भारत सरकार एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति की घोषणा करने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत स्थानीय निर्माण में निवेश करने के इच्छुक विदेशी वाहन निर्माताओं के लिए आयात शुल्क में भारी कटौती की जाएगी। नई नीति के तहत प्रीमियम इलेक्ट्रिक कारों पर आयात टैरिफ को 110 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करके टेस्ला, हुंडई और वोक्सवैगन जैसी कंपनियों को आकर्षित किया जाएगा। हालांकि, टैरिफ में कटौती का लाभ का लाभ उठाने के लिए इन कंपनियों को भारत में कम से कम $500 मिलियन (4,150 करोड़ रुपए) का निवेश करना होगा।
जिन विदेशी कंपनियों को योजना का लाभ लेना है उन्हें: भारत में एक कारखाना स्थापित करके तीन साल के भीतर उत्पादन शुरू करना होगा; शुरुआत में 25% और पांच साल के भीतर 50% कल-पुर्जों को स्थानीय रूप से प्राप्त करना होगा; दूसरे साल में 2,500 करोड़ रुपए और पांचवें साल में 7,500 करोड़ रुपए के राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करना ही होगा; चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश को 4% तक सीमित करना होगा।
टेस्ला अप्रैल 2025 तक कम लागत वाली ईवी के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकती है, जिसकी कीमत लगभग 21 लाख रुपए होगी। हालांकि, कंपनी ने अभी तक भारत में मैनुफैक्चरिंग योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं दी है। हालांकि ग्लोबल कैपिटल मार्केट कंपनी सीएलएसए की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयात शुल्क में कटौती के बाद भी टेस्ला की सबसे सस्ती कार की कीमत लगभग 35 से 40 लाख रुपए होगी।
टेस्ला ने दिया भारत में रोज़गार का विज्ञापन
टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क की वाशिंगटन, डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के कुछ दिनों बाद ही टेस्ला ने भारत में 14 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इनमें से तेरह नौकरियां मुंबई में स्थित हैं, जिनमें सेवा सलाहकार, पार्ट्स सलाहकार, सेवा तकनीशियन और स्टोर मैनेजर जैसे पद शामिल हैं। जबकि पीसीबी डिजाइन इंजीनियर का पद पुणे के लिए है।
टेस्ला ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट के साथ -साथ सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट लिंक्डइन पर इन नौकरियों को सूचीबद्ध किया है। दोनों प्लेटफॉर्मों पर इन नौकरियों के लिए आवेदन किए जा सकते हैं।
रॉयटर्स की खबर के अनुसार, टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और दिल्ली के एरोसिटी में शोरूम के लिए जगहें ली हैं। प्रारंभ में, टेस्ला की योजना अपनी बर्लिन फैसिलिटी से वाहनों को आयात करने की है, और भविष्य में संभावित रूप से पुणे के चाकण क्षेत्र में कंपनी विनिर्माण इकाई स्थापित कर सकती है।
2030 तक भारत में संचालित होंगे 2.8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन: रिपोर्ट
इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आईईएसए) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कुल ऑपरेशनल इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) की संख्या 2030 तक 28 मिलियन होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती मांग और इंसेटिव के कारण ईवी की खरीद बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023-2024 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की संचयी बिक्री 4.1 मिलियन यूनिट से अधिक रही।
आईईएसए ई-मोबिलिटी, ऊर्जा भंडारण और हाइड्रोजन पर काम करने वाला एक गठबंधन है। इसका अनुमान है कि 2030 तक वाहनों की वार्षिक बिक्री में 83% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहनों की होगी, 10% इलेक्ट्रिक चार-पहिया वाहनों की जबकि वाणिज्यिक वाहन जैसे ट्रक, बसें और तीन-पहिया वाहन बिक्री में 7 प्रतिशत योगदान देंगे।
ट्रंप सरकार ने संघीय इमारतों में ईवी चार्जर्स को बंद करने का आदेश दिया
अमेरिकी सरकार ने संघीय भवनों को इलेक्ट्रिक वाहन चार्जरों का उपयोग करने से रोकने का आदेश दिया है। ब्लूमबर्ग ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि सरकारी भवनों और वाहनों का प्रबंधन करने वाली संस्था जनरल सर्विसेज एडमिनिस्ट्रेशन (जीएसए) ने हाल ही में एजेंसियों को एक ईमेल भेजकर इस योजना के बारे में सूचित किया। सरकार और व्यक्तिगत वाहनों दोनों के लिए उपयोग किए जाने वाले चार्जर अब आवश्यक नहीं हैं। जीएसए ने अभी तक इसपर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईवी समर्थन समाप्त करने को एक प्रमुख आर्थिक लक्ष्य बनाया है। इस महीने की शुरुआत में परिवहन विभाग के संघीय राजमार्ग प्रशासन ने भी घोषणा की थी कि वह राजमार्गों पर लगे ईवी चार्जर्स के लिए फंडिंग रोक देगा।
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