल दुपहिया एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किया है। क्रेड-आर द्वारा विकसित किये गये मूल्यांकन सॉफ्टवेयर द्वारा किसी ग्राहक के पेट्रोल टू-व्हीलर की कीमत तुरंत आंकी जायेगी और उसे एक बैटरी तिपहिया बदले में दिया जायेगा।   दोनों कंपनियों ने यह फैसला उस वक्त किया है जब यह माना जा रहा है इकॉनोमिक रिकवरी के साथ बैटरी दुपहिया वाहनों का बाज़ार रफ्तार पकड़ेगा। गुरुग्राम स्थित कंपनी ओकीनावा मोटर्स छोटे वक्फे में 200% ग्रोथ का अनुमान लगा रही है जबकि बंगलौर में बसी अल्ट्रावॉयलेट ऑटोमोटिव ने अगले 12 महीने में 10,000 बैटरी दुपहिया बेचने का लक्ष्य रखा है। उधर दिल्ली स्थित रिसर्च संस्था सीईईडब्लू ने अनुमान लगाया है कि साल 2030 तक भारत का बैटरी वाहन बाज़ार 200 गुना बढ़ जायेगा।


जीवाश्म ईंधन

खनन का कड़वा सच: मेघालय में खान दुर्घटना में कम से कम 6 मज़दूर मर गये। पुलिस मामले की जांच कर रही है | Photo: Environmental Change and Security Programme

मेघालय: कोयला खदान में 6 मज़दूर मरे

मेघालय की पूर्वी जंतिया पहाड़ियों में एक कोयला खदान में कम से कम 6 मज़दूरों के मरने की ख़बर है। पुलिस के मुताबिक यह घटना बीते शुक्रवार को हुई और इस बारे में जानकारी इकट्ठा की जा रही है। सभी मज़दूर असम के करीमगंज के रहने वाले हैं। पुलिस का कहना है कि यह गैरकानूनी खदान थी जहां मज़दूर मशीन के फेल हो जाने पर खान में जा गिरे। मृतकों के शव निकाल लिये गये हैं। इससे पहले जंतिया पहाड़ियों में ही दिसंबर 2018 में 15 मज़दूर खान में फंसकर मर गये थे।    

पुलिस ने इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया है। अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने राज्य के पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया है कि जिस साइट पर दुर्घटना हुई है वहां कोई ताज़ा कोयला नहीं है इसलिये इस मामले में पता किया जा रहा है कि क्या यह गैरकानूनी खनन का मामला है। वैसे पिछले साल जब अवैध खनन के आरोप लगे थे तो राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा था कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।

ब्लूमबर्ग ग्रीन: सऊदी एराम्को ने इमीशन घटाकर बताये

ब्लूमबर्ग ग्रीन के मुताबिक तेल निकालने और रिफाइन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक सऊदी एराम्को ने जानबूझ कर अपने इमीशन की रिपोर्टिंग कम की। ख़बर है कि कंपनी ने निवेशकों को लुभाने के लिये अपने इमीशन 50% तक घटाकर बताये। सऊदी अरब की इस सरकारी कंपनियों ने 2019 में अपने आईपीओ से पहले मलेशिया, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में अपनी रिफायनरियों के उत्सर्जन नहीं बताये। इसके पीछे कंपनी का तर्क था कि इन देशों में उसका कारोबार स्थानीय कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर (संयुक्त उपक्रम) के तौर पर है। कंपनी ने अपने कारोबार को डेनमार्क के बाद सबसे दूसरा साफ ऑइल ऑपरेशन बताया।

बाइडन ने विवादित तेल पाइपलाइन की मंज़ूरी निरस्त की

अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन विवादित की-स्टोन एक्स एल तेल पाइपलाइन को मिली मंज़ूरी को रद्द कर दिया। इस पाइपलाइन उत्तर कनाडा से अमेरिकी तट तेल सप्लाई होनी थी। करीब 800 करोड़ अमेरिका डालर की लागत वाले इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2020 में हुई लेकिन इसके इमीशन उत्सर्जन प्रभावों के कारण पर्यावरणविदों ने इसका कड़ा विरोध किया। तेल पाइपलाइन रद्द होने पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रॉडियो ने अफसोस जताया और कनाडियाई प्रान्त अलबर्टा – जिसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक तेल और गैस पर निर्भर है – ने कहा  कि वह अदालत में इस फैसले को चुनौती देगा और मुआवज़े के लिये बाइडन प्रशासन पर मुकदमा भी कर सकता है।  बाइडन प्रशासन ने अलास्का के नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज़ (ANWR) में भी  तेल निकालने के नये ठेके देने पर अस्थायी रोक लगा दी है। ट्रम्प प्रशासन ने पर्यावरणविदों के विरोध और बैंकों से सहयोग न मिलने के बाद भी इस प्रोजेक्ट को पास कर दिया था।