चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस ने हजारों घरों के मालिकों को नोटिस जारी कर दो महीने के भीतर अपने घरों में रूफटॉप सोलर स्थापित करने के लिए कहा है। ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।
एस्टेट ऑफिस का कहना है कि बिल्डिंग नियमों के अनुसार, पहले 500 स्क्वायर यार्ड से ऊपर के मकानों में ‘सोलर फोटो वोल्टेक रूफटॉप पावर प्लांट’ लगाना आवश्यक था, अब इसे संशोधित कर 250 स्क्वायर यार्ड कर दिया गया है, यानी 250 स्क्वायर यार्ड और उससे अधिक के घरों के मालिकों को अनिवार्य रूप से ये संयंत्र स्थापित करने होंगे।
चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 1,867 घरों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जबकि 4,500 से अधिक ने अभी भी ऐसा नहीं किया है।
1.5 डिग्री का लक्ष्य पाने हेतु भारत को 5 गुना बढ़ानी होगी पवन, सौर ऊर्जा
एक नए विश्लेषण में पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, भारत की पवन और सौर ऊर्जा को 2030 तक पांच गुना बढ़ने की जरूरत है। विश्लेषण में पाया गया कि कोयले पर निर्भरता कम करते हुए बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को और अधिक क्लाइमेट फाइनेंस की आवश्यकता होगी।
क्लाइमेट एनालिटिक्स और न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट के विश्लेषण में पाया गया कि 2030 तक 600 गीगावॉट से अधिक पवन और सौर (460 गीगावॉट सौर और 150 गीगावॉट पवन) ऊर्जा स्थापित करने की आवश्यकता होगी। वर्तमान गति के हिसाब से भारत 2030 तक लगभग 400 गीगावॉट पवन और सौर ऊर्जा स्थापित करने में सफल रहेगा, जो विश्लेषण में बताई गई आवश्यकता से क्रमशः 140 गीगावॉट और 70 गीगावॉट कम है।
भारत अभी भी अपनी 75% बिजली का उत्पादन करने के लिए कोयले पर निर्भर है।
घरेलू सोलर मॉड्यूल की गुणवत्ता पर डेवलपर्स ने उठाए सवाल
सोलर परियोजनाओं में स्थानीय रूप से निर्मित मॉड्यूल का प्रयोग करने के सरकार के आदेश ने डेवलपर्स को चिंता में डाल दिया है और इससे आपूर्ति भी बाधक हुई है। 2024 की पहली छमाही में भारत में कुल 14.9 गीगावॉट की सौर परियोजनाएं स्थापित की गईं, जो पिछली सभी अर्ध-वार्षिक और वार्षिक स्थापनाओं से अधिक है। पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह 282% की वृद्धि है।
इंस्टॉलेशन में वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि कंपनियों ने जल्दी में मॉड्यूल आयात किए। वे अप्रैल 2024 में मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) फिर से लागू होने के पहले परियोजनाओं को पूरा करना चाहती थीं। सरकार ने डेवलपर्स को एएलएमएम के तहत सूचीबद्ध कंपनियों से मॉड्यूल खरीदना अनिवार्य कर दिया है। फिलहाल सूची में केवल घरेलू निर्माता ही हैं।
मेरकॉम की एक रिपोर्ट में डेवलपर्स ने आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से मॉड्यूल की गुणवत्ता, अधिक कीमतें और बड़े ऑर्डर को संभालने की अक्षमता के बारे में बताया।
अक्षय ऊर्जा को तीन गुना करने के लिए बैटरी भंडारण, ग्रिड आवश्यक: आईईए
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल कॉप28 शिखर सम्मेलन में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना संभव है। लेकिन इसके लिए सभी देशों को शीघ्रता से कार्य करना होगा। उन्हें अधिक इलेक्ट्रिक ग्रिड कनेक्शन और बैटरी स्टोरेज स्थापित करने की आवश्यकता है।
आईईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि अच्छी अर्थव्यवस्था, मजबूत विनिर्माण और सहायक नीतियों के कारण यह लक्ष्य प्राप्त करने योग्य है। लेकिन इसके लिए विभिन्न देशों को 2.5 करोड़ किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें बनानी होंगी। उन्हें 2030 तक 1,500 गीगावाट ऊर्जा भंडारण जोड़ने की भी आवश्यकता है। यह मौजूदा क्षमता से 15 गुना अधिक है।
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