भारत ने 2024 में अपनी सौर क्षमता 25.2 गीगावाट की बढ़ोत्तरी की। यह 2023 में 8.3 गीगावाट की वृद्धि तुलना में 204% अधिक है। मेरकॉम के अनुसार, यह देश के इतिहास में उच्चतम वार्षिक क्षमता वृद्धि है। इस वृद्धि के पीछे 87% योगदान बड़ी सौर परियोजनाओं का था, जबकि शेष 13% योगदान रूफटॉप सोलर का था।
सौर क्षमता वृद्धि में राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र अग्रणी रहे। कुल क्षमता में राजस्थान का योगदान 32%, गुजरात का 27% और महाराष्ट्र का 8% था।
भारत सरकार घरेलू सोलर उद्योग को देगी सब्सिडी
भारत सरकार घरेलू सोलर मैनुफैक्चरिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1 बिलियन डॉलर की सब्सिडी देने की योजना बना रही है। योजना में वेफर्स और इंगोट के घरेलू उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वेफर्स सिलिकॉन की पतली डिस्क होती है और इंगोट शुद्ध सिलिकॉन का एक बेलनाकार ब्लॉक होता है, जिनका इस्तेमाल सोलर सेल और सर्किट बनाने के लिए किया जाता है।
इस प्रयास का उद्देश्य चीन पर निर्भरता को कम करना और वैश्विक अक्षय ऊर्जा बदलाव का समर्थन करना है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में तैयार किए गए इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शीर्ष सलाहकारों का समर्थन प्राप्त है और जल्द ही कैबिनेट इसकी समीक्षा कर सकती है।
हालांकि, सरकार अभी भी हितधारकों से चर्चा कर रही है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। मौजूदा समय में भारत सौर उपकरणों के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर करता है। देश की वर्तमान वेफर और इंगोट उत्पादन क्षमता सिर्फ 2 गीगावाट है।
2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को दुगनी तेजी से बढ़ानी होगी अक्षय ऊर्जा क्षमता: रिपोर्ट
भारत को 2030 तक अपने स्वच्छ-ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अगले पांच सालों में वार्षिक सोलर और पवन क्षमता वृद्धि को दोगुना करना होगा। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (जीईएम) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद भारत 2022 तक 175 गीगावाट क्षमता तक पहुँचने के अपने पिछले लक्ष्य से पीछे है। भारत का लक्ष्य 2030 तक कम से कम 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। वर्तमान में, भारत के पास 165 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं प्रगति पर होने के बावजूद, 2024 में भारत के कुल बिजली उत्पादन में जीवाश्म ईंधन का योगदान दो-तिहाई से अधिक था।
ऑफ-ग्रिड परियोजनाओं में सौर पैनलों के लिए आवश्यक दक्षता घटाने का प्रस्ताव
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने ऑफ-ग्रिड परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले सोलर पैनलों के लिए आवश्यक दक्षता को कम करने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में, क्रिस्टलाईन सिलिकॉन (सी-एसआई) पैनलों की दक्षता कम से कम 19% होनी चाहिए; प्रस्ताव में इसे 18% करने की बात की गई है। इस परिवर्तन का उद्देश्य लैंप, स्ट्रीटलाइट्स और पंखों जैसे ऑफ-ग्रिड सोलर सोल्युशन लागू करने को और किफायती बनाना है। कैडमियम टेलुराइड (सीडीटीई) थिन-फिल्म पैनलों के लिए दक्षता के मानक अपरिवर्तित रहेंगे। इसके अतिरिक्त, एमएनआरई एक नई सूची, एएलएमएम लिस्ट-I (वितरित अक्षय ऊर्जा) तैयार करने की योजना बना रहा है, विशेष रूप से ऑफ-ग्रिड एप्लीकेशन के लिए।
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