वैश्विक मंदी के बावजूद भारत में बढ़ रही इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री

अमेरिकी रिसर्च फर्म और ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन गोल्डमैन सैक्स के अनुसार दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कम हो रही है। कंपनी इसके पीछे अधिक पूंजीगत लागत, कई देशों में हो रहे चुनाव, और रैपिड-चार्जिंग स्टेशनों की कमी जैसे कारणों को ज़िम्मेदार मानती है।

वाहन मूल्यांकन और ऑटोमोटिव अनुसंधान कंपनी केली ब्लू बुक के अनुसार, अमेरिका में 2024 की में, पिछली तिमाही के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 15.2% घट गई। हालांकि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले यह 2.6 प्रतिशत अधिक रही। उधर यूरोपीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ ने भी बताया है कि इस साल मार्च में पहली बार यूरोप में नई कारों की बिक्री में गिरावट आई।

वहीं भारत में ईवी की बिक्री में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.7 मिलियन यूनिट को पार कर गई है। भारत में 2023 में पैसेंजर वाहन की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि ईवी की बिक्री दोगुनी से अधिक हो गई।

इलेक्ट्रिक कारों से पैदल चलने वालों को खतरा दोगुना

ब्रिटेन में सड़क दुर्घटनाओं के एक विश्लेषण के अनुसार, पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारें पैदल चलने वालों अधिक टक्कर मार सकती हैं। विशेष रूप से कस्बों और शहरों में इसकी संभावना और अधिक है।

बैटरी चालित कारों की 32 बिलियन मील की यात्रा और पेट्रोल और डीजल कारों की 3 ट्रिलियन मील की यात्रा के विश्लेषण से पता चला है कि मील-दर-मील के हिसाब से जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की पैदल चलने वालों को टक्कर मारने की संभावना दोगुनी थी। शहरी क्षेत्रों में यह संभावना तीन गुना पाई गई।

यह स्पष्ट नहीं है कि इलेक्ट्रिक कारें अधिक खतरनाक क्यों हैं, लेकिन शोधकर्ता इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। इलेक्ट्रिक कारों के ड्राइवर युवा और कम अनुभवी होते हैं, और आईसीई वाहनों की तुलना में यह कारें बहुत शांत होती हैं, जिससे उन्हें सुनना कठिन हो जाता है, खासकर कस्बों और शहरों में।

नई सरकार के साथ ही आ सकती है फेम-III योजना

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने नई सरकार के कार्यभार संभालने के पहले 100 दिनों के भीतर फास्टर अडॉप्टेशन एंड मैनुफैक्चरिंग  ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना का तीसरा संस्करण शुरू होने की उम्मीद है।

फेम-III के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और सरकारी स्वामित्व वाली बसों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। हालांकि, टैक्सी एग्रीगेटर्स जैसे संस्थागत खरीदारों द्वारा खरीदी गई कारों सहित इलेक्ट्रिक कारों के लिए इंसेंटिव बढ़ाया जाए या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय अभी भी प्रतीक्षित है।

प्रस्तावित फेम-III योजना इसकी पूर्ववर्ती योजना फेम-II के नक्शेकदम पर चलने के लिए बनाई गई है। फेम-II की अवधि  मार्च 2024 में समाप्त हो गई। जून में नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा। फेम-II के तहत, इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री मूल्य पर 15 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती थी।

चीनी ईवी निर्यातकों की पहली पसंद बना ब्राज़ील

चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्यातकों ने जिन देशों में शिपमेंट बढ़ाई है उनमें ब्राजील का स्थान पहला है। चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन (सीपीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, ब्राजील अप्रैल में लगातार दूसरे महीने चीन का शीर्ष निर्यात गंतव्य बना रहा। चीन का प्लग-इन हाइब्रिड और शुद्ध इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात पिछले साल की अपेक्षा 13 गुना बढ़कर 40,163 यूनिट हो गया। चीनी निर्माताओं द्वारा ब्राजील को निर्यात में वृद्धि तब तेज हुई है जब यूरोपीय संघ की सब्सिडी विरोधी जांच को लेकर यूरोपीय बाजारों में चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों की शिपमेंट कम हुई है।

हालांकि ब्राजील में भी इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के आयात पर टैरिफ में बढ़ोतरी होने वाली है। पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों (ईवी) के आयात पर 10% कर जनवरी में लागू हुआ। जुलाई में यह टैक्स बढ़कर 18% हो जाएगा और अंततः जुलाई 2026 में 35% तक पहुंच जाएगा। इसी कारण से कई चीनी निर्माताओं ने पहले ही ब्राज़ील में उत्पादन करने के लिए निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया है।

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