हिमाचल के बद्दी औद्योगिक क्षेत्र (ज़िला सोलन) में उद्योगों द्वारा तीन नदियों – बलाद, सिरसा और सतलुज – में किये जा रहे प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने फैसला दिया था। अब 6 अप्रैल के इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है। अपने फैसले में एनजीटी ने कहा था कि उद्योगों द्वारा डिस्चार्ज नदी में गिराते वक्त पर्यावरण मंत्रालय के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में दिये मानकों का पालन किया जाये।
पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के मानक अंतिम नोटिफिकेशन में शामिल नहीं किये हैं इसलिये अदालत का फैसला सही नहीं है लेकिन ट्रिब्यूनल ने याचिका को खारिज कर दिया और एनजीटी कानून के सेक्शन -20 का हवाला देते हुये कहा कि समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये अदालत पर्यावरण मंत्रालय के आदेशों से आगे जाकर भी फैसला सुना सकती है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
भारत में ग्राउंड वॉटर में बढ़ रहा है यूरेनियम: रिपोर्ट
-
वीडियो: इथियोपिया में फटा ज्वालामुखी, भारत में उड़ानों पर असर
-
कॉप30 में मिलीजुली सफलता: अनुकूलन के लिए तिगुना फंड लेकिन डर्टी फ्यूल हटाने पर सहमति नहीं
-
दिसंबर के अंत तक संशोधित एनडीसी जमा करेगा भारत
-
‘यूएन जलवायु सम्मेलन में फॉसिल फ्यूल लॉबिस्टों की रिकॉर्ड मौजूदगी: क्या ऐसे खत्म होगा कोयला-तेल का दौर?’
