भारतीय मानदंडों पर खरा उतरने के बावजूद, वायु प्रदूषण से हो रही हैं मौतें: शोध

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण के भारतीय मानकों के हिसाब से बेहतर गुणवत्ता वाली वायु के संपर्क में आने पर भी लोगों की मौत हो सकती हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि भारत के 10 प्रमुख शहरों — दिल्ली, अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी — में हर साल लगभग 33,000 मौतें पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण होती हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के मुताबिक तय 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक होता है। पीएम 2.5 (24 घंटे) के लिए भारत में राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

अध्ययन किए गए सभी शहरों में से दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं — जो सभी मौतों का 11.5% थीं, यानी हर साल 12,000। अनुमान है कि अध्ययन की अवधि के दौरान वाराणसी में 10.2% (प्रत्येक वर्ष 830) मौतें दर्ज की गईं।

औद्योगिक प्रदूषण के कारण हुई थी पेरियार नदी में मछलियों की मौत 

केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (केयूएफओएस) और सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीएमएफआरआई)  के अध्ययन में पता चला है कि केरल की पेरियार नदी में मई में बड़ी संख्या में मछलियां मरने की घटना पथलम रेगुलेटर-ब्रिज अपस्ट्रीम पर गेट खोलने के कारण हुई, जिससे भारी मात्रा में प्रदूषित जल नदी में आया। 

औद्योगिक स्रोतों से बढ़ते कचरे के कारण पानी में प्रदूषण का स्तर काफी गंभीर और भयावह स्तर तक पहुंच गया।  पानी, तलछट और मछली में भारी धातुओं और जहरीले रसायनों की खतरनाक सांद्रता पाई गई। रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि कैसे इस आपदा ने अपशिष्ट उपचार और निर्वहन पर कड़े नियंत्रण, प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी में वृद्धि, और सतह और नीचे के पानी की वास्तविक समय निगरानी के साथ-साथ पथलम नियामक के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों पर तलछट की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।

छोड़े गए पानी में ‘हानिकारक पदार्थ और ऑक्सीजन का स्तर घटने से नदी के निचले भाग में बड़ी संख्या में मछलियां गईं’। रिपोर्ट में पाया गया कि अपस्ट्रीम में पानी स्थिर हो गया है, जिससे घरेलू कचरा, नालियों का बहाव, सड़ते पौधे और पशु पदार्थ और बाजारों, होटलों और अन्य स्रोतों से मानवजनित अपशिष्ट जैसे कार्बनिक पदार्थ जमा हो गए हैं। इससे हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन, अमोनिया और अन्य हानिकारक गैसों का उत्पादन हुआ।

आईवीएफ की सफलता 38% तक घटा सकता है वायु प्रदूषण

एक अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से जीवित बच्चे के जन्म की संभावना को लगभग 38 प्रतिशत तक कम कर सकता है। ऐसा “उत्कृष्ट” वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में भी संभव है। आईवीएफ की प्रक्रिया में भ्रूण बनाने के लिए एक परिपक्व अंडे को प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ फर्टिलाइज़ किया जाता है, जिसे बाद में एक बच्चे के रूप में विकसित होने के लिए गर्भाशय में रखा जाता है।

आठ साल के इस अध्ययन के दौरान, शोधकर्ताओं ने पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में लगभग 3,660 फ्रोजेन एम्ब्र्यो ट्रांसफर्स (एक आईवीएफ प्रक्रिया) का विश्लेषण किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि फर्टिलाइज़ेशन के लिए अंडाशय से निकाले जाने के पहले यदि अंडे दो हफ़्तों तक भी पीएम10 के संपर्क में आते हैं तो आईवीएफ के सफल होने की संभावना 38 प्रतिशत तक कम हो जाती है। वहीं फर्टिलाइज़ेशन के तीन महीने पहले तक पीएम2.5 के संपर्क में आने से जीवित जन्म की संभावना कम हो जाती है।

दिल्ली में दर्ज किया गया साल का सबसे कम एक्यूआई

पिछले हफ्ते दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वर्ष के सबसे निचले स्तर पर रहा। रविवार, 7 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी का एक्यूआई 56 दर्ज किया गया। वहीं मॉनिटरिंग एजेंसियों के अनुसार, जुलाई के पहले हफ्ते में दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार ‘संतोषजनक’ श्रेणी में बनी रही।

जून में भी सात दिनों के लिए दिल्ली का एक्यूआई 100 से नीचे था, और जुलाई में मौसम के कारण इसमें और सुधार हुआ है।

शून्य और 50 के बीच एक एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’, और 401-500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।

Website | + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.