मौजूदा वित्तीय वर्ष में 45 गीगावाट सौर ऊर्जा जोड़ेगा भारत

एसबीआई कैप्स (SBICAPS) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत वित्त वर्ष 2025-26 में 45 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ने की राह पर है। पीवी मैगज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल पहले पांच महीनों में ही देश ने 18 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित कर ली है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस बार रूफटॉप और ओपन-एक्सेस सोलर की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। कुल नए सौर संयोजनों में से 20% से अधिक अब रूफटॉप और ऑफ-ग्रिड सिस्टम से जुड़े हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है।

सौर उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 12% से घटाकर 5% करने के फैसले से स्थापना और रखरखाव की लागत कम होगी। इससे घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा सौर ऊर्जा अपनाने की गति और तेज़ होने की उम्मीद है। निर्माण क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति दर्ज हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, एएलएमएम-I (एप्रूव्ड लिस्ट ऑफ मॉडल्स एंड मैनुफ़ैक्चरर्स) के तहत सौर मॉड्यूल की क्षमता 100 गीगावाट से अधिक हो गई है।

ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण अटकीं नवीकरणीय परियोजनाएं: रिपोर्ट

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर उसकी रफ्तार से मेल नहीं खा पा रहा। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और जेएमके रिसर्च की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जून 2025 तक देशभर में 50 गीगावाट से ज्यादा नवीकरणीय क्षमता अटकी हुई है। इससे परियोजनाओं में देरी, लागत में बढ़ोतरी और निवेशकों के भरोसे में कमी आई है।

वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 15,253 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइन का लक्ष्य रखा था, लेकिन सिर्फ 8,830 सीकेएम ही जोड़ी जा सकीं, यानी 42% की कमी रही। अंतर-राज्यीय नेटवर्क में यह वृद्धि पिछले 10 वर्षों में सबसे कम रही। विश्लेषण से यह भी सामने आया कि भारत के 71% अंतर-राज्यीय कॉरिडोर 30% से भी कम क्षमता पर चल रहे हैं। यह उत्पादन और बिजली ढांचे के बीच गंभीर असंतुलन को दर्शाता है।

चीन से आयातित सौर उपकरण पर भारत ने एंटी-डंपिंग जांच शुरू की

वाणिज्य मंत्रालय की इकाई डीजीटीआर ने चीन से आयात होने वाले एक सौर उपकरण और मोबाइल कवर पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई RenewSys India और ऑल इंडिया मोबाइल कवर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन की शिकायत पर की गई है।

आवेदकों ने दावा किया कि चीन से “सोलर एनकैप्सुलेंट्स” (EVA एनकैप्सुलेंट्स को छोड़कर) के डंपिंग आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है। यह उपकरण सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है। अगर जांच में यह साबित होता है कि सस्ते आयात ने भारतीय कंपनियों को वास्तविक नुकसान पहुंचाया है, तो डीजीटीआर शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा। हालांकि, अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा।

गौरतलब है कि एंटी-डंपिंग जांच का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि कहीं किसी देश से आयातित सस्ते उत्पादों के कारण घरेलू उद्योग प्रभावित तो नहीं हो रहा।

चीन में सौर क्षमता वृद्धि तीन साल में सबसे कम

चीन ने अगस्त 2025 में 7.4 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ी, जो न केवल जुलाई के आंकड़े (11 गीगावाट) से कम है, बल्कि लगभग तीन वर्षों में सबसे कम वृद्धि है। ब्लूमबर्ग ने यह जानकारी राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन (एनईए) के ताज़ा आंकड़ों के हवाले से दी। हालांकि, इसी दौरान चीन के सौर मॉड्यूल निर्यात में पिछले साल की अपेक्षा 9.5% की बढ़ोतरी हुई और यह अगस्त में 2.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। कस्टम्स डेटा का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि निर्यात में यह उछाल वैश्विक बाजार में चीनी सौर उपकरणों की मजबूत मांग को दर्शाता है।

उद्योग समाचार पोर्टल बीजेएक्स न्यूज़ के अनुसार, साल 2025 के पहले आठ महीनों में चीन की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 18% बढ़ी। इसी दौरान सौर ऊर्जा क्षमता में 48% और पवन ऊर्जा क्षमता में 22% की वृद्धि दर्ज की गई।

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