भारत 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा वैल्यू चेन (नवीकरणीय, हरित हाइड्रोजन और ईवी) समेत दूसरे सेक्टरों में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश के अवसर दे रहा है। इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) के क्लीन इकोनॉमी इन्वेस्टर फोरम में वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने यह घोषणा की।
14-सदस्यीय आईपीईएफ ब्लॉक को 23 मई, 2022 को टोक्यो में अमेरिका और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अन्य भागीदार देशों द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया था। इन देशों की दुनिया के आर्थिक उत्पादन में 40% और व्यापार में 28% हिस्सेदारी है।
मूडीज़ रेटिंग्स ने एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, भारत को इस क्षेत्र में 190 बिलियन डॉलर से 215 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है, जिसमें लगभग 44 गीगावॉट की वार्षिक क्षमता वृद्धि होगी।
हालांकि, नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर सौर ऊर्जा, में लगातार वृद्धि के बावजूद, मूडीज़ को उम्मीद है कि कोयला अगले आठ से दस वर्षों तक भारत के बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
2024 में जीवाश्म ईंधन के मुकाबले स्वच्छ ऊर्जा में दोगुना निवेश होगा: आईईए
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इस साल लो-कार्बन बिजली उत्पादन में होने वाला निवेश, जीवाश्म ईंधन से उत्पादित बिजली से 10 गुना अधिक होगा। नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन, पावर ग्रिड, ऊर्जा भंडारण, लो-एमिशन ईंधन, दक्षता में सुधार और हीट पंप सहित स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश इस वर्ष 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निवेश 2023 में पहली बार जीवाश्म ईंधन से अधिक रहा और 2024 में जहां कोयला, गैस और तेल में 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश होने का अनुमान है, वहीं स्वच्छ ऊर्जा में इससे दोगुना निवेश हो सकता है।
हालांकि, आईईए के कार्यकारी निदेशक फ़तिह बिरोल ने कहा कि तेल और गैस पर अभी भी बहुत अधिक खर्च हो रहा है, जो दुनिया के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के मार्ग में बाधक है।
नवीकरणीय क्षेत्र में नौकरी की मांग 23.7% बढ़ी: रिपोर्ट
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आई एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2023-24 के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नौकरी की मांग में 23.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। स्टाफिंग कंपनी टीमलीज सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में यह वृद्धि 8.5 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2024 में नौकरी छोड़ने की दर घटकर 33.5 प्रतिशत हो गई है, जबकि 2022-23 में यह 38.8 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टियर II और III शहरों में मांग असाधारण रूप से अधिक है, क्योंकि अधिकांश नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं यहीं स्थित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि संचालन, रखरखाव और तकनीकी भूमिकाओं में पदों की अत्यधिक मांग है, वहीं सोलर पीवी और पवन टरबाइन टेक्नीशियन और इंस्टॉलर, रूफर, प्रोडक्शन ऑपरेटर, स्टोरेज ऑपरेटर और अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञों की मांग भी बढ़ रही है।
फ्लोटिंग सोलर से पूरी हो सकती है कई देशों की 16% बिजली की मांग
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया भर के दस लाख से अधिक जल निकायों पर कुल 15,000 टेरावाट ऑवर क्षमता के फ्लोटिंग सोलर लगाए जा सकते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि यदि इन जल निकायों की सतह के 10% हिस्से को भी कवर किया जाए तो फ्लोटिंग सौर फोटोवोल्टिक्स के द्वारा “कुछ देशों की औसतन 16% बिजली की मांग” पूरी की जा सकती है। अध्ययन में कहा गया है कि इस प्रकार, सोलर पीवी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को डीकार्बनाइज़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
लेकिन एक महत्वपूर्ण बात फ्लोटिंग सोलर पैनलों के जलीय इकोसिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव की भी है। हालांकि इस बारे में अभी विस्तृत और ठोस आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर बड़े स्तर पर जल निकायों पर सोलर पैनल बिछाए गए तो यह फ्रेश इकोसिस्टम पर दीर्घकालिक असर डाल सकते हैं।
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