भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण उद्योग संकट में है, क्योंकि ईवी के लिए जरूरी रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति समाप्त होने की संभावना है।
हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विनिर्माताओं के पास केवल कुछ दिनों का भंडार बचा है, जिससे उत्पादन इकाइयों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना) और पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी में देरी इस संकट को और गंभीर बना रही है। इन योजनाओं के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता समय पर न मिलने से कंपनियों की नकदी स्थिति प्रभावित हो रही है, जिससे कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो देश में ईवी निर्माण पर गंभीर असर पड़ सकता है।
जुलाई में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में जबरदस्त उछाल
भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर वाहनों की बिक्री जुलाई में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई। पंजीकरण पिछले साल से 91% बढ़कर 15,295 यूनिट्स तक पहुंचा। जबकि पिछले महीने के मुकाबले बिक्री 10% बढ़ी है। जुलाई में कुल वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी बढ़कर 4.6% हो गई, जो जून में 4.4% थी। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में कुल बिक्री 79% बढ़कर 55,816 यूनिट्स पहुंच गई।
बाजार में टाटा मोटर्स की 39% हिस्सेदारी बरकरार रही, जबकि एमजी मोटर इंडिया ने 5,013 यूनिट्स बेचकर 33% हिस्सेदारी हासिल की। महिंद्रा ने जुलाई में 2,789 यूनिट्स की बिक्री की, जिसमें बीई6 और एक्सईवी 9ई जैसी नई कारों का योगदान रहा।
हंडे ने क्रेटा ईवी के चलते 602 यूनिट्स बेचीं। बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज़ जैसी लग्जरी कंपनियों की बिक्री में भी वृद्धि देखी गई, लेकिन ऑडी की बिक्री में भारी गिरावट आई।
चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए टेस्ला ने लेग्स के साथ किया बैटरी सौदा
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला ने एलजी एनर्जी सॉल्यूशन (एलजीईएस) के साथ 4.3 अरब डॉलर की लिथियम आयन बैटरी डील साइन की है।
यह समझौता अमेरिका में बढ़ते टैरिफ के चलते चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है। बैटरियों की आपूर्ति एलजीईएस की मिशिगन स्थित फैक्ट्री से की जाएगी। अनुबंध अगस्त 2027 से जुलाई 2030 तक प्रभावी रहेगा, जिसमें सात साल तक विस्तार और आपूर्ति मात्रा बढ़ाने का विकल्प शामिल है।
अप्रैल में टेस्ला के सीएफओ वैभव तनेजा ने कहा था कि अमेरिकी टैरिफ का ऊर्जा कारोबार पर “गहरा असर” पड़ा है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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