हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की लंबित सब्सिडी का भुगतान शुरू करने जा रही है। परिवहन विभाग लगभग 140 करोड़ रुपये की बकाया राशि के निपटारे के लिए सभी आवेदन सत्यापित करेगा। अधिकारियों के अनुसार, इसके लिए एक विशेष पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने 3 सितंबर के आदेश में सरकार को ग्राहकों को दी जाने वाली सब्सिडी तुरंत वितरित करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि प्रक्रियागत अड़चनों को भुगतान में देरी का बहाना नहीं बनाया जा सकता।
पीटीआई ने विभाग के अधिकारियों के हवाले से बताया कि लाभार्थियों की पहचान शुरू हो चुकी है। अगस्त 2020 में लागू ईवी नीति के तहत अब तक 2.19 लाख वाहनों को टैक्स छूट और 177 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा चुकी है। मौजूदा नीति मार्च 2026 तक बढ़ाई गई है और नई नीति पर विचार जारी है।
भारत में पिछले साल बिके 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहन
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार भारत में वित्त वर्ष 2024-25 में दस लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बिके। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) द्वारा आयोजित ऑटो रिटेल कॉन्क्लेव को दिए गए एक वीडियो संदेश में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने यह जानकारी दी।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत का इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बाजार दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक है। उनके अनुसार, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि तिपहिया वाहनों में यह वृद्धि 57 प्रतिशत रही।
कश्मीर में ईवी छोड़ रहे किसान, माइलेज में 50% तक की गिरावट
ठंडे मौसम में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी माइलेज कम हो रही है। रेस्ट ऑफ वर्ल्ड की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर में यह स्थिति स्पष्ट दिखाई दे रही है, जहां किसान चीनी निर्मित ईवी छोड़ रहे हैं क्योंकि ठंड में उनकी माइलेज घट रही है। माइलेज में 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है।
अमेरिका में किए गए परीक्षण बताते हैं कि अत्यधिक ठंड में ईवी बैटरियों की माइलेज औसतन 20 प्रतिशत घटती है, जबकि कुछ मामलों में यह गिरावट 40 प्रतिशत तक पहुंची। नॉर्वे और चीन जैसे देशों ने इस समस्या के समाधान के लिए तकनीक विकसित की है, लेकिन ये आम बाजार में अभी उपलब्ध नहीं हैं।
चीनी प्रतिबंध से निपटने के लिए भारतीय कंपनी ने विकसित की नई तकनीक
चीन द्वारा बैटरियों के निर्माण और ईवी मोटर्स के परीक्षण में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से भारत के ईवी उद्योग को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, इससे स्टर्लिंग जीटेक ई-मोबिलिटी जैसी कंपनियों के लिए अवसर भी पैदा किए हैं, जिन्होंने ईवी मोटर्स के परीक्षण की एक अलग प्रक्रिया विकसित की है — जिसमें रेयर अर्थ मैग्नेट का उपयोग नहीं होता।
रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में बताया कि यह तकनीक पूरी तरह नई नहीं है, लेकिन कम प्रचलित है और रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है। कंपनी के अनुसार, कई भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता इस तकनीक में रुचि दिखा रहे हैं और इसका उत्पादन एक साल के भीतर शुरू किया जा सकता है।
टैरिफ से बचने के लिए यूरोप में ईवी निर्मित करेगी बीवाईडी
दुनिया की शीर्ष ईवी निर्माता कंपनियों में से एक बीवाईडी अगले तीन वर्षों के भीतर यूरोप में सभी ईवी मॉडलों का स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने की योजना बना रही है। रॉयटर्स ने कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि इस कदम से चीनी ऑटो दिग्गज को यूरोपीय संघ के टैरिफ से बचने में मदद मिलेगी। साथ ही, बीवाईडी की प्लग-इन हाइब्रिड कारें निकट भविष्य में यूरोपीय बाजार में प्रभुत्व स्थापित कर सकेंगी।
फिलहाल बीवाईडी हंगरी में एक फैक्ट्री बना रही है, जबकि तुर्की में बनाई जा रही दूसरी फैक्ट्री का उत्पादन 2026 में शुरू होने की संभावना है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
ओपनएआई इस साल के अंत में दिल्ली में अपना पहला भारतीय कार्यालय खोलेगी
-
ब्रिटेन में 650 मिलियन पाउंड की अनुदान योजना के तहत 17 इलेक्ट्रिक वाहनों के मॉडलों पर छूट
-
रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से भारत में रुक सकता है ईवी निर्माण
-
ग्लोबल ईवी बिक्री जून में 24% बढ़ी, लेकिन अमेरिका में गिरावट
-
वैश्विक इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं के लिए भारत सरकार ने लॉन्च किया पोर्टल