बाढ़ एटलस: इसरो ने पूर्वी राज्यों में बाढ़ प्रभावित इलाकों के बेहतर प्रबंधन के लिये एक एटलस बनाई है। फोटो – Ny Menghor on Unsplash

इसरो ने असम, बिहार और ओडिशा के लिये बाढ़ संकट एटलस बनाई

भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो ने असम, बिहार और ओडिशा के लिये बाढ़ संकट एटलस बनायी है। इन राज्यों में हर साल बाढ़ का काफी प्रकोप रहता है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि यह एटलस बाढ़ के ख़तरों वाले इलाकों को 3 हिस्सों में विभाजित करेगी। बहुत अधिक, सामान्य और कम या बहुत कम।  मंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में पिछले 20 साल में बाढ़ के ख़तरों के आधार पर यह वर्गीकरण होगा। इस एटलस का मकसद अलग-अलग विभागों के बीच बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन का बेहतर समन्वय करना है। 

संसदीय कमेटी: सिन्धु जल संधि पर पाकिस्तान से पुन: वार्ता हो 

जल संसाधन पर संसद की स्थाई समिति ने सरकार से कहा है कि वह 1960 में हुए सिन्धु जल समझौते पर पाकिस्तान सरकार से फिर बात करे। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों और चुनौतियों को देखते हुये पाकिस्तान से पुन: वार्ता की ज़रूरत महसूस हो रही है।  समिति का कहना है कि जब यह सन्धि हुई थी तब ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे ख़तरों और पर्यावरण प्रभाव आकलन जैसी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया था। कमेटी ने अब सिन्धु बेसिन पर पानी की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखकर वैधानिक नियमों के तहत एक संस्थागत ढांचा बनाने की सिफारिश की है।  

ओमान ने 2030 तक इमीशन 7% कम करने की घोषणा की 

ओमान के सुल्तान ने अब संयुक्त राष्ट्र को अपना क्लाइमेट एक्शन प्लान भेजा है। इसके तहत 2030 तक अभी के हिसाब से होने वाले इमिशन (बिजनेस एज़ यूज़वल) की तुलना में ओमान अपना उत्सर्जन 7% कम करेगा। महत्वपूर्ण है कि कोरोमा महामारी के समय ओमान की तेल से कमाई में भारी गिरावट हुई थी। ओमान ने 2015 में 2% की कमी का वादा किया था। इस नये वादे के बावजूद यह खाड़ी देश प्रति व्यक्ति इमिशन के हिसाब से सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाले देशों में होगा  और इसमें से आधी इमिशन कटौती इस शर्त पर है कि उसके लिये अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद मिले।  

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