सरकार ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए

भारत सरकार ने निजी कंपनियों द्वारा ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और संचालन के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। नए नियमों के अनुसार एक रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल के तहत कंपनियों को निजी और सार्वजनिक स्थानों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए कुछ सुविधाएं दी जाएंगी। 

मसलन, इनमें कहा गया है कि सरकारी और पब्लिक निकाय निजी कंपनियों को सस्ते दरों पर भूमि उपलब्ध कराएं, जिसके एवज में कंपनियां चार्जिंग से मिलने वाले राजस्व का एक भाग उस सरकारी या सार्वजनिक निकाय के साथ साझा करेंगी।  

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 18 सितंबर को जारी यह दिशानिर्देश निजी पार्किंग, कार्यालय भवनों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी जैसे निजी स्थलों के साथ-साथ, रेलवे स्टेशन, पेट्रोल पंप, हवाई अड्डे, मेट्रो स्टेशन, शॉपिंग मॉल, नगर निगम पार्किंग स्थल, राजमार्ग और एक्सप्रेसवे जैसे सरकारी स्थलों पर भी लागू होंगे।

2030 तक बढ़ेगी ईवी की स्वीकार्यता, लेकिन भारत के सामने चीन की चुनौती: सर्वे

एक सर्वे में पाया गया है कि 2030 तक नई कार खरीदने वाले अधिकांश खरीदार केवल न्यू एनर्जी व्हीकल (एनईवी) चुनने के इच्छुक हैं। अर्बन साइंस और हैरिस पोल का यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि आने वाले समय में पर्यावरण के अनुकूल कारों के लिए समर्थन बढ़ेगा। इस वैश्विक सर्वेक्षण में शामिल 1,000 संभावित भारतीय खरीदारों में से लगभग 83 प्रतिशत ने कहा कि वे इस दशक के अंत तक एनईवी खरीदने पर विचार करेंगे।

हालांकि सर्वे में यह भी कहा गया कि भारत के ईवी उद्योग के सामने चीन की बड़ी चुनौती है। इसमें कहा गया है कि चीन ने बड़े पैमाने पर ईवी प्रोडक्शन और आधुनिक तकनीक में महारत हासिल की है और भारत को भी इस ओर ध्यान देना होगा। 

सर्वे में कहा गया है कि चीनी कंपनियों के साथ मिलकर काम करने से भारत के ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेजी तेजी से हो सकता है, जो इलेक्ट्रिक कारों को अधिक किफायती और सभी के लिए सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत का ईवी उद्योग चीन की गलतियों से भी सीख सकता है। 

भारत की ना के बाद चीनी ईवी निर्माता ने किया पाकिस्तान का रुख

भारत द्वारा चीनी निवेश को अवरुद्ध करने और चीन की ईवी निर्माता बीवाईडी को देश में प्लांट स्थापित करने से रोकने के बाद, कंपनी ने पाकिस्तान का रुख किया है। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीवाईडी ने 2026 तक असेंबली प्लांट स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के सबसे बड़ी निजी बिजली निर्माता कंपनी के साथ साझेदारी की है। 

इसका मतलब यह हो सकता है कि पाकिस्तान इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए निर्यात केंद्र बन सकता है। बीवाईडी चीन के बाहर मैनुफैक्चरिंग यूनिट बना रही है क्योंकि कई देशों ने चीन में निर्मित ईवी, सौर पैनल और पवन टर्बाइन पर बड़े टैरिफ लगा दिए हैं। कंपनी ने तुर्की, हंगरी, थाईलैंड और ब्राजील में भी फैक्ट्रियां लगाई हैं और मेक्सिको में जगह की तलाश कर रही है।

नॉर्वे में पेट्रोल-चलित कारों से अधिक हुई ईवी की संख्या

दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातकों में से एक नॉर्वे की सड़कों पर अब पेट्रोल से चलने वाली कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारें अधिक हैं

नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन के नए आंकड़ों के मुताबिक, सभी पंजीकृत 28 लाख निजी कारों में से 7,54,303 पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हैं, जबकि 7,53,905 कारें पेट्रोल से चलने वाली हैं। 55 लाख की आबादी वाले नॉर्वे का लक्ष्य 2025 तक नई पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री समाप्त करने वाला पहला देश बनने का है।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्य रूप से तेल और गैस की बिक्री से अर्जित धन के द्वारा ही नॉर्वे ने ईवी खरीदारों को टैक्स में छूट और दूसरे इंसेंटिव दिए हैं जिससे बिक्री को बढ़ावा मिला है

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